
एक बहुआयामी व्यक्तित्व की धनी थी माता सूर्यवन्ती देवी – गिरीन्द्र मोहन मिश्र
गडहनी। भोजपुर जिले के गडहनी प्रखण्ड अन्तर्गत पथार गांव मे ज्योतिर्विद पण्डित कपिल नारायण मिश्र की धर्म पत्नी सूर्यवन्ती देवी की पाँचवीं पुण्यतिथि पर श्रद्धाजंलि सभा सह भोज का आयोजन किया गया। पत्रकार अमरेन्द्र कुमार मिश्र के अध्यक्षता में आयोजित इस सभा में हरेक तबके के लोगों ने शिरकत की। इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य लोगों के द्वारा उनके तैलीय चित्र पर श्रद्धा-सुमन अर्पित कर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि दिया गया।इस अवसर पर मग धर्म संसद के राष्ट्रीय अध्यक्ष गिरीन्द्र मोहन मिश्र ने अपनी भावना व्यक्त करते हुए कहा कि जन सरोकार वाले सदा जीवित रहते हैं। उनके द्वारा किये गए जनोपयोगी कार्य सदैव बोलता है। कहते हैं कि दाता भूल जाता है लेकिन खाता नहीं भूलता है। सूर्यवंती देवी को इस मृत्युलोक के प्रवास के दरम्यान यह ज्ञान हो गया था कि हरिद्वार गमन तो खाली हाथ ही करना है। इसलिए उन्होंने अपने जीवन काल में सदैव दान – धर्म और मानव सेवा को प्राथमिकता दिया था।
उनके दरबाजे पर जो भी जाता था वह भूखे और खाली हाथ नहीं लौटता था।श्री मिश्र ने आगे अपनी स्मृति को ताजा करते हुए कहा कि वे जब माता सूर्यवंती देवी से मिले थे और वगैर कुछ खाए वापस आ रहे थे तो जबरदस्ती भरपेट भोजन कराये थे और रास्ते के लिए भी भरपूर भोजन दे दिए थे। साथ ही कुछ रुपए भी दिए थे, वो रुपया आज भी बतौर आशीर्वाद मैंने सुरक्षित रखा है।उनका कहना था कि लोगों की सेवा करने में मुझे असीम सुख की अनुभूति होती है। जाड़े के दिनों में जरूरतमंद लोगों को गुप्त रूप से वस्त्र दान करना वे अपना परम् कर्त्तव्य और सौभाग्य समझती थी। माता सूर्यवंती देवी की दानशीलता से लोगों को सीख लेनी चाहिए। अमरेंद्र कुमार मिश्र भाग्यशाली हैं जो सूर्यवंती देवी उनकी माँ थी। वैसी माता सदैव जीवित रहती हैं। मैं उन्हें शत् शत् नमन करता हूं।मौके पर डाॅक्टर ब्रजेश कुमार विभूति, राजीव रंजन मिश्र, कुमार गौरव, दिवाकर मिश्र, बिनोद मिश्र, शशि भूषण मिश्र, संजय कुमार मिश्र, धनंजय कुमार मिश्र, विनय कुमार मिश्र, सुनील कुमार मिश्र, अनिल कुमार मिश्र, बिपीन बिहारी मिश्र, अवनिन्द्र कुमार मिश्र सहित समस्त मिश्र परिवार ने श्रद्धा सुमन अर्पित किया।