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झालावाड़ जैसी त्रासदियों को रोकने के लिए ‘थर्ड-पार्टी सेफ्टी ऑडिट’ और ‘ग्रामीण पुनर्निर्माण कोष’ अनिवार्य हो: डॉ. नयन प्रकाश गांधी ,पूर्व सलाहकार ग्रामीण विकास विभाग राज.सरकार

राजस्थान के झालावाड़ जिले के पीपलोदी गाँव में हुए दर्दनाक स्कूल हादसे के बाद, जिसमें सात बच्चों की मौत हो गई, देश भर में ग्रामीण सार्वजनिक ढांचे की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। इस संदर्भ में, मैनेजमेंट विश्लेषक और ग्रामीण विकास मामलों के पूर्व सलाहकार एवं भारत सरकार के प्रतिष्ठित अंतराष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान मुंबई विश्विद्यालय के शहरी क्षेत्रीय योजना के एलुमनाई एवं बकानी झालावाड़ मूल के कोटा निवासी

डॉ.नयन प्रकाश गांधी ने व्यवस्थागत सुधारों की तत्काल आवश्यकता पर बल देते हुए एक ठोस कार्ययोजना का सुझाव दिया है।डॉ. गांधी ने कहा कि यह हादसा केवल एक प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि उस गहरी खाई का नतीजा है जो सरकार की ‘विकसित भारत’ जैसी दूरदर्शी योजनाओं और जमीनी स्तर पर उनके निराशाजनक क्रियान्वयन के बीच मौजूद है।

गांधी के अनुसार , “एक तरफ सरकार नई शिक्षा नीति और पीएम श्री स्कूल जैसी बेहतरीन पहल कर रही है, वहीं दूसरी ओर हमारे बच्चे जर्जर इमारतों में पढ़ने को मजबूर हैं। इस विरोधाभास का मुख्य कारण पंचायत स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार और निगरानी तंत्र की विफलता है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि विकास के लिए आवंटित बजट अक्सर स्थानीय अधिकारियों और ठेकेदारों के गठजोड़ की भेंट चढ़ जाता है, जिससे मरम्मत और निर्माण कार्यों में घटिया सामग्री का उपयोग होता है या काम सिर्फ कागजों पर होता है।

इस समस्या से निपटने के लिए डॉ. गांधी ने एक त्रि-स्तरीय समाधान सुझाया। पहला, देश भर के सभी सरकारी भवनों, विशेषकर स्कूलों और अस्पतालों का हर दो साल में एक स्वतंत्र ‘थर्ड-पार्टी सेफ्टी ऑडिट’ अनिवार्य किया जाए और उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए। दूसरा, केंद्र और राज्य स्तर पर एक समर्पित ‘ग्रामीण अवसंरचना पुनर्निर्माण कोष’ की स्थापना की जाए, ताकि जर्जर इमारतों की मरम्मत के लिए धन की कमी न हो। तीसरा, ग्राम पंचायतों को सीधे फंड देकर और जवाबदेह बनाकर सशक्त किया जाए। डॉ. गांधी ने इस मुद्दे को केवल स्कूल भवनों तक सीमित न रखते हुए इसे कमजोर आपदा प्रबंधन से भी जोड़ा। उन्होंने कहा, “एक स्कूल की छत का बारिश में ढह जाना और शहरों का थोड़ी बारिश में डूब जाना, दोनों ही एक कमजोर बुनियादी ढांचे और योजना की कमी का संकेत हैं। आज कागजों में कई स्मार्ट सिटी का नजारा बरसात आने पर असल में दृष्टिगत होता है ,की असल में कमी कहा है ,उचित योजना के बिना शहर या गांव का मूलभूत ढांचा खड़ा नहीं किया जा सकता ,अब केंद्र और राज्य स्तर पर हर जिले स्तर पर शहरी प्रबंधन ,अर्बन प्लानर,डिजास्टर मैनेजमेंट प्रोफेशनल की नियुक्ति करनी होगी ,युवा संबंधित क्षेत्र के एक्सपर्ट प्रोफेशनल एक नई प्रक्रिया से गांव और शहर के समुचित प्रबंधन के मूलभूत ढांचे की योजना बनाएंगे तब उपयुक्त खर्च सतत् विकास के अनुरूप बेहतर मजबूत ढांचे के साथ ही गांव शहर सुनियोजित ढंग से बन पाएगा ।उन्होंने सरकार की नीतियों की सराहना करते हुए कहा कि विजन और इरादों में कोई कमी नहीं है, लेकिन सफलता तभी मिलेगी जब क्रियान्वयन की कड़ी को भ्रष्टाचार मुक्त और पारदर्शी बनाया जाएगा। गांधी ने कहा कि झालावाड़ की घटना एक चेतावनी है कि अब केवल घोषणाओं से नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर ठोस और ईमानदार कार्रवाई से ही भारत का हर गाँव सुरक्षित और विकसित बन पाएगा।

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