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महिला बी एस एफ जवान की प्रसूति के दौरान मौत के मामले में गोंदिया की वैद्यकीय यंत्रणा पोस्टमार्टम रिपोर्ट में लीपापोती कर बचने की कोशिश में

समीर वानखेडे:
हाल ही में गोंदिया जिले के तिरोडा उप जिला अस्पताल में घटित घटनाक्रम जिसमें बॉर्डर पर तैनात सीआरपीएफ जवान भारती टेकचंद पटले 25 वर्षीय महिला को अपनी जान गंवानी पड़ी इससे संपूर्ण गोंदिया जिला दहल उठा है। भारती यह उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ 104 बटालियन में सेवा दे रही थी भारती पटले गर्भवती होने से अपने गृह ग्राम कवलेवाडा आई थी, प्रसुति के लिए तिरोडा में स्थित सरकारी उपजिला अस्पताल में 20 मार्च को भारती को भर्ती किया गया जांच के दौरान वह पूर्ण रूप से स्वस्थ थी डॉक्टर ने शल्य क्रिया के माध्यम से उनकी प्रसुति करने का निर्णय लिया इसके बाद 21 मार्च को दोपहर 1:00 बजे के दौरान भारती की शल्य क्रिया की गई जिसमें उन्होंने बेटी को जन्म दिया लेकिन शाम 4 बजे के आसपास उनको अस्वस्थ महसूस होने लगा इसके बाद डॉक्टर ने आगे के उपचार के लिए उन्हें जिला सामान्य अस्पताल गोंदिया में रेफर करने का निर्णय लिया लेकिन परिजनों ने उपचार के लिए एक निजी अस्पताल में लेकर गए जहां पर हालात गंभीर होने के कारण उन्हें तुरंत सरकारी अस्पताल में रेफर कर दिया गया और सरकारी अस्पताल में पहुंचने पर भारती को मृत घोषित कर दिया गया। अपनी जान की बाजी लगा कर देश की सुरक्षा करने वाले सैनिकों के साथ जब इस तरह की घटनाएं होती हैं तो एक आम आदमी की क्या हैसियत है यह समझ में आता है। तिरोड़ा के सरकारी अस्पताल में किसी भी प्रकार के स्त्री रोग तज्ञ डॉक्टर ना उपस्थित न रहते हुए भी केवल विजिटिंग डॉक्टर के भरोसे उनकी शल्य क्रिया की गई जो की मेडिकल प्रोटोकॉल के हिसाब से गलत है और डॉक्टर की नेगलिजेंसी का मामला बनता है। गोंदिया बाई गंगा बाई रुग्णालय में सीएस मोहबे ने 7 स्त्री रोग तज्ञ को जबरदस्ती डाल रखा है जबकि बाई गंगाबाई अस्पताल का संपूर्ण कार्यभार जीएमसी गोंदिया के पास होने से वहां पर किसी भी प्रकार के स्त्रीरोग विशेषज्ञ की आवश्यकता नहीं है फिर भी यह विशेष कृपा मोहबे द्वारा इन स्त्रिरोग विशेषज्ञों पर करने का कारण समझ से परे है। जिस वक्त भारती पटले की हालत गंभीर हुई उस वक्त तिरोडा उपजिला अस्पताल में एनेस्थिटिस्ट डॉक्टर नरेश येरने की 24 घंटे की ड्यूटी थी परंतु वे अस्पताल में मौजूद नहीं थे जिस वजह से डॉक्टर बसोड़ जो की बीएएमएस डॉक्टर है उन्होंने देखकर उसे गोंदिया सामान्य अस्पताल में रेफर किया शायद डॉक्टर नरेश येरने यदि वहां उपलब्ध होते तो भारती पटले की जान बच सकती थी, परंतु इन सभी मामलों में यह बहुत स्पष्ट रूप से समझ आ रहा है कि सीएस मोहबे की लाचारी एवं स्वास्थ्य सेवाओं में लचीलापन जो उन्होंने दे रखा है इस वजह से आज हमारे देश की एक जाबाज सैनिक को अपनी जान गंवानी पड़ी और पूरा मेडिकल सिस्टम पोस्टमार्टम के जरिए मामले की लीपा पोती करने में लगा हुआ है। गोंदिया जिले में जब से सीएस मोहबे ने पदभार संभाला है तब से लगातार माता मृत्यु में इजाफा हुआ है और लगभग हर वर्ष तकरीबन 35 से 40 माता मृत्यु रिकॉर्ड की जा रही है जो वाकई में सोचनीय विषय है और मुख्यमंत्री महोदय ने इस विषय में तुरंत संज्ञान लेकर हाई लेवल ज्यूडिशरी इंक्वारी बिठाकर भारती पटले की मौत की समीक्षा कर दोषियों को जल्द से जल्द सजा देना चाहिए।

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