
आईटी जोन के प्लॉट ऑरेंज और ग्रीन जोन बताकर बेचे, ढाई करोड़ लेकर बिल्डर बोला- मुझे तो 25 लाख मिले : पीड़ित
ढकोली के रहने वाले राम भज गर्ग और उनके परिवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिल्डर पर लगाए गंभीर आरोप
बोले- ढाई करोड़ के प्लॉट अब चार करोड़ के हुए लेकिन बिल्डर उन्हें 25 लाख देकर टरकाने की कर रहा कोशिश
मोहाली। सेक्टर-103 में स्थित मेट्रो पार्क कंपनी के मालिक मनप्रीत सिंह सिद्धू पर गंभीर आरोप लगे हैं। ढकोली के रहने वाले राम भज गर्ग ने बताया कि सिद्धू ने तीन प्लॉट खरीदने के नाम पर लगभग ढाई करोड़ रुपए उनसे और उनके समधी और दामाद से लिए, लेकिन चार साल बीत जाने के बावजूद फिजिकल पजेशन नहीं दिया है। ये प्लॉट 2019 से 2020 के बीच खरीदे गए थे। इनमें से एक ढकोली निवासी राम भज गर्ग के नाम पर है, जबकि बाकी दो उनके समधी रविंदर गोयल और उनके बेटे रविंदर गोयल और बहू ज्योति गोयल के नाम पर हैं। यह बात उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही।
उन्होंने बताया कि प्लॉट खरीदने के लिए ढाई करोड़ रुपए बिल्डर को दिए गए लेकिन बिल्डर ने प्लॉट का फिजिकल पजेशन नहीं दिया। बिल्डर ने पूरे पैसे लेकर उन्हें एग्रीमेंट टू सेल, फुल एंड फाइनल पेमेंट नोट, एनओसी, पजेशन लेटर और पेमेंट की रसीद दी। उन्होंने बैंक के जरिए बिल्डर को 25 लाख की पेमेंट की। इसके अलावा बाकी पेमेंट कैश में दी जिसमें से बिल्डर ने बार-बार कहने के बाद आखिरी बार दिए 53 लाख की रसीद दी। इन प्लॉट्स के साइज 416 गज, 227 गज और 249 गज हैं। उनका कहना है कि उन्होंने बिल्डर को प्लॉट खरीदने के लिए सबसे पहले 25 लाख रुपए बैंक के माध्यम से दिए, जबकि बाकी की राशि कैश में दी गई। इनमें से अंतिम बार 53 लाख की रसीद मिली थी। इसके बावजूद बिल्डर ने न तो रजिस्ट्री करवाई और न ही फिजिकल पजेशन दिया।
बिल्डर ने दो प्लॉट कैंसिल कर दिए और उन्हें किसी अन्य ग्राहक को बेच दिया। वे चार साल से बिल्डर के ऑफिस के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई समाधान नहीं मिला है। कई बार शिकायतें दर्ज कराने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है। बिल्डर ने उन्हें झूठे आश्वासन देकर प्लॉट बेचे और अब वह अपनी जिम्मेदारियों से मुकर रहा है। अब इस केस की री-इंक्वायरी उन्होंने डीजीपी ऑफिस से करवाने के लिए अर्जी लगाई है और 2 महीने से फाइल एसपी ज्योति यादव के पास है।
एसएसपी गर्ग के पास तीन बार दी शिकायत, तीनों बार केस क्लोज, डीएसपी बल ने 4 लोगों के बयान फाइल से हटाए, कॉपी हमारे पास मौजूद
पीड़ित ने बताया कि पहली शिकायत एएसपी दर्पण आहलूवालिया ने जांच करके सोहाना थाने को एफआईआर करने को कहा लेकिन इसके बाद बिल्डर ने एसएसपी संदीप गर्ग से साठगांठ करके केस क्लोज करवा दिया। उन्होंने दूसरी बार शिकायत दी तो डीएसपी नार्कोटिक मनजीत सिंह ने जांच की और तब बिल्डर ने एक हफ्ते में रजिस्ट्री करवाने की बात कही लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दोबारा डीएसपी के पास गए तो उन्होंने कहा कि वह तो समझौता करवा चुके हैं। ऐसा कह कर कंप्लेट क्लोज कर दी। तीसरी बार डीएसपी एचएस बल के पास शिकायत आई तो उन्होंने पहले टालमटौल की और बाद में 6 महीने लटकाने के बाद क्लोज कर दिया। उनके पास उन्होंने प्लॉट बेचने वालों समेत 4 लोगों के बयान दर्ज करवाए थे लेकिन आरटीआई में पता चला कि बयान फाइल से हटा दिए हैं जबकि कॉपी उनके पास है।
बिल्डर ने आईटी जोन को ऑरेंज और ग्रीन जोन बताकर की ठगी
वहीं पीड़ित राम भज गर्ग का कहना है कि बिल्डर ने जो कागज उन्हें दिए थे, उसमें साफ लिखा है कि यह एरिया ग्रीन और ऑरेंज जोन में है। इस जोन में 250 तरह के काम करने की मंजूरी है। अब अगर यह एरिया आईटी जोन में आता है तो बिल्डर ने जो कागज उन्हें देकर प्लॉट बेचे थे, उसमें उसने हेराफेरी करके उल्लंघन किया है। इतना ही नहीं, रिफंड मांगने पर बिल्डर 25 लाख जो बैंक में आए हैं, उसी को रिफंड करने की बात कह रहा है जबकि उन्होंने करीब ढाई करोड़ रुपये बिल्डर को दिए और अब के हालात के मुताबिक उनकी जमीन की कीमत 4 करोड़ रुपए है लेकिन बिल्डर उन्हें मात्र 25 लाख रिफंड करके उनके पैसे हड़पना चाहता है। बिल्डर की इस जालसाजी के कारण वह कर्जदार हो गए हैं और उनके पास अब मरने के सिवाय और कोई चारा नहीं है।
कोट
-इन्होंने तीनों प्लॉट किसी बिल्डर से खरीदे थे। कंपनी से उनकी कोई डील नहीं हुई थी। वैसे भी प्लॉट आईटी सेक्टर के लिए हैं और उनके पास दो साल का आईटी सेक्टर का एक्सपीरियंस नहीं है इसलिए प्लॉट कैंसिल किए हैं। उनके पास जितने पैसे उनके आए हैं, उसका पूरा रिकॉर्ड है और अब वह नियमों के मुताबिक ब्याज सहित पैसे ही लौटा सकेंगे क्योंकि उनके कहने पर भी वह दो साल का आईटी सेक्टर का सर्टिफिकेट नहीं ला पाए हैं। अगर वह सर्टिफिकेट ले आते तो वह उन्हें रजिस्ट्री करवा देते। मनप्रीत सिंह, बिल्डर, मेट्रो पार्क कंपनी