
अजीत मिश्रा (खोजी)
।। लेखपाल के दबंगई व पेड़ कटान मामले में मुकदमा दर्ज पर अन्य कार्यवाही व लकड़ी की बरामदगी अभी बाकी।।
💫बिना विधिक कार्यवाही पूर्ण किए सोनहा थाना के अन्तर्गत पेलनी ग्राम में दबंग लेखपाल ने कटवाए थे दर्जनों पेड़ ।
बस्ती , उत्तर प्रदेश
बस्ती।। लेखपाल द्वारा दबंगई पूर्वक पेलनी ग्राम के सरकारी जमीन में स्थित दर्जनों सागौन के पेड़ों के कटान मामले में लेखपाल सहित तीन अन्य के खिलाफ वन अधिनियम की धारा 4/10 के तहत मुकदमा दर्ज हो गया है परन्तु लकड़ी की बरामदगी व लेखपाल के विरुद्ध अन्य विभागीय कार्यवाही अभी शेष रह गया है जिसको लेकर मामले के शिकायतकर्ता राम मिलन ने अधिकारियों से सम्पर्क साधना शुरू कर दिया है।
प्राप्त समाचार के अनुसार -भानपुर तहसील के अंतर्गत नगर पंचायत भानपुर के राजस्व ग्राम पेलानी में सरकारी खलिहान की भूमि पर लगे पेड़ों की अवैध कटाई का मामला सामने आया था, जिससे प्रशासनिक कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठने लगे थे। शिकायतकर्ता राम मिलन निवासी टाउन एरिया भानपुर ने आईजीआरएस पोर्टल पर सन्दर्भ – संख्या-40018525024641) पर शिकायत दर्ज कराई थी कि दिनांक 18 जुलाई 2025 को गाटा संख्या 233 में स्थित खलिहान की भूमि पर लगभग 15 पेड़ों की कटाई लेखपाल की मौजूदगी में करा ली गयी है। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए क्षेत्रीय वन अधिकारी सोनल वर्मा, रामनगर रेंज द्वारा जांच कराई गई। जांच आख्या पत्रांक-26/22-1 दिनांक 23.07.2025 के अनुसार, मौके की जांच वन दरोगा द्वारा की गई, जिसमें पुष्टि हुई कि 10 पेड़ों की कटाई मुनिराम, कृष्णचन्द्र और अखिलेश (सभी पुत्र मुनिराम) द्वारा की गई है। वन विभाग ने इस मामले में रेंज केस संख्या-15/2025-26 दर्ज कर लिया है। हालांकि, सबसे गंभीर सवाल लेखपाल की भूमिका को लेकर उठ रहा है। शिकायत व जांच दोनों में स्पष्ट उल्लेख है कि कटाई लेखपाल की मौजूदगी में हुई, लेकिन जांच रिपोर्ट में लेखपाल के खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही या अनुशासनात्मक कार्यवाही का उल्लेख नहीं किया गया है। जानकारों का मानना है कि यदि लेखपाल की मौजूदगी में सरकारी भूमि पर पेड़ों की कटाई हुई और उन्होंने न तो उसे रोका और न ही रिपोर्ट किया, तो यह उनके कर्तव्यों का स्पष्ट उल्लंघन है। ऐसे मामलों में उनके खिलाफ निलंबन, कारण बताओ नोटिस, वेतन रोक जैसी प्रशासनिक कार्यवाही के साथ-साथ भारतीय न्याय संहिता की संबंधित सुसंगत धाराओं तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1976 व संबंधित वन कानूनों के तहत लेखपाल को सह-अभियुक्त भी बनाया जा सकता है। हालांकि वन विभाग ने केस दर्ज कर लिया है, लेकिन अब तक लेखपाल पर कोई स्पष्ट कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे यह संदेह गहराता जा रहा है कि कहीं प्रशासन इस मामले को रफा – दफा करने की दिशा में तो नहीं बढ़ रहा। शिकायतकर्ता ने मांग किया है कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए और लेखपाल की भूमिका की स्वतंत्र जांच कराई जाए तथा डीएम स्तर पर लेखपाल के विरुद्ध उच्च स्तरीय जांच बैठाई जाए विधिक कार्यवाही प्रस्तावित की जाए।