सागर। वंदे भारत लाइव टीवी न्यूज संवाददाता सुशील द्विवेदी । मानव अधिकार अपने उपचारों में लिंग, जाति, वर्ग आदि किसी भी आधार पर मनुष्यों में विभेद नहीं करते है। समाज में रहने वाली महिलाओं को भी पुरुषों के समान ही उनके मानव अधिकारों की सुरक्षा और संरक्षण पाने का पूरा अधिकार है। यह बात शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय (अग्रणी) राजनीति विज्ञान विभाग के विद्वान अध्येता डॉ संदीप सबलोक ने शासकीय स्वशासी कन्या स्नातकोत्तर उत्कृष्ट महाविद्यालय की छात्राओं की बीच कही। कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ आनंद तिवारी के निर्देशन में राजनीति विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ सुनीता त्रिपाठी द्वारा विभागीय सहयोगी डॉ प्रह्लाद सिंह के साथ महाविद्यालय की छात्राओं के लिए मानव अधिकार का सर्टिफिकेट कोर्स संचालित किया जा रहा है। पाठ्यक्रम में करीब 200 पंजीकृत छात्राएं हिस्सा ले रही है। मानव अधिकार सर्टिफिकेट कोर्स में विषय विशेषज्ञ वक्ता के रूप में यहां पहुंचे डॉ संदीप सबलोक ने अपने व्याख्यान के प्रारंभ में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ आनंद तिवारी तथा राजनीति विज्ञान विभाग अध्यक्ष डॉ सुनीता त्रिपाठी द्वारा मानव अधिकार के सर्टिफिकेट कोर्स के रूप में महाविद्यालय की छात्राओं के लिए एक बहुउपयोगी पाठ्यक्रम संचालित करने के लिए उनका साधुवाद किया। अपने व्याख्यान में उन्होंने फ्रांस द्वारा 18वीं शताब्दी में दास प्रथा के खिलाफ शुरू किए गए मानव अधिकारों के संरक्षण तथा 1890 में ब्रिटेन द्वारा दासता विरोधी कानून की स्थापना को मानव अधिकारों की सुरक्षा और संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में दुनिया के शक्तिशाली देशों द्वारा कमजोर देश पर आक्रमण कर वहां की जनता को युद्ध की विभीषिका में झोंकने से उत्पन्न परिस्थितियों के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व शांति के साथ मानव अधिकारों की सुरक्षा पर भी बल दिया और 10 दिसंबर 1948 को दुनिया के सभी देशों के लिए मानव अधिकारों की स्थापना की। मानव अधिकारों के प्रावधानों पर चर्चा करते हुए डॉ संदीप सबलोक ने आगे कहा कि प्रत्येक मनुष्य के लिए मानव अधिकार महज जन्म से नहीं बल्कि जन्म लेने के पहले से ही शुरू हो जाते है। इसके साथ ही प्रत्येक मनुष्य को मृत्यु पर्यंत तक अपनी गरिमा और गौरव के अनुरूप मानव अधिकारों को प्राप्त करने का अधिकार है।डॉ संदीप सबलोक ने छात्राओं के बीच कहा कि दुनिया भर में नारी वर्ग को जन्म लेने और जन्म देने का समान रूप से नैसर्गिक अधिकार हैं। गर्भस्थ शिशु को स्वस्थ रूप में जन्म लेने के लिए गर्भावस्था के दौरान अपनी गर्भवती मां के माध्यम से पोषण आहार व अन्य सुरक्षात्मक उपचार पाने तथा जन्म लेते ही मां का दूध पीने व सुरक्षित लालन-पालन पाने का भी पूरा अधिकार है। लेकिन भारत समेत दुनिया के कई देशों में पुरुष प्रधान सामाजिक व्यवस्था तथा रूढ़ियों के चलते महिलाएं आज भी अपने मूलभूत मानव अधिकारों से वंचित हैं। डॉ संदीप सबलोक ने महिला वर्ग के लिए संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों के साथ-साथ प्रकृति, समाज, धर्म, संस्कृति और परंपराओं से प्राप्त होने वाले मानव अधिकारों पर विस्तार से प्रकाश डाला। अंत में उन्होंने महिलाओं के मानव अधिकारों को लेकर छात्राओं द्वारा रखी गई विभिन्न जिज्ञासाओं और प्रश्नों का समाधान भी किया।
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