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भगवा वस्त्र, माथे पर तिलक लगाए ‘स्वामी सारंग’ ने मनाया मातम, यौम ए आशूरा पर लखनऊ में दिखी हिन्दू-मुस्लिम एकता

यूपी में हिन्दू मुस्लिम एक राजनीतिक मुद्दा है। लेकिन मोहर्रम के मौके पर हिन्दू-मुस्लिम के एकता की मिशाल देखने को मिली है। स्वामी सारंग मोहर्रम के जुलूस में मौलाना कल्बे जव्वाद के साथ दिखे हैं। इस दौरान स्वामी सारंग ने या अली या हुसैन को याद कर मातम भी मनाया है।

हाइलाइट्स

  • बुधवार को मुहर्रम की दसवीं तारीख यौम ए आशूरा के मौके पर मोहर्रम का जुलूस निकाला गया
  • मुसलमानों की मानें तो मोहर्रम का इंतजार मुसलमानों के साथ साथ हिन्दू भाइयों को भी बेसब्री से रहता है
  • लखनऊ में भी भगवा कपड़े और माथे पर तिलक लगाए स्वामी सारंग ने अपने गम का इजहार किया है
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भगवा वस्त्र, माथे पर तिलक लगाए ‘स्वामी सारंग’ ने मनाया मातम, यौम ए आशूरा पर लखनऊ में दिखी हिन्दू-मुस्लिम एकता
अभय सिंह राठौड़, लखनऊ: मोहर्रम का महीना इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना माना जाता है। इस महीने का 10वां दिन मुसलमानों के लिए काफी खास होता है, जिसे आशूरा के रूप में मनाया जाता है। बुधवार को मुहर्रम की दसवीं तारीख यौम ए आशूरा के मौके पर मोहर्रम का जुलूस निकाला गया। मुसलमानों की मानें तो मोहर्रम का इंतजार मुसलमानों के साथ साथ हिन्दू भाइयों को भी बेसब्री से रहता है। इसकी एक झलक राजधानी लखनऊ में भी देखने को मिली है। भगवा कपड़े और माथे पर तिलक लगाए स्वामी सारंग ने ‘या अली’ और ‘या हुसैन’ के नारों के बीच अपने गम का इजहार किया है।

दरअसल बुधवार को यौमे आशूरा यानी दसवीं मोहर्रम के मौके पर पुराने लखनऊ के इमामबाड़ा नाजिम साहब से कर्बला तालकटोरा तक जुलूस ए आशूरा निकाला गया। जिसमें लखनऊ के सैकड़ों अंजुमनों ने नौहाख्वानी और सीनाजनी कर कर्बला के शहीदों को खिराजे अकीदत पेश की। वहीं इस दौरान लखनऊ की गंगा जमुनी तहजीब का नजारा भी देखने को मिला। इस मौके पर स्वामी सारंग मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद के साथ नजर आए। इतना ही नहीं, भगवा वस्त्र धारण कर माथे पर तिलक और गले में रुद्राक्ष की माला पहने स्वामी सारंग ने भी खूनी मातम मनाकर अपने भाव प्रकट किए हैं।

स्‍वामी सारंग ने याद किया कर्बला का संदेश

आशूरा के दिन हजरत रसूल के नवासे यानी नाती हजरत इमाम हुसैन, उनके बेटे समेत 72 लोगों इराक के शहर कर्बला के मैदान में शहीद कर दिया था। तभी से दुनिया भर के न सिर्फ मुसलमान बल्कि दूसरे समुदाय के लोग भी इस महीने में कर्बला में शहीद हुए हजरत इमाम समेत उनके साथियों की याद में ताजियादारी, लंगर और जुलूस निकालते हैं। वहीं इस मौके पर स्वामी सारंग ने कहा कि कर्बला एक विश्वव्यापी संदेश है। इसका संदेश इमाम हुसैन ने अपनी शहादत से दिया है, जिसको पूरी दुनिया शांति के रूप में पसंद करती है। स्वामी सारंग ने मौके पर गमे हुसैन में अपनी पीठ पर कमां और जंजीर जानी यानी मातम के समय उपयोग होने वाले चेन से बंधे चाकू भी चलाए।

पिछले 8-10 साल से शामिल हो रहे हैं

स्वामी सारंग करीब 8-10 साल से शांति का संदेश देने के लिए मोहर्रम के जुलूस में शामिल हो रहे हैं। बताया जाता है कि प्रयागराज के रहने वाले स्वामी सारंग का जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ था। आध्यात्मिक गुरु के रूप में पहचान बनाने वाले स्वामी सारंग ने इमाम हुसैन पर अध्ययन भी किया है। लखनऊ में यौमे आशूरा यानी दसवीं मोहर्रम को पूरी अकीदत एहतराम और गमगीन माहौल में मनाया गया है। इस मौके पर मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद ने कहा कि इमाम हुसैन ने साढ़े तेरह सौ बरस पहले हिन्दुस्तान में बसने की ख्वाहिश जाहिर की थी लेकिन वह कर्बला में शहीद हो गए। उनकी इस ख्वाहिश को हिन्दुस्तान के रहने वाले हर धर्म के लोग आज भी उसी तरह से मातम और मजलिस के जरिए पूरा करने की कोशिश करते हैं।

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