उत्तर प्रदेशसिद्धार्थनगर 

लाखों की लागत से बने सामुदायिक शौचालयों में वर्षों से लटक रहा ताला

सिद्धार्थनगर(यूपी) 

लाखों की लागत से बने सामुदायिक शौचालयों में वर्षों से लटक रहा ताला, जिम्मेदार लगे हुए हैं अपना अपना तिजोरी भरने में।

ग्राम पंचायत खानकोट एवं ग्राम पंचायत मूसा में वर्षों से सामुदायिक शौचालय बन्द।

शौचालय के अन्दर उगे आठ- आठ फिट ऊंचे बरगद के पेड़ ।

कागजों में ही सिमट कर रह गया ओडीएफ योजना।

ग्रामीण खुले में शौच जाने को मजबूत।

सिद्धार्थनगर। इटवा विकास खंड के ग्राम पंचायतों में लाखों रुपये की लागत से निर्मित सामुदायिक शौचालय शो-पीस बना हुआ है। निर्माण के बाद चंद दिन ही चले शौचालय ,वर्षों से यह शौचालय बंद पडे़ हुए हैं। इन सभी का निर्माण करीब तीन- चार वर्ष पूर्व किया गया था। विभाग के जिम्मेदारों की लापरवाही व उपेक्षा के अभाव में शौचालयों के अन्दर 08-08 फिट ऊंचे बरगद के उग आये हैं इससे आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि शौचालयों का क्या हालत बना दिया गया है। 

सामुदायिक शौचालय खानकोट में शौचालय केअन्दर पेड़ उगा हुआ है,टैंक का पाइप टूटा हुआ है और शौचालय के बाहर गोबर के उपले पाथे जा रहे हैं वहीं सामुदायिक शौचालय मूसा में शौचालय के टैंक का पाईप काफी समय से टूटा हुआ है और शौचालय के अन्दर चूहे चालकर मिट्टी इकट्ठा कर दिये हैं। 

ग्रामीणों ने वरिष्ठ अधिकारियों से सामुदायिक शौचालयों को चालू कराने की मांग किया है ।

दरअसल सरकार ने ग्राम पंचायतों को साफ- सुथरा रखने व ग्रामीणों को गंदगी व बीमारियों से बचाव के लिए हर ग्राम पंचायत में सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया था और उसका देख- रेख करने के लिए 6000 रूपये प्रति माह केयर टेकर को मानदेय देने का नियम है।

शौचालय वर्षों से बंद है. ग्रामीणों के अनुसार,यह शौचालय देखरेख और संचालन की कमी के कारण बंद पड़ा है.ग्रामीणों ने कहा, शौचालय चालू न होने के कारण वे आज भी खुले में शौच करने को मजबूर हैं, जिससे स्वच्छता अभियान की मूल भावना को ठेस पहुंच रही है. स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि सरकारी पैसे से बना शौचालय अगर जनता के काम न आए तो यह सिर्फ सरकारी धनव संसाधनों की बर्बादी ही है. स्वच्छ भारत अभियान के तहत खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) भारत बनाने का संकल्प लिया गया था, लेकिन इस तरह की लापरवाही योजना की सफलता पर सवाल खड़े करती है. ग्रामीणों का आरोप है कि जिम्मेदारों द्वारा शौचालय निर्माण के बाद इसकी देखभाल और संचालन पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. ग्रामीणों ने वरिष्ठ अधिकारियों से जल्द से जल्द शौचालयों को चालू करने की मांग की है।

जब इस संबंध में डीपीआरओ पवन कुमार से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि हमें इस समस्या की जानकारी नहीं है, और जल्द ही इसे चालू करने की प्रक्रिया शुरू की जायेगी।

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