
समीर वानखेड़े:
स्कूली शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने भले ही केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) स्कूलों के पाठ्यक्रम में छत्रपति शिवाजी महाराज के गौरवशाली इतिहास को शामिल करने की घोषणा की हो, लेकिन चौंकाने वाला तथ्य यह है कि मौजूदा पाठ्यक्रम में शिवाजी महाराज के बारे में एक पाठ शामिल किया गया है और वह भी सिर्फ 68 शब्दों में।
राष्ट्रीय स्तर पर कक्षा 4 से 12 तक सीबीएसई द्वारा पढ़ाई जाने वाली इतिहास की किताबों के कुल पृष्ठों की संख्या 2200 है। इन ढाई हजार पृष्ठों में से सिर्फ दो पृष्ठों में मराठों के इतिहास को महत्व दिया गया है, जो कि शब्दशः इतिहास को समेटने जैसा है।
गौरतलब है कि शिवाजी महाराज का वर्णन सिर्फ ग्यारह पंक्तियों में किया गया है और महाराज के बारे में सिर्फ 68 शब्द पाठ्यपुस्तक में देखने को मिलते हैं। यानी माध्यमिक स्कूलों में बच्चे सिर्फ 68 शब्दों में शिवाजी महाराज के बारे में जानते हैं!
सीबीएसई की पाठ्यपुस्तकों में महाराजाओं और मराठों के इतिहास को दी गई जगह को देखते हुए मराठा संगठन और शिवप्रेमी इसके खिलाफ आक्रामक हो गए हैं। गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस संबंध में विस्तृत रुख पेश किया जाएगा।
पुणे में मराठा समन्वयक एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पाठ्यपुस्तक के प्रति अपना विरोध व्यक्त करेंगे और इस संबंध में सरकार और मुख्यमंत्री को एक पत्र सौंपकर अपना आगे का रुख पेश करेंगे। इसलिए, यदि इस संबंध में राज्य सरकार को कोई ज्ञापन दिया जाता है, तो यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भविष्य में उनका रुख क्या होगा।