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कर्बला के शहीदो के नाम ताजिया की मातमी जुलूस निकाला गया

आरा। सर्व-धर्म हुसैनी एकता समाज आरा के तत्वावधान मे कर्बला के शहीदो के नाम ताजिया की मातमी जुलूस आरा शहर में महादेवा महाजन टोली नम्बर 1 स्थित डिप्टी शेर अली के इमामबाड़ा से स्व अहमद हुसैन की तरफ से शहर में निकाला गया।बताया गया कि मुहर्रम की 10 तारीख है, यानि “यौमे आशूरा” का दिन है। यह जुलूस महादेवा रोड, धर्मन चौक, टाउन थाना, नाला मोड़, पुरानी पुलीस लाइन होते हुए छोटी कर्बला मौला बाग़ में जाकर समाप्त हुआ। यह जुलूस निकलने की परम्परा लगभग 200 वर्ष पुरानी है। इसमें कर्बला मे हज़रत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की शहादत को याद करके नौहा पढ़ा जाता है और मातम किया जाता है। शिया समाज के लोग विशेषकर काला वस्त्र पहनकर इस शोकपूर्ण घटना की याद में मातम, नौहा करते हुए शोक मनाते है।वहीं सभी समुदाय के लोग भी इस शोकपूर्ण घटना की याद में जुलूस के साथ शामिल रहते हुए अपना भरपूर सहयोग करते हैं।इस जुलूस मे सैयद अली हुसैन, सैयद हसनैन, सैयद, सैयद रेयाज हुसैन, सैयद वारिस बिलग्रामी ने नौहा पढ़ा। सैयद रेयाज हुसैन ने नौहा पढ़ा जिसकी पंक्तियाँ इस प्रकार हैं “ज़ुल्म जो मुसाफ़िर पर हो गया ना भूलेंगे” “भूल जाएंगे सब कुछ कर्बला ना भूलेंगे”।
जुलूस में सैयद आबिद बिलग्रामी, प्रो• सैयद एजाज़ हुसैन, सैयद आबिद हुसैन, सैयद अक़ील हैदर, सैयद अहमद अब्बास, क़मर बिलग्रामी, शादाब हुसैन, नासिर हसन, सैयद यावर हुसैन, सैयद अबरार हैदर, क़मर हैदर, गुड्डु अंसारी, लड्डन अंसारी, आदि अन्य लोग शामिल थे। जुलूस में “सर्व-धर्म हुसैनी एकता समाज” की तरफ़ से ओम प्रकाश “मुन्ना”, मुहम्मद एकराम, वीर बहादुर आदि का इसके संचालन में महत्वपूर्ण योगदान रहा। प्रशासन की ओर से जुलूस की देख रेख में अच्छी व्यवस्था रखी गई। मिडिया कर्मी बन्धुओं द्वारा इसकी लाईव कवरिंग लगातार की गई, जो कि प्रशंसनीय है।

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