
*जिला जनसंपर्क कार्यालय सतना*
*समाचार*
*लोकसभा निर्वाचन 2024*
*लाइव तस्वीरों के जरिये राजनैतिक दल एवं उम्मीदवारों के प्रतिनिधि कर रहे स्ट्रांग रूम की निगरानी*
*37 सीसीटीव्ही कैमरों से रखी जा रही स्ट्रांगरूम पर नजर*
सतना 13 मई 2024/लोकसभा चुनाव 2024 के लिये सतना संसदीय क्षेत्र में 26 अप्रैल को हुये मतदान के बाद ईव्हीएम और व्हीव्हीपैट मशीनों को कड़ी सुरक्षा के बीच शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के नवीन भवन में विधानसभावार बनाये गये स्ट्रांगरूम में रखा गया है। स्ट्रांगरूम की सुरक्षा की मुख्य जिम्मेदारी केंद्रीय सशस्त्र सुरक्षा बल के जवानों ने संभाल रखी है। स्ट्रांगरूम के पास प्राधिकत व्यक्तियों को छोड़कर किसी को भी जाने की अनुमति नहीं है। वहीं स्ट्रांगरूम के भीतर और उसके चारों ओर की प्रत्येक गतिविधि पर 37 सीसीटीव्ही कैमरों से नजर रखी जा रही है।
भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार मान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों एवं उम्मीदवारों अथवा उनके अभिकर्ताओं के समक्ष सीसीटीव्ही कैमरों की लाइव तस्वीरें प्रदर्शित करने नवीन भवन के पीछे बड़ी एलईडी स्क्रीन भी लगाई गई है। इस स्क्रीन पर सीसीटीवी कैमरों की लाइव तस्वीरें चौबीस घण्टे प्रदर्शित की जा रही हैं। ये कैमरे नवीन भवन के तीनों तल पर बने सभी सात विधानसभाओं के अलग-अलग बने स्ट्रांगरूम के प्रवेश द्वार पर लगाये गये हैं। राजनैतिक दलों और उम्मीदवारों के प्रतिनिधियों की सुविधा के लिये यहाँ पंडाल भी लगाया गया हैं, जहाँ ये एलईडी स्क्रीन पर प्रदर्शित इन सीसीटीव्ही की लाइव तस्वीरों के माध्यम से स्ट्रांगरूम पर चौबीस घण्टे निगरानी रख रहे हैं।
निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी अनुराग वर्मा ने स्ट्रांगरूम की चौबीस घण्टे निगरानी रखने कार्यपालिक मजिस्ट्रेटों को तैनात किया है। कलेक्टर श्री वर्मा ने रोस्टर तय कर सतना संसदीय क्षेत्र में शामिल सतना और मैहर जिले की सात विधानसभा क्षेत्रों के सहायक रिटर्निंग अधिकारियों को प्रतिदिन स्ट्रांग रूम का निरीक्षण करने ड्यूटी लगाई है। निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार स्ट्रांगरूम अब मतगणना दिवस 4 जून की सुबह निर्वाचन आयोग द्वारा नियुक्त किये जाने वाले गणना प्रेक्षकों तथा राजनैतिक दलों और उम्मीदवारों अथवा उनके निर्वाचन अभिकर्ताओं की मौजूदगी में खोले जायेंगे।
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*कृषि उत्पादन आयुक्त 16 मई को करेंगे खरीफ फसल तैयारी की समीक्षा*
सतना 13 मई 2024/खरीफ फसल तैयारी की संभागीय समीक्षा बैठक 16 मई को आयोजित की जा रही है। बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त खरीफ फसल तैयारी की जिलेवार समीक्षा करेंगे। बैठक में रबी फसल कार्यक्रम की प्रगति, कृषि की प्रगति के लिए कार्ययोजना निर्माण तथा कृषि विविधीकरण के प्रयासों की समीक्षा की जाएगी। बैठक में सुबह 10 बजे से दोपहर एक बजे तक कृषि विभाग तथा सहकारिता विभाग की योजनाओं की समीक्षा की जाएगी। बैठक में भोजन अवकाश के बाद शाम 6 बजे तक उद्यानिकी, खाद्य प्रसंस्करण, पशुपालन, डेयरी विकास, मछली पालन विभाग तथा अन्य संबंधित विभागों की समीक्षा की जाएगी। सभी संबंधित अधिकारियों को निर्धारित समय में बैठक में उपस्थित रहने के निर्देश दिए गए हैं।
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*प्रदेश के प्रत्येक जिले में लगेंगे पुस्तक मेले*
*स्कूल शिक्षा विभाग ने जारी किये निर्देश*
सतना 13 मई 2024/निजी स्कूलों, प्रकाशकों और किताब विक्रेताओं की साठगांठ से अभिभावकों को राहत दिलाने राज्य शासन ने प्रदेश भर में इनका आयोजन करने के निर्देश दिये हैं। राज्य शासन के स्कूल शिक्षा विभाग ने इस बारे में प्रदेश के सभी जिलों के कलेक्टर को पत्र भेजकर नये शैक्षणिक सत्र में विद्यार्थियों एवं अभिभावकों को उचित मूल्य पर पुस्तकें, यूनिफार्म, कापियां एवं स्टेशनरी आदि सुलभ कराने पुस्तक मेले का आयोजन करने कहा है।
