
न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन एवं अदम्य ग्लोबल फाउंडेशन के सहयोग से सृजन अमेरिका, सृजन मलेशिया, सृजन मॉरीशस, सृजन कतर एवं हिंदी विभाग, कला एवं मानविकी संकाय, एकलव्य विश्वविद्यालय, दमोह के संयुक्त तत्वावधान में हिंदी पत्रकारिता के 200वें वर्ष के सुअवसर पर मनाए जा रहे अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता माह- 2025 के अंतर्गत 25 जून 2025 को सुबह 11 बजे से ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों माध्यमों से मध्यप्रदेश में हिंदी साहित्य एवं पत्रकारिता : विविध आयाम विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गयी। इसमें हिंदी साहित्य, पत्रकारिता, जनपदीय लेखन, पत्र-पत्रिकाएँ, स्वतंत्रता आंदोलन, आधुनिक तकनीक, डिजिटल मीडिया, और नई प्रवृत्तियों से जुड़े विविध पहलुओं पर देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के विद्वानों के साथ ही अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, मॉरीशस, कतर के विद्वानों ने मंथन किया।
यह आयोजन एकलव्य विश्वविद्यालय की कुलाधिपति डॉ. सुधा मलैया, प्रति कुलाधिपति श्रीमती पूजा मलैया एवं श्रीमती रति मलैया के कुशल नेतृत्व, कुलगुरू प्रोफेसर पवन कुमार जैन, कुलसचिव डॉ. प्रफुल्ल शर्मा के निर्देशन एवं हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. हृदय नारायण तिवारी के संयोजन में किया गया। इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी की आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं संरक्षक विश्व प्रसिद्ध कवि, लेखक, पत्रकार एवं वैश्विक प्रधान संपादक डॉ. शैलेश शुक्ला, पूर्व महासचिव विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस एवं अधिष्ठाता, साहित्य संकाय, त्रिपुरा केंद्रीय विश्वविद्यालय डॉ.विनोद कुमार मिश्र, विशिष्ट अतिथि के रूप में विभागाध्यक्ष हिंदी अध्ययनशाला, कुलानुशासक, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार शर्मा, सीनियर प्रोफेसर एवं पूर्व विभागाध्यक्ष, डॉ. हरी सिंह गौर विश्वविद्यालय सागर से प्रोफेसर आनंद प्रकाश त्रिपाठी, विषय विशेषज्ञ के रूप में भूतपूर्व संयुक्त निदेशक, मध्यप्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी से प्रोफेसर सेवाराम त्रिपाठी, हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्रोफेसर शिव प्रसाद शुक्ल, राष्ट्रीय संपादक सृजन अमेरिका से श्री अरुण नामदेव, सृजन मॉरीशस से डॉ. सोमदत्त काशीनाथ, सृजन मलेशिया से डॉ. रश्मि चौबे, सृजन कतर से श्रीमती शालिनी गर्ग के साथ ही अनेक ख्यातिप्राप्त विद्वानों ने इस संगोष्ठी में विचार मंथन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ विद्या की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती एवं प्रथम पूज्य भगवान गणेश के चरणों में दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।
कुलगुरू प्रोफेसर डॉ. पवन कुमार जैन द्वारा अभी अतिथियों का स्वागत किया गया साथ ही पत्रकारिता के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों को रेखांकित किया गया। प्रथम सत्र की अध्यक्षता कर रहीं एकलव्य विश्वविद्यालय की कुलाधिपति डॉ. सुधा मलैया ने वर्तमान हिंदी पत्रकारिता खासकर प्रिंट मीडिया में हो रहे भाषायी क्षरण को पटल पर रखते हुए हिंग्लिश आधारित हिंदी के चलन पर चिंता व्यक्त करते हुए इससे बाहर निकलने की बात कही। बीज वक्तव्य में प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने प्रागैतिहासिक काल से चली आ रही चुनौतियों को ही वर्तमान की भी चुनौती माना साथ ही मध्यप्रदेश के प्रमुख हिंदी समाचार पत्रों का उल्लेख करते हुए इंदौर को पत्रकारिता की उर्वरा भूमि कहा। प्रोफेसर आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने मध्यप्रदेश के हिंदी साहित्य को रेखांकित करते हुए बुंदेलखंड के साहित्यकारों की लंबी श्रृंखला एवं उनके योगदान को पटल पर रखा। कतर की धरती से जुड़ी श्रीमती शालिनी गर्ग ने हिंदी की संवेदना को चिन्हित किया। अमेरिका से जुड़े सृजन अंतरराष्ट्रीय पत्रिका के राष्ट्रीय संपादक श्री अरुण नामदेव ने भारत के टीवी चैनलों पर हो रही भड़काऊ बहस पर चिंता व्यक्त करते हुए समाधान दिया। प्रोफेसर शिव प्रसाद शुक्ल ने पत्रकारिता और लोकतंत्र को व्याख्यायित करते हुए वर्तमान हिंदी पत्रकारिता की चुनौतियों से निपटने हेतु समाधान प्रस्तुत किया। प्रोफेसर सेवाराम त्रिपाठी ने मध्यप्रदेश की हिंदी पत्रकारिता पर विचार रखते हुए वर्तमान हवा-हवाई पत्रकारिता पर चिंता व्यक्त किया साथ ही पत्रकारिता में नैतिकता के क्षरण पर भी ध्यानाकर्षण कराया। सत्र की अध्यक्षता कर रहे एकलव्य विश्वविद्यालय के कला एवं मानविकी संकाय, अधिष्ठाता प्रोफेसर आर सी जैन ने हिंदी पत्रकारिता की संवेदना पर सहमति व्यक्त की। द्वितीय सत्र में डॉ. आशीष जैन द्वारा जैन पत्रकारिता के इतिहास को रेखांकित किया गया। प्रोफेसर सूर्य नारायण गौतम ने कहानी के माध्यम से वर्तमान पत्रकारिता की दिशा और दशा को चिन्हित किया गया।इस संगोष्ठी में अलग-अलग प्रदेशों से जुड़े दस से अधिक प्राध्यापकों एवं शोधार्थियों ने शोधपत्र का वाचन किया। इस अवसर पर डॉ. शैलेश शुक्ला ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए बताया कि हिंदी पत्रकारिता के 200वें वर्ष के सुअवसर पर सृजन समूह द्वारा अनवरत पूरे वर्ष भर में 200 से अधिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना है।कार्यक्रम के प्रथम सत्र के अंत में कुलसचिव डॉ. प्रफुल्ल शर्मा एवं द्वितीय सत्र के अंत में डॉ. सुधीर गौतम द्वारा आभार व्यक्त किया गया। इस अवसर पर देश के अलग-अलग राज्यों के प्राध्यापकों, संपादकों, संवाददाताओं, शोधार्थियों, विद्यार्थियों के साथ ही दुनिया के अनेक देशों अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, मॉरीशस, मलेशिया, कतर आदि के हिंदी प्रेमी जुड़कर इस ज्ञानयज्ञ को सफल बनाया। कार्यक्रम के अंत में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के संयोजक डॉ. हृदय नारायण तिवारी ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए बताया कि यह अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी अपने उद्देश्य में सफल रही साथ ही भविष्य में इस विषय पर सभी के सहयोग से विस्तृत कार्ययोजना प्रकाश में लायी जाएगी। इस वृहद आयोजन को सफल बनाने में छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ. शैलेन्द्र जैन, डॉ. शमा खानम, डॉ. सुधीर गौतम, डॉ. वैभव कैथवास, डॉ. स्वाति गौर, डॉ. रमाकांत त्रिपाठी, श्री रणजीत सिंह, डॉ. दुर्गा महोबिया, डॉ. प्रमीला कुशवाहा,आईटी प्रमुख श्री राम नरेश लोधी, श्री मुकेश तिवारी, श्री साहिल कुर्मी एवं सतेंद्र यादव का विशेष सहयोग रहा।