
चंडीगढ़ में हरियाणा विधानसभा (Haryana Vidhan Sabha) का नया भवन बनने का रास्ता साफ हो गया है। प्रशासन को विधानसभा की जमीन के बदले जो इसकी इतनी की जमीन दी जानी है। उसमें जो सेंसिटिव जोन को लेकर जो रुकावटें थी वह दूर हो गई है। हरियाणा विधानसभा का चंडीगढ़ में ही नया भवन बने इसके लिए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने प्रयास शुरू किया था ।
केंद्र सरकार ने जारी कर दी है अधिसूचना
चंडीगढ़ प्रशासन ने हरियाणा को विधानसभा भवन बनाए जाने के लिए जमीन देने के प्रस्ताव पर सहमति तो दी थी। लेकिन एनवायरमेंट एवं फारेस्ट क्लीयरेंस का हवाला देकर उस पर विराम लगा दिया। इसके बाद हरियाणा सरकार ने बदलाव के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा था।
जिस पर अब केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। प्रशासन के अनुसार जो जमीन हरियाणा की ओर से पंचकूला एरिया की मिली रही है वह चंडीगढ़ के आईटी पार्क के 123 एकड़ जमीन के साथ लगती है।
अमित शाह ने दी थी प्रस्ताव को मंजूरी
जुलाई 2022 में जयपुर में एनजेडसी की बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विधानसभा की नई बिल्डिंग के लिए चंडीगढ़ में जमीन देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। नई विधानसभा के लिए चंडीगढ़ की ओर से रेलवे स्टेशन से आईटी पार्क को जाने वाली सड़क के पास 10 एकड़ जमीन दी जा रही है।
बदले में हरियाणा से 12 एकड़ जमीन ली जाएगी। जो मनसा देवी कांप्लेक्स के पास 12 एकड़ जमीन है यह इको सेंसटिव जोन में आती है। जिस पर केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर बदलाव कर दिए हैं।
जमीन के लिए सभी रुकावट दूर
जिसके तहत अब जमीन में जो रुकावट थी वह दूर हो गई है अब प्रशासन को आसानी से यह जमीन ट्रांसफर की जा सकती है और प्रशासन भी रेलवे स्टेशन के पास विधानसभा की जमीन हरियाणा सरकार को ट्रांसफर कर देगा।
हरियाणा सरकार पहले जमीन के लिए 550 करोड़ की राशि देने के लिए भी तैयार था। अंतिम अधिसूचना जारी होने पर पूर्व विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का आभार व्यक्त किया है।
आज से शुरू हो रहा विधानसभा का सत्र
प्रदेश की 15वीं विधानसभा के आज (बुधवार) को शुरू हो रहे सत्र में न प्रश्नकाल होगा और न शून्य काल और न ही विपक्ष का नेता। वहीं. नवनिर्वाचित विधायकों के लिए मंगलवार को हरियाणा निवास में प्राथमिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण, कैबिनेट मंत्री कृष्ण लाल पंवार, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, विधायक कृष्णा गहलावत और विधानसभा के पूर्व अतिरिक्त सचिव राम नारायण यादव ने अपने अनुभव साझा किए।
हरियाणा विधानसभा सत्र के पहले दिन की कार्यवाही जारी है। सबसे पहले गवर्नर बंडारू दत्तात्रेय का अभिभाषण हुआ। नायब सैनी सरकार ने हरियाणा संविदा कर्मचारियों को बड़ा तौहफा दिया है। सैनी सरकार ने जॉब सिक्योरिटी बिल विधानसभा में पेश किया।
एक लाख 20 हजार कच्चे कर्मचारियों की भी नौकरी होगी सुरक्षित
बता दें कि नायब सैनी सरकार ने हरियाणा में पांच साल से अनुबंध पर काम कर रहे एक लाख 20 हजार कच्चे कर्मचारियों की सेवाएं 58 साल की आयु तक करने के निर्णय पर विधानसभा में मुहर लगा दी है। आज से शुरू हुए विधानसभा सत्र में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने खुद सदन पटल पर हरियाणा संविदात्मक कर्मचारी (सेवा की सुनिश्चितता) विधेयक-2024 रखा।
इस दौरान गवर्नर ने ऐलान किया है कि CET पास अभ्यर्थियों को यदि नौकरी नहीं मिली तो 2 साल तक 9 हजार रुपए प्रति महीना मानदेय उसे सरकार देगी। इसके साथ सरकार ग्रुप सी और डी की महिला कर्मचारियों को उनके मनचाहे जिले में तैनाती देगी। गवर्नर ने कहा कि प्रदेश के विधानसभा चुनाव के परिणाम से यह साफ हुआ कि लोगों को सरकार की नीतियां पसंद आईं।
हरियाणा विधानसभा का सत्र आज से शुरू हो रहा है। यह सत्र 13, 14 और 18 नवंबर को तीन दिन चलेगा। सेशन के दौरान इस बार प्रश्नकाल और शून्य काल नहीं होगा। वहीं, कांग्रेस बिना नेता प्रतिपक्ष के सत्र में उतरेगी। 37 विधायकों वाली कांग्रेस अभी तक अपना नेता नहीं चुन पाई है। कांग्रेस के सभी विधायक इस संबंध में प्रस्ताव पारित करके सीएलपी नेता चुनने का अधिकार हाईकमान को दे चुके हैं। हाईकमान के सभी नेता महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव में व्यस्त हैं। चुनाव के बाद ही नेता प्रतिपक्ष के नाम का ऐलान किया जाएगा। ऐसे में इस विधानसभा सत्र में कांग्रेस बिना नेता प्रतिपक्ष के उतारने जा रही है।
तीन दिन रहेगी छुट्टी
15वीं विधानसभा के पहले सेशन की पहली बैठक 25 अक्तूबर को आयोजित की गई थी। उस दौरान विधानसभा सत्र की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई थी। सत्र की दूसरी बैठक 13 नवंबर, तीसरी बैठक 14 को और चौथी बैठक 18 नवंबर को होगी। बीच में 15 को गुरु नानक देव जयंती के उपलक्ष्य में अवकाश है। 16 और 17 नवंबर को शनिवार और रविवार हैं।
ये अध्यादेश पास कराए जाएंगे
चुनाव से पहले हरियाणा सरकार ने पांच अध्यादेश जारी किए थे। इन अध्यादेशों को इस सत्र में पास कराना जरूरी है। इनमें सबसे प्रमुख संविदा के आधार पर कार्यरत कर्मचारियों को सेवा में सुरक्षा प्रदान करना है। इससे विभिन्न विभागों पर तैनात डेढ़ लाख से ज्यादा कर्मचारियों को 58 साल तक नौकरी की गारंटी मिलेगी। नगर निकायों (नगर निगमों, नगर परिषदों और नगरपालिका समितियों) और पंचायती राज संस्थाओं में पिछड़ा वर्ग ब्लाक बी के लोगों को आरक्षण प्रदान करने के तीन अध्यादेश हैं। पांचवां अध्यादेश हरियाणा ग्राम साझी भूमि (विनियमन) अधिनियम 1961 में संशोधन है। इसके तहत शामलात जमीन पर 20 साल से कब्जाधारी लोगों को जमीन का मालिकाना हक दिया जाएगा।
बीएसी में नेता प्रतिपक्ष का होना जरूरी नहीं
हरियाणा विधानसभा के पूर्व अतिरिक्त सचिव रामनारायण यादव ने बताया कि प्रदेश में कई बार बगैर बीएसी के भी बैठक हो चुकी हैं। बीएसी की बैठक में नेता प्रतिपक्ष का होना जरूरी नहीं है। नियमों के मुताबिक बीएसी में विपक्षी पार्टी का नुमाइंदा होना चाहिए। यदि नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं होता है तो विपक्षी दल के किसी विधायत को बीएसी का सदस्य बनाया जा सकता है।
हरियाणा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) 20 प्रतिशत आरक्षण के कोटे में कोटा लागू हो गया है।
इसमें अब सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत कोटा वंचित अनुसूचित जातियों के लिए और 10 प्रतिशत कोटा अन्य अनुसूचित जातियों के लिए होगा।
बुधवार को विधानसभा में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने एससी-एसटी वर्ग में आरक्षण के उपवर्गीकरण की घोषणा की और उसके कुछ देर बाद ही मुख्य सचिव ने इसका आदेश भी जारी कर दिया हैं, तो वंचित अनुसूचित जातियों के उम्मीदवारों को शेष रिक्त पदों पर नियुक्ति दी जाएगी।
अन्य अनुसूचित जाति में 15 जातियां
अन्य अनुसूचित जातियों में 15 जातियां शामिल की गई हैं। इनमें रेहगर, रैगर, रामदासी, रविदासी, बलाही, बटोई, भटोई, भांबी इत्यादि जातियां शामिल हैं।
वंचित अनुसूचित जातियों में 66 जातियां
वंचित अनुसूचित जातियों (डीएससी) में 66 जातियां शामिल की गई हैं। इनमें वाल्मीकि,, धानक, ओड, बाजीगर, मजहबी, मजहबी सिख, आद धर्मी- अहेरिया, अहेरी, हरी, हेरी, थोरी, तुरी, कोरी, कोलि, फरेरा-राय सिख, पासी, बटवाल, बरवाला, बौरिया, बावरिया, मेघ, मेघवाल, खटिक, कबीरपंथी, जुलाहा इत्यादि जातियां शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का फैसला सुप्रीम कोर्ट की सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने एक अगस्त को 20 साल पुराना फैसला पलटते हुए व्यवस्था दी थी कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) के ज्यादा जरूरतमंदों को आरक्षण के भीतर आरक्षण दिया जाना चाहिए।
इसके साथ ही एससी-एसटी वर्ग में क्रीमी लेयर को चिन्हित कर आरक्षण से बाहर करने की जरूरत बताई। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार राज्य एससी, एसटी वर्ग में उपवर्गीकरण कर सकते हैं। उपवर्गीकरण वाली जातियों को 100 प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया जा सकता।
वर्गीकरण तर्कसंगत सिद्धांत पर आधारित होना चाहिए और कम प्रतिनिधित्व और ज्यादा जरूरतमंद साबित करने वाले आंकड़ों को एकत्र करने की जरूरत है। संविधान का अनुच्छेद 14 (समानता) उन वर्गों के उपवर्गीकरण की इजाजत देता है, जो समान स्थिति में नहीं हैं।
अनुच्छेद 16 (4) (सरकारी नौकरियों में आरक्षण) के लिए उपवर्गीकरण करने के लिए राज्य की नौकरियों में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के आंकड़े होने चाहिए, जो कि अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के संकेत देते हों।