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- ग्राम पंचायत पिंडखर में महान समाज सुधारक बाबा संत गाडगे महाराज की जयंती बड़े धूमधाम से मनाई गई।
आज ग्राम पंचायत पिंडखर तहसील अतर्रा थाना अतर्रा ब्लॉक बिसंडा में जदयू जिला महासचिव युवा प्रकोष्ठ कौशल किशोर यादव की अगुवाई में कार्यक्रम का आयोजन किया गया है कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्रीभजन यादव
मुख्या आतिथि शालिनी सिंह पटेल जेडीयू महिला प्रदेश अध्यक्ष शालिनी पटेल ने बताया रहने महान समाज सुधारक संत बाबा गाडगे के आदर्श पर देश की जनता को चलने की जरूरत है हम सभी को कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहिए महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे आना चाहिए युवाओं को हर क्षेत्र में आगे आना चाहिए एक दूसरे से भेदभाव नहीं करना चाहिए हमको सभी को एकत्र होकर रहना चाहिए ।
संत गाडगे बाबा ने पंढरपुर में हरिज़न धर्मशाला और बोर्डिंग स्थापित की थी. उनका उद्देश्य पिछड़ी जातियों के बच्चों के लिए भोजन और आवास प्रदान करना था. आज भी यहां मुफ्त शिक्षा और हॉस्टल सेवाएं चल रही हैं, जो समाज में बदलाव ला रही हैं.
संत गाडगे बाबा ने दी थी बाबा साहब को जमीन, यहां आज भी मिलती है मुफ्त शिक्षा
संत गाडगे बाबा
सोलापुर : देश में अस्पृश्यता उन्मूलन बाबासाहेब अम्बेडकर द्वारा शुरू किए गए कार्य में कई लोगों ने मदद की. संत गाडगे महाराज ने भी इस कार्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया. संत गाडगे महाराज ने डॉ. अम्बेडकर के लिए पंढरपुर में हरिज़न और अनाथ बच्चों की शिक्षा के लिए एक बड़ी ज़मीन दान दी थी. आज भी इस स्थान पर एक स्कूल और एक हॉस्टल है, जहां बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाती है. इस बारे में पंढरपुर के गौतमि विद्यालय के प्रधानाचार्य नंदकुमार मोटीराम वाघमरे ने जानकारी दी.
हरिज़न धर्मशाला और शिक्षा की शुरुआत
संत गाडगे महाराज ने पंढरपुर में एक हरिज़न धर्मशाला बनाई थी. उस समय अस्पृश्य लोगों के पास रहने की जगह नहीं थी. ये लोग खुले आसमान में रहते थे, धूप, हवा और बारिश का सामना करते थे. फिर संत गाडगे बाबा ने लोगों से दान एकत्र किया और इस स्थान पर चौखमेला धर्मशाला बनाई. बाद में, संत गाडगे बाबा को शिक्षा की अहमियत का एहसास हुआ और उन्होंने यहां हरिज़न बोर्डिंग की शुरुआत की. वाघमरे बताते हैं कि इस बोर्डिंग का उद्देश्य पिछड़ी जातियों के बच्चों के लिए भोजन और आवास की व्यवस्था करना था.
स्वयं सहायता से चला बोर्डिंग
गाडगे महाराज द्वारा शुरू किया गया बोर्डिंग सरकारी सब्सिडी के बिना चलता था. उस समय गाडगे महाराज और कुछ स्थानीय अम्बेडकर समर्थक इलाके से अनाज इकट्ठा करते थे. वे खुद रोटियां बनाते और यहां पढ़ाई कर रहे युवाओं को देते थे. बाद में, इस हॉस्टल में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ने लगी.
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डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर से मुलाकात
जब संत गाडगे बाबा बीमार पड़े थे, तो उन्होंने डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर को बुलाया था. अम्बेडकर से मिलने जाते वक्त उन्होंने एक कम्बल साथ लिया था. गाडगे बाबा ने कहा था, “जैसे आपने माया का कम्बल दान किया, वैसे ही मैं भी कुछ दान करना चाहता हूं.” 1956 में, संत गाडगे बाबा ने संत चौखमेला हॉस्टल और गौतमि विद्यालय की स्थापना की और इसे अम्बेडकर के संगठन को दान किया. प्रधानाचार्य वाघमरे का कहना है कि इस दान का उल्लेख संपत्ति स्लिप पर भी किया गया है.
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आज भी मुफ्त शिक्षा और हॉस्टल सेवा
संत गाडगे बाबा द्वारा दान दी गई ज़मीन पर एक मुफ्त हॉस्टल और गौतमि विद्यालय चल रहे हैं. यहां 5वीं से 10वीं तक की मुफ्त शिक्षा दी जाती है. इसके अलावा, पुस्तिकाएं, किताबें और स्कूल यूनिफॉर्म भी मुफ्त में प्रदान की जाती हैं. संत गाडगे बाबा चौखमेला हॉस्टल में छात्रों को मुफ्त आवास और भोजन उपलब्ध कराया जाता है. वाघमरे ने यह भी कहा कि इस संस्थान से पढ़े हुए कई लोग आज डॉक्टर, इंजीनियर, पुलिस और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं.
कार्यक्रम में सम्मिलित लोग दयाराम दयाराम यादव, विंदा यादव,रामलखन,शिव बदन, रमाकांत,रामनरेश, अरविंद, शिवम,दादू लाल,आदि लोग सम्मिलित थे