पुस्तक मेला के आयोजन के बारे में राज्य शासन के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जिला कलेक्टरों को दिये गये निर्देशों में कहा गया है कि यदि उनके जिले में निजी स्कूलों, प्रकाशकों और किताब विक्रेताओं की साठगांठ के कारण विद्यार्थियों और अभिभावकों को परेशानी हो रही है तो स्थानीय परिस्थितियों का आंकलन कर प्रत्येक जिले में उपयुक्त स्थान का चयन कर यथाशीघ्र इसका आयोजन किया जाये। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा कहा गया है कि पुस्तक मेला में कॉपी-किताबों के साथ-साथ यूनिफार्म एवं अन्य शैक्षणिक सामग्री के स्टॉल भी प्रकाशकों एवं विक्रेताओं से लगवायें जायें, ताकि एक ही स्थान पर सभी सामग्री उचित और न्यूनतम दर पर उपलब्ध हो सके। कलेक्टरों को पुस्तक मेले के आयोजन में चुनावी आदर्श आचार संहिता का विशेष ध्यान रखने कहा गया है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा पत्र में बताया गया है कि पुस्तक मेले के आयोजन कि अनुमति भारत निर्वाचन आयोग से प्राप्त कर ली गई है।
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*संतुलित उर्वरकों के उपयोग से बढ़ती है पैदावार*
सतना 13 मई 2024/कृषि वैज्ञानिकों द्वारा समय-समय पर किये गये प्रयोगों से यह बात साबित हो चुकी है कि खेतों से अधिकत्तम उत्पादन प्राप्त करने के लिये उर्वरकों के संतुलित व समन्वित उपयोग की जरूरत होती है न कि उर्वरकों के अधिक इस्तेमाल की। एक ही तरह के उर्वरकों का उपयोग करने से फसलों को उचित पोषक तत्व नहीं मिल पाते, जिससे खेतों की उर्वरा शक्ति क्षीण हो जाती है। इसलिये कृषकों को मिट्टी की प्रकृति को ध्यान में रखकर संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिये । ऐसा करके किसान उर्वरकों की खपत काफी कम कर सकते हैं और अपना आर्थिक बोझ भी कम कर सकते हैं।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार फसलों में उर्वरकों के उपयोग से पहले यह जानना जरूरी है कि मिट्टी की प्रकृति कैसी है अर्थात मिट्टी भारी है या हल्के किस्म की। ऐसा इसलिये आवश्यक है क्योंकि जब भूमि में उर्वरकों का उपयोग किया जाता है तब उसका बहुत बड़ा भाग मिट्टी की निचली सतह में बहकर चला जाता है, जिसका फसल में कोई उपयोग नहीं हो पाता। बालुई या हल्की मिट्टी में नत्रजनधारी उर्वरक जैसे सोडियम नाइट्रेट, कैल्शियम नाइट्रेट आदि का रिसाव चिकनी मिट्टी की अपेक्षा अधिक होता है। इसलिये हल्की मिट्टी में नत्रजनधारी उर्वरकों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिये, अन्यथा फसलों को जरूरत के मुताबिक उर्वरक प्राप्त नहीं होंगें और उत्पादन पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा।
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार उर्वरकों को हमेशा पौधों की जड़ों के आसपास देना चाहिये। जमीन के ऊपर उर्वरक बिखेरने से वह पौधों की जड़ों तक नहीं पहुंच पाते। नाइट्रोजनयुक्त उर्वरकों को एक बार में न देकर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में फसल की आवश्यकतानुसार दो या तीन बार में देना चाहिये। साथ ही उर्वरक देते समय भूमि में नमी होना भी आवश्यक है, क्योंकि पौधों की जड़ें घोल के रूप में पोषक तत्व ग्रहण करती हैं। खड़ी फसलों में उर्वरकों का प्रयोग पानी में घोलकर करना चाहिये। नत्रजन, स्फुर व पोटाश जैसे यूरिया, डीएपी व पोटेशियम सल्फेट को पानी में घोलकर खड़ी फसलों में दिया जा सकता है।
जैविक खादों जैसे गोबर खाद, कम्पोस्ट अथवा हरी खाद के प्रयोग से भी रासायनिक उर्वरकों की खपत कम की जा सकती हे। कृषि विशेषज्ञ किसानों को यह भी सलाह देते हैं कि फसलों को जितने पानी की आवश्यकता हो उतनी ही सिंचाई करें अर्थात खेतों को अनावश्यक रूप से जलमग्न नहीं करना चाहिये। ऐसा करने से उर्वरक पानी के साथ रिसकर जमीन में नीचे बह जाते हैं।
खड़ी फसल में उर्वरकों का प्रयोग तब करना चाहिये जब खेत पांव सहन करने लगें। साथ ही खरपतवारों को निकालकर उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिये अन्यथा वे भी उर्वरकों से पोषक तत्व ग्रहण कर लेते हैं और उत्पादन क्षमता घट जाती है। उर्वरकों का उपयोग मृदा के पीएच मान के आधार पर ही करना चाहिये, क्योंकि सभी उर्वरक हर प्रकार की जमीन में उपयुक्त नहीं होते।
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