
हरदोई। करीब 6 दशक पहले यह गाना आया था कि अपने लिये जिये तो क्या जिये,खुदगर्ज़ दुनिया में ये इन्सान की पहचान है। जो पराई आग में जल जाए वो इन्सान है,अपने लिये जिये तो क्या जिये,तू जी ऐ दिल जमाने के लिये,नाकामियों से घबरा के क्यों अपनी आस खोते हो,मैं हमसफर तुम्हारा हूँ क्यों तुम उदास होते हो,हँसते रहो हँसाने के लिये यह गाना आज प्रहलाद नगरी जन कल्याण समिति के अध्यक्ष प्रमुख समाजसेवी शिवम द्विवेदी पर फिट बैठता है! वैसे राजनीति और समजसेवा दोनों ही अलग-अलग पहलू हैं! इनका एक-दूसरे के साथ कोई मुकाबला नहीं है! भले ही राजनीति को भी सेवा का एक साधन माना जाता है, लेकिन वर्तमान समय में राजनीति का गिरता स्तर इसको सामाजिक सेवा के बराबर खड़ा नहीं करता है! इसलिए समाज सेवा के कार्य की शालीनता को सहेजने की जरूरत है और इस समाज सेवा की एक जीती जागती मिसाल बने हुए है हरदोई के रहने वाले शिवम द्विवेदी। समय समय पर समाज के उत्थान में अपना अतुलनीय योगदान देने के लिए हमारा देश राजा राम मोहन राय, दयानंद सरस्वती, विनोभा भावे, मदर टेरेसा जैसे अन्य कई महान समाज सुधारकों का हमेशा ऋणी रहेगा। वर्षों पहले समाज सुधार के लिए उनके द्वारा किए गए कार्यों की चमक से आज भी हमारा समाज प्रकाशमान है। समाज सेवा के इस गुण को अपने चरित्र का हिस्सा बनाने वाले प्रहलाद नगरी जन कल्याण समिति के अध्यक्ष प्रमुख समाजसेवी शिवम द्विवेदी समाज में एक आदर्श बनकर उभर रहे है। और समाज सेवा के लिए भौतिक संसाधनों से कहीं अधिक दिल में समाज सेवा की भावना लिए बैठे है। तथा संसाधनों की कमी के बावजूद भी समाज सेवा में अग्रणी रहते हुए अपनी छाप छोड़ रहे है। तो दूसरी तरफ कुछ लोग संसाधनों की भरमार होते हुए भी स्वयं और परिवार की सेवा तक ही सीमित रहते हैं! ऐसे लोगों को कभी भी समाज सेवा के लिए प्रेरित नहीं किया जा सकता। क्योंकि उनके निजी स्वार्थ और अभिमान के आगे समाज सेवा के सभी तर्क औंधे मुंह गिरते हुए नजर आते है। लेकिन समाजसेवी शिवम द्विवेदी भूखे को भोजन,प्यासे को पानी, बीमार को दवाई, अनाथों को आश्रय व पुलिस प्रशासन का हमेशा सहयोग करते हुए नजर आते है। और यह ही नही जेलो में बंद गरीब बन्दियों के अलावा अन्य किसी भी प्रकार से किसी भी जरूरतमंद की निस्वार्थ उनकी मदद करना ही समाज सेवा ही मानते है। किसी इंसान को बिना बताए उसकी सहायता करना और उस मदद से मिलने वाली खुशी को उसकी आंखों में महसूस करना ही सच्ची जनसेवा है। होती है। समाजसेवी शिवम द्विवेदी की समाज सेवा की भावना वाकई में काबिले तारीफ है। वाकई में शिवम द्विवेदी जैसे व्यक्ति समाज सेवा का गुण और समाज सेवा करने वाले समाज और देश के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। मैं एक समाज सेवी को एक राजनीतिज्ञ से अधिक ऊंचे दर्जे का इंसान मानता हूं! राजनीति और समाज सेवा दोनों अलग-अलग पहलू हैं। इनका एक-दूसरे के साथ कोई मुकाबला नहीं है। भले ही राजनीति को भी सेवा का एक साधन माना जाता है। लेकिन वर्तमान समय में राजनीति का गिरता स्तर इसको सामाजिक सेवा के बराबर खड़ा नहीं करता है! इसलिए समाज सेवा के कार्य की शालीनता को सहेज रहे प्रमुख समाज सेवी शिवम द्विवेदी जैसे व्यक्ति की आज बहुत जरूरत है।