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चामराजपेट शीतल नाथ श्वेतांबर जैन संघ में मुनि राजपद्मसागरजी का संयम रजत उत्सव मनाया

चामराजपेट शीतल नाथ श्वेतांबर जैन संघ में मुनि राजपद्मसागरजी का संयम रजत उत्सव मनाया बेंगलूरू: श्री शीतल नाथ श्वेतांबर जैन संघ ट्रस्ट चामराजपेट बेंगलुरु में मुनि राजपद्मसागरजी महाराज का संयम जीवन के 25 वर्ष की उजवनी की महाराज साहब दीक्षा दिवस की शुभकामना देने के लिए बहुत सारे संघ एवं श्रावक श्राविकाओं की उमटी भीड़ श्रावक श्राविकाओं ने अपने भावों को गुरुदेव के संयम जीवन की गुणो की अनुमोदना की, अनेक संघ से सभी ने अपने वक्तव्य को गुरु के चरणों में समर्पित किया, और मुनि राजपद्मसागरजी ने कहा की साधु के दर्शन से पुण्य का उपार्जन होता है, साधु को देखना मंगल, साधु को सुनना मंगल, साधु के पास में बैठने में आनंद, क्योंकि साधु का जीवन है निष्पाप जीवन होता है, हमेशा सभी जीवो को कष्ट नहीं पहुंचाते, वैसