उत्तर प्रदेशबस्ती

नोटिस की नौटंकी और फाइलों की धूल में दबा इंसाफ

।।नोटिस की नौटंकी और फाइलों की धूल में दबा इंसाफ।।

अजीत मिश्रा (खोजी)

।।बनकटी बस्ती।। विकासखंड बनकटीके की दर्जनों ग्राम पंचायतें- अमरडोभा,बघापार,भैसा पांडये,चित्राखोर,दड़वा काची,एकमा,सिसवा पांडये,खरवानिया,पड़ियापार ,नगरा बौडीहार,सजहरा,सोभनपार,धौरुखोर,भिटहा एक-एक कर फर्जीवाड़े की भेंट चढ़ती जा रही है।मनरेगा घोटालों, लाखों की बंदरबांट और भ्रष्टाचार की परतें उजागर होने के बावजूद प्रशासन का रवैया शर्मनाक चुप्पी में लिपटा हुआ है। कुछ को नोटिस जरूर जारी हुए हैं, लेकिन दोषियों पर कार्रवाई आज तक शून्य है।लूट का खुला मंच, प्रशासन की आँखों पर बधां भ्रष्टाचारकी पट्टी।जिन ग्राम पंचायतों में बाहर काम करते ए मजदूरों के नाम पर भुगतान, विवाह हो ससुराल जा चुकी महिलाओं पर भुगतान, फर्जी जॉब कार्ड, कागजी कार्यस्थल और एक ही मजदूर से दर्जनों योजनाओं में काम दिखाया गया, वहां आज तक किसी ग्राम प्रधान, सचिव या तकनीकी सहायक पर कोई एफआईआर तक नहीं हुई।उठ रहे कई सवाल नोटिस देने के बाद किस दबाव में रुकी कार्यवाही?, क्या भ्रष्टाचारियों को बचाने में खुद तंत्र शामिल है?, क्या जांच रिपोर्ट सिर्फ प्रशासनिक ड्रामा हैं?, घोटाले का पर्दाफाश हुआ, अब किसका इंतजार है?, जनता का सवाल “बनकटी क्षेत्र की जनता का सब अब जवाब दे रहा है। लोग पूछ रहे हैं: जब एकमा में तालाब बिना मिट्टी खुदे ही कागजों में तैयार हो गया, कार्यवाही सिफर। भैंसा पांडये की मनरेगा बदहाली के आंसू रो रही है कार्यवाही सिफर।प्रशासन की चुप्पी, भ्रष्टाचारियों की हँसी यह कैसा शासन है जहा नोटिस मिलते ही भ्रष्ट अधिकारी छु‌ट्टी पर चले जाते हैं? और जहां कार्रवाई की जगह घोटालेबाजों को तबादलों का इनाम मिलता है? क्या ये संकेत नहीं कि घोटालों की जड़ें ऊपर तक जुड़ी हैं? क्या ये खेल केवल नीचे के कर्मचारियों का है, या कोई बड़ा ‘हाथ’ है बचा रहा।

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