संतों की निश्रा में गूंजा जयकारा, पाली से नाकोड़ा तीर्थ के लिए पैदल संघ की गजराज ने की अगवानी
पाली। सेठ नवलचंदसुप्रतचंद जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक (तपागच्छ) देव की पेढ़ी ट्रस्ट की ओर से सोमवार सुबह छरि पालित संघ गाजे-बाजे के साथ नाकोड़ा के लिए रवाना हुआ।
संघ की रवानगी से पहले मुनि सुमतिचन्द्र सागर व मुनि शीतलचंद्र सागर की निश्रा में संघ के लाभार्थियों व संघपति सहित आराधकों ने भगवान का पूजन किया। इसके बाद 800 आराधक, 200 से अधिक कार्यकर्ता और शहरवासी महावीर नगर से रवाना हुए। वे समुद्र विहार होते हुए नवलखा पार्श्वनाथ मंदिर पहुंचे। वहां आराधकों ने भगवान के दर्शन कर खुशहाली की कामना की। वहां से संघ पुराना बस स्टैण्ड, मंडिया रोड, बाइपास होते हुए गिरादड़ा गांव स्थित गोशाला पहुंचा। वहां संघ ने रात्रि विश्राम किया। संघ का मार्ग में जगह-जगह शहरवासियाें ने फूल बरसाकर स्वागत किया।ऐसा रहा संघ का रूप
3 अश्व रहे शामिल
1-1 शहनाई व तुतारी वादक ने किया वादन
7 बग्गी में भगवान को विराजमान करने के साथ बैठे आराधक
1 महिलाओं का दल कलश लेकर मंगल गान करते चला
3 बैण्ड के साथ ढोल वादन
1 गजराज ने की अगवानी
छरि पालित संघ के यह बताए ग्यारह लाभ
शास्त्रों में छरि पालित संघ के ग्यारह लाभ बताए गए है। जो आरंभ समारंभ से निवृत्ति, धन की सफलता, संघ का उच्च वात्सल्य, सम्यक दर्शन की निर्मलता, स्नेही स्वजनों का हित, जीर्ण मंदिर व उपाश्रयों का उद्धार, तीर्थ उन्नति, जिनाज्ञा पालन, तीर्थंकर नाम कर्म उपार्जन, मोक्ष का असन्नभाव व सुरनर पदवी की प्राप्ति है।