महाकुम्भ के पहले दिन ही उम्मीद से ज्यादा स्नानार्थियों की भीड़ उमड़ने से पुलिस को यातायात व्यवस्था में बदलाव करना पड़ा। इससे स्नानार्थियों को संगम तक पहुंचने में 10 से 12 किमी तक पैदल चलना पड़ा। जबकि मेला शुरू होने से पहले प्रशासन की ओर से अधिकतम दो-तीन किमी तक की दूरी पैदल तय करने के दावे किए गए थे।
पौष पूर्णिमा के साथ सोमवार को महाकुम्भ की शुरुआत हुई। सूर्योदय होने से पहले ही संगम में आस्था की डुबकी लगाने वालों का रेला चल पड़ा। प्रशासन के आंकड़ों की मानें तो पहले दिन डेढ़ से दो करोड़ लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई। अत्यधिक भीड़ की वजह से गैर प्रांतों व दूरदराज के जिलों से आने वाले लोगों को संगम तक पहुंचने के लिए पैदल ही लंबी दूरी तय करनी पड़ी। इससे सबसे ज्यादा बुजुर्गों व छोटे बच्चों को परेशानी हुई। भोर में ही भारी संख्या में स्नानार्थियों का संगम पहुंचने का क्रम शुरू हो गया था। सुबह आठ बजे के बाद इसमें अप्रत्याशित बढ़ोतरी होने लगी। भीड़ के दबाव को देखते हुए कुम्भ पुलिस प्रशासन की ओर से प्रवेश मार्ग काली सड़क पर भी बैरिकेडिंग लगाकर बंद कर दिया गया। लोगों को काली सड़क की जगह दारागंज होते हुए संगम की ओर जाना पड़ा। इससे तीन-चार किमी अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ी। उधर, वापसी में भी त्रिवेणी मार्ग पर जगह-जगह बैरिकेडिंग का सामना करना पड़ा। यातायात व्यवस्था में अचानक बदलाव किए जाने से स्नानार्थियों में नाराजगी भी देखने को मिली।