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“हमारा देश सुशिक्षित बेकारी का स्पोट होने की कगार पर तो नही?”

"हमारा देश सुशिक्षित बेकारी का स्पोट होने की कगार पर तो नही?"

“देश मे हमारे सरकारी गलत निती,जमिन पे काम ना होकर,कागजो पर देश विश्वगुरु तो बणने तो नही जा रहा ?                                                         गौर मतलब यह है की,बढती लोकसंख्या, बढते सरकारी खर्चे,निजीकरण,पुंजीवादीकां राजकीय  दबदबा,जनता के मुद्दोकी और अनदेखी,बहुतकुछ.!      जनता की करोडोकी जमिने कवडी मोल कीमत देकर सरकार द्वारा अधिग्रहित कर वह जमिने औद्योगिक क्षेत्र को कंम किमत पर उद्योग के लीये जाती है!    ताकी जनता को कायम ,सुरक्षीत रोजगार,जीवन मिले पर क्या यह निजीकरण की वजह से संभव हो रहा है!? उद्योगपतीयोने जनताहकी जमिने सरकारी हस्तक्षेप से हतियाकर बैठे कर आज खूद मालिक बन बैठे है!     जो सरकारी उद्देश है,उसकी जनता को कायम रोजगार न देकर धजिय्या उडाई जा रही है!                            निजीकरण कर ठेकेदारी मे काम कराकर जनता, सरकारको ठग रहे है ! सरकारी बाशिंदे को पता है? ,पर वे कुछ नही कहेंगे,उन्हे सुशिक्षित बेरोजगार, मजुर,घरकामगार की क्या पडी है!,बस उनका चल रहा है !                  ‌                               ‌‌‌‌‌‌                      आजका युवा पढलिखकर,बेकार है,!औद्योगिक परिसर तो है,पर काम नही है!,नोकरी नही,सोचते हो ऋण लेंगे पर बेंक तयार नही है,!जो महामंडल थे वे स्थानिक सरकार ने बरखास्त कीये है,!बेंक को अधिकार दिये है,!जो ,उनकी दादागिरी दिनब दिन बढरती जा रही है !कुछ उदाहरण येसे है!सालोसाल बेंक के चक्कर काटने के बकाद बेंक मेनेजर बोल देता हे,तुम्हे लोन नही मिलेगा,तुम्हारे कागजाद मिल नही रहे है.!तो युवा करे तो क्या करे,सरकारी निती कागजोपे है,देश की तरक्की डींगे मारे जा रही है ! कृती झिरो है !क्यो बेकारी का स्पोट नही होगा.!सभी राज्य की युवा बेकारी से त्रस्त है,!आलम यह है,पढलिखकर नोकरी,लोन के वास्ते चक्कर लगाकर बुढे हो गये,ऊमर बढी,नोकरी,तथा लोन मिलनेसे बाद हो गये.!बहुत बडी त्रासदी हमारे देश मे बढी है,क्या यह परिस्थितीयां बदलेगी,या नही,यह हर युवा,नागरिक, जनता की आवाज उठ रही है.!

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