बिजली के निजीकरण की खामियां घर-घर जाकर बताएंगे बिजलीकर्मी, जताई घोटाले की आशंका; सीबीआई जांच की मांग
लखनऊ।
वन्दे भारत लाइव टीवी न्यूज
यूपी में होने वाले बिजली के निजीकरण के खिलाफ कर्मचारियों ने कमर कस ली है। अब वह घर-घर जाकर इसकी खामियां लोगों को बता रहे हैं। यह समझा रहे हैं कि निजीकरण हुआ तो बिजली दरों में बढ़ोतरी होगी। निजीकरण के विरोध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने जनसंपर्क अभियान शुरू किया है। इसके तहत विद्युत उपभोक्ताओं, विभिन्न संगठनों के लोगों को निजीकरण से होने वाले नुकसान की जानकारी देते हुए आंदोलन में हिस्सा लेने की अपील की जा रही है। इसी क्रम में मंगलवार को समिति के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र भेजा। इसमें निजीकरण में घोटाले की आशंका जताते हुए पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों संजय सिंह चौहान, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय ने कहा कि ट्रांजेक्शन एडवाइजर कंपनी ग्रांट थार्नटन को अवैध ढंग से नियुक्त किया गया। अब उसी के प्रस्ताव पर निजीकरण की तैयारी है। इसी बीच मंगलवार को फील्ड हास्टल में हुई संघर्ष समिति की बैठक में भविष्य में चलने वाले आंदोलन को धार देने की रणनीति तैयार की गई। तय किया गया कि निजीकरण के विरोध में विभिन्न जिलों एवं परियोजनाओं पर आंदोलन जारी रहेगा।
*निजीकरण मसौदे की बैलेंस शीट में अनियमितता*
निजीकरण के मसौदे में पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल को तोड़कर पांच नई कंपनियां बनाई जानी हैं। इनके लिए तैयार की गई बैलेंस शीट में बड़े पैमाने पर अनियमितता है। इन अनियमितताओं को राज्य विद्युत नियामक आयोग ने भी चिन्हित किया है।
निजीकरण के मसौदे पर विद्युत नियामक आयोग से अभिमत मांगा गया था, जिस पर आयोग ने विभिन्न तरह की कमियां बताते हुए प्रस्ताव लौटा दिया है। इसमें बैलेंट शीट में भी कई तरह की कमियां पाई गई हैं। ट्रांजेक्शन एडवाइजर कंपनी ग्रांट थार्नटन द्वारा तैयार की गई बैलेंस शीट में मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन 2025 का उल्लंघन किया गया है। विद्युत नियामक आयोग के आंकड़ों को नहीं लिया गया। बैलेंस शीट में वर्ष 2023 -24 के आंकड़ों को आधार बनाया गया है। जबकि कंपनियों की वर्ष 2024 -25 की बैलेंस शीट बन चुकी है।
पूर्वांचल एवं दक्षिणाचंल की इक्विटी लगभग 6900 करोड़ मानी गई है। यदि पांचों नई बनने वाली बिजली कंपनियों की रिजर्व बिड प्राइस निकल जाए तो एक कंपनी की करीब 1500 करोड़ से भी कम होगी। ऐसे में राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने ट्रांजेक्शन एडवाइजर कंपनी की ओर से तैयार की गई बैलेंस शीट पर सवाल उठाया है।
परिषद अध्यक्ष ने कहा कि ट्रांजेक्शन एडवाइजर कंपनी ग्रांट थार्नटन ने कास्ट डाटा बुक के तहत जमा उपभोक्ताओं के पैसे को भी परिसंपत्ति माना है। इससे भविष्य में आने वाले निजी घरानों को रिटर्न ऑफ इक्विटी से करोड़ों रुपया ज्यादा मिलेगा। यह एक तरह से निजी कंपनी को बड़ा लाभ देने के लिए वित्तीय अनियमितता की गई है। परिषद अध्यक्ष ने इस पूरे मामले में निदेशक (वित्त) सहित अन्य उच्चाधिकारियों के शामिल होने का आरोप लगाया है। साथ ही उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
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