A2Z सभी खबर सभी जिले कीUncategorizedअन्य खबरे

विकसित भारत की कल्पना बारिश के दिनों कई गांव कस्बे बन जाते हैं टापू

विकसित भारत की कल्पना  बारिश के दिनों कई गांव कस्बे बन जाते हैं टापू

जान जोखिम में डालकर कर रहे हैं अपने कर्तव्य का निर्वाह

एक ओर जहाँ शासन प्रशासन आजादी का अमृत महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया और हमारे देश में विकसित भारत की कल्पना भी की जा रही है बड़े-बड़े वादे शासन प्रशासन में बैठे लोग भी कर रहे हैं अंतिम छोर तक बसे लोगों को पूरी सुविधा दी जाएगी, तो वहीं सिहावा विधानसभा के अंतिम सुदूर छोर में बसे बीहड़ जंगलो के बीच रोजमर्रा की समस्या से जूझता हुआ ग्राम घोरागांव बसा है।कठिनाइयों का समाधान करने का आज तक किसी भी सरकार ने प्रयास नहीं किया। प्रधान पाठक गजानंद सोन से संपर्क करने पर बताया कि विद्यालय व गाँव तक पहुंचने के लिए दो नाले,जंगल रास्ता व एक बड़ा ऊफनती सोंदुर नदी को पार करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में गाँव तक पहुंचना ही सबसे बड़ी चुनौती है। दोनों नालो में रपटा नहीं है।गाँव वाले अनेको बार शासन प्रशासन से नदीं में पुल बनाने हेतु निवेदन करके थक गए हैं। अवगत हो कि इस आदिवासी बहुल ग्राम में कमार जाति के लोग अधिक है। सरकार कमार जाति को विकाश की मुख्य धारा से जोड़ना चाहती हैं, किन्तु समस्या जस की तस है। ग्रामीणों के साथ साथ हमें भी प्रतिदिन जान जोखिम में रख कर कर्त्तब्य पथ पर सभी शिक्षक साथियों के ऊफनती नदी को पार करना ही पड़ता है।गाँव वालो को राशन लाने व स्वास्थ्य सुविधाओ के लिए 10-12 किलो मीटर दूर फरसियाँ,भोथली,सांकरा जाना पड़ता है। ग्रामीणों ने शासन से अतिशीघ्र पुल निर्माण की मांग किया है। वास्तव में देखा जाए तो ऐसी परिस्थितियों में क्या शासन प्रशासन इनके लिए क्या व्यवस्था करती है कि उनकी जान जोखिम में न जाए और यह सुरक्षित अपने कर्तव्य का पालन करें सबसे बड़े विचारणीय बात तो यहां है ऐसी जगह रहने वालों की क्या स्थिति होगी स्वास्थ्य को लेकर सबसे बड़ी चिंता इनको सताती होगी अगर इन बारिश के दिनों में किसी का स्वास्थ्य खराब हो जाए कोई महिला प्रेग्नेंट हो जाए प्रवास के दौरान अगर स्वास्थ्य केंद्र लाना पड़े तब क्या होगा एक तरफ शहर में अगर रोड में घुटने तक पानी भर जाने पर आकर मचाया जाता है जबकि आदमी आराम से वहां सफर कर सकता है तो विचार किया जा सकता है कि ऐसे में एक ऊफनती नदी को कैसे पार कर स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा जा सकता है यह बहुत बड़ी जटिल समस्या उच्च पद पर बैठे शासन प्रशासन में लोगों को विचार करने की स्थिति और योजनाओं को धरातल में लाकर ऐसे क्षेत्रों को विकसित कर वहां के लोगों को सुविधा देने की सोचनी चाहिएएक ओर जहाँ शासन प्रशासन आजादी का अमृत महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया और हमारे देश में विकसित भारत की कल्पना भी की जा रही है बड़े-बड़े वादे शासन प्रशासन में बैठे लोग भी कर रहे हैं अंतिम छोर तक बसे लोगों को पूरी सुविधा दी जाएगी, तो वहीं सिहावा विधानसभा के अंतिम सुदूर छोर में बसे बीहड़ जंगलो के बीच रोजमर्रा की समस्या से जूझता हुआ ग्राम घोरागांव बसा है।कठिनाइयों का समाधान करने का आज तक किसी भी सरकार ने प्रयास नहीं किया। प्रधान पाठक गजानंद सोन से संपर्क करने पर बताया कि विद्यालय व गाँव तक पहुंचने के लिए दो नाले,जंगल रास्ता व एक बड़ा ऊफनती सोंदुर नदी को पार करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में गाँव तक पहुंचना ही सबसे बड़ी चुनौती है। दोनों नालो में रपटा नहीं है।गाँव वाले अनेको बार शासन प्रशासन से नदीं में पुल बनाने हेतु निवेदन करके थक गए हैं। अवगत हो कि इस आदिवासी बहुल ग्राम में कमार जाति के लोग अधिक है। सरकार कमार जाति को विकाश की मुख्य धारा से जोड़ना चाहती हैं, किन्तु समस्या जस की तस है। ग्रामीणों के साथ साथ हमें भी प्रतिदिन जान जोखिम में रख कर कर्त्तब्य पथ पर सभी शिक्षक साथियों के ऊफनती नदी को पार करना ही पड़ता है।गाँव वालो को राशन लाने व स्वास्थ्य सुविधाओ के लिए 10-12 किलो मीटर दूर फरसियाँ,भोथली,सांकरा जाना पड़ता है। ग्रामीणों ने शासन से अतिशीघ्र पुल निर्माण की मांग किया है। वास्तव में देखा जाए तो ऐसी परिस्थितियों में क्या शासन प्रशासन इनके लिए क्या व्यवस्था करती है कि उनकी जान जोखिम में न जाए और यह सुरक्षित अपने कर्तव्य का पालन करें सबसे बड़े विचारणीय बात तो यहां है ऐसी जगह रहने वालों की क्या स्थिति होगी स्वास्थ्य को लेकर सबसे बड़ी चिंता इनको सताती होगी अगर इन बारिश के दिनों में किसी का स्वास्थ्य खराब हो जाए कोई महिला प्रेग्नेंट हो जाए प्रवास के दौरान अगर स्वास्थ्य केंद्र लाना पड़े तब क्या होगा एक तरफ शहर में अगर रोड में घुटने तक पानी भर जाने पर आकर मचाया जाता है जबकि आदमी आराम से वहां सफर कर सकता है तो विचार किया जा सकता है कि ऐसे में एक ऊफनती नदी को कैसे पार कर स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा जा सकता है यह बहुत बड़ी जटिल समस्या उच्च पद पर बैठे शासन प्रशासन में लोगों को विचार करने की स्थिति और योजनाओं को धरातल में लाकर ऐसे क्षेत्रों को विकसित कर वहां के लोगों को सुविधा देने की सोचनी चाहिए

Vande Bharat Live Tv News
Back to top button
error: Content is protected !!