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सिद्धार्थनगर: हड्डी और नसों की तकलीफ का मिलेगा इलाज

सिद्धार्थनगर। कमर दर्द, शरीर में जकड़न और हड्डी व नस की बीमारी से जूझ रहे मरीजों के लिए अच्छी खबर है। माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कॉलेज में फिजियोथेरेपी सेवा बेहतर होने जा रही है।लगभग तीन करोड़ रुपये की लागत से मशीन मंगाई जा रही है। अगले माह से मरीजों की अस्पताल में ही फिजियोथेरेपी हो सकेगी।

मशीन आने से पहले ही पांच फिजियोथेरेपिस्ट की तैनाती हो गई है। मशीन आते ही मरीजों को सेवाएं मिलनी शुरू हो जाएंगी। अभी तक केवल रूम था, और थेरेपिस्ट की तैनाती थी।उपकरण के अभाव में वह मरीजों को सलाह ही दे पाते थे, जिसका उन्हें उतना लाभ नहीं मिलता था, जितना मिलना चाहिए। प्रतिदिन 30 से 40 मरीज अस्पताल पहुंचते हैं। सुविधाएं बेहतर होने पर इनको लाभ मिलेगा। अब मरीजों को बाहर जाकर रुपये खर्च नहीं करने पड़ेंगे।

शारीरिक गतिविधियों के कम होने या चोट आदि लगने के बाद कई बार व्यक्ति के शरीर में लंबे समय तक असहनीय दर्द बना रहता है। जकड़न और शरीर के चुनिंदा अंग में दर्द होता है, जो न तो जांच में सामने आता है, और न ही सूजन आदि से दिखता है। ऐसे में हड्डी और नस से जुड़े डॉक्टर दवा के बजाय फिजियोथेरेपी करने की सलाह दे देते हैं।इसमें जो अंग प्रभावित रहता है, उसके मूवमेंट करने के साथ मालिश की जाती है, जो कारगर साबित होती है। साथ ही दवा की तरह किसी प्रकार के साइडइफेक्ट का डर नहीं रहता है। मौजूदा समय में थेरेपी पर निर्भरता बढ़ रही है, जिससे मरीज ठीक भी हो रहे हैं।

माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल काॅलेज में फिजियोथेरेपिस्ट हैं और ओपीडी भी चल रही है। प्रतिदिन 30-40 मरीज पहुंच भी रहे हैं, लेकिन उपकरण न होने के कारण मरीजों को केवल थेरेपी की विधि ही बताई जाती है। ऐसे में देहात के मरीजों को फायदा मिल ही नहीं पाता है। वहीं, शहर के लोगों को बाहर जाना पड़ता है, जिसका प्रतिदिन कम से कम 300 रुपये देना ही पड़ता है। अब मेडिकल कॉलेज में ही यह सुविधा मरीजों को मिल सकेगी। तीन करोड़ रुपये की लागत से एसडब्लूडी, टीएफटी सहित 10 प्रकार से अधिक के प्रमुख उपकरण खरीदे जाएंगे।सारी प्रक्रिया पूरी हो गई। इसी माह के अंत तक उपकरण आ जाएंगे और अगले माह से सेवा शुरू हो जाएगी। इसके लिए पांच फिजियोथेरेपिस्ट की तैनाती हो गई है।

विशेषज्ञ के अनुसार इन समस्याओं में थेरेपी से मिलेगा लाभ: फिजियोथेरेपिस्ट सुभाष यादव के अनुसार शारीरिक दर्द, सर्जरी के बाद, घुटने या कूल्हे, खेल या अन्य चोट, शारीरिक अक्षमता, शारीरिक गतिविधि, मांसपेशियों की ऐंठन, मांसपेशियों में खिंचाव, जोड़ों के दर्द या अकड़न फिजियोथेरेपी को तीन अलग-अलग नामों में विभाजित किया गया है। इनके नाम फिजियोथेरेपी, भौतिक चिकित्सा और किनेसियोथेरेपी हैं।

फिजियोथेरेपी से इससे मिलती है निजात : सर्वाइकल स्पॉनडिलाइटिस, लंबर स्पॉनडिलाइटिस, सर्वाइकल नेक पेन, पेरिआर्थराइटिस ऑफ शेल्डर ज्वाइंट -फ्रोजन शेल्डर, ऑस्टियो आर्थराइटिस ऑफ नी ज्वाइंट -गठिया, बेल्स पॉल्सी- चेहरे का लकवा, दर्द दूर करने में विशेषकर गर्दन और कमर दर्द में विशेष लाभ मिलेगा।

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