
दिल्ली में बंद होंगे सीएनजी वाहन? सरकार ने पूरी कर ली तैयारी, जल्द आएगी नई पॉलिसी
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण कम करने के लिए नई ईवी पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार किया है. 2025 से CNG ऑटो और 2026 से पेट्रोल-डीजल दोपहिया वाहन रजिस्ट्रेशन बंद होगा. तीन और चार-पहिया कमर्शियल वाहनों पर भी रोक लगेगी. प्राइवेट कार और बसों के लिए भी दिशा तय की गई है.

- 2025 से CNG ऑटो का रजिस्ट्रेशन बंद होगा.
- 2026 से पेट्रोल-डीजल दोपहिया वाहन रजिस्ट्रेशन बंद.
- दिल्ली में कमर्शियल वाहनों में भी बदलाव होंगे.
नई दिल्ली. राष्ट्रीय राजधानी की सरकार ने प्रदेश की जहरीली हवा से निपटने के लिए अब इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को मजबूती से बढ़ावा देने की तैयारी कर रही है. इसके लिए एक नई ईवी पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार किया गया है, जिसे जल्द ही सार्वजनिक किया जाएगा. पॉलिसी में कई ऐसे प्रस्ताव शामिल हैं जो दिल्ली की सड़कों पर आने वाले वर्षों में बड़ा बदलाव ला सकते हैं.
इस ड्राफ्ट में सबसे बड़ा फैसला यह हो सकता है कि 15 अगस्त 2025 के बाद नए CNG ऑटो रिक्शा का रजिस्ट्रेशन बंद कर दिया जाए. सरकार चाहती है कि पुराने CNG ऑटो के परमिट को इलेक्ट्रिक ऑटो में बदला जाए. जिनकी उम्र 10 साल या उससे ज्यादा है, उन्हें अनिवार्य रूप से ई-ऑटो में बदला जाएगा. इससे पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को हटाया जा सकेगा.
पेट्रोल-डीजल दोपहिया वाहन बंद करने की योजना
दिल्ली में 15 अगस्त 2026 के बाद कोई भी नया पेट्रोल, डीज़ल या CNG दोपहिया वाहन रजिस्टर नहीं किया जा सकेगा. यानी नए बाइक-स्कूटर अब केवल इलेक्ट्रिक ही होंगे. सरकार का उद्देश्य टू-व्हीलर से होने वाले कार्बन उत्सर्जन को पूरी तरह खत्म करना है.
तीन और चार-पहिया कमर्शियल वाहनों पर भी रोक
तीन-पहिया माल वाहनों के नए रजिस्ट्रेशन पर भी 15 अगस्त 2025 से रोक लग सकती है. वहीं, कचरा उठाने वाले चार-पहिया वाहन 31 दिसंबर 2027 तक पूरी तरह इलेक्ट्रिक हो जाएंगे. इससे राजधानी के कमर्शियल ट्रांसपोर्ट सेक्टर में भी ग्रीन बदलाव की शुरुआत होगी.
प्राइवेट कार और बसों के लिए भी दिशा तय
अगर किसी परिवार के पास पहले से दो गाड़ियां हैं और वे तीसरी कार खरीदना चाहते हैं, तो वह सिर्फ EV ही हो सकती है. वहीं, दिल्ली सरकार अब केवल इलेक्ट्रिक सिटी बसों की ही खरीद करेगी. डीज़ल बसें केवल इंटरस्टेट रूट पर चलेंगी. फिलहाल यह पूरी पॉलिसी ड्राफ्ट स्टेज में है और इसे सभी स्टेकहोल्डर्स को भेजा जाएगा ताकि उनके सुझावों और आपत्तियों के आधार पर फाइनल पॉलिसी तैयार की जा सके. मंजूरी के बाद इसे दिल्ली कैबिनेट में पेश किया जाएगा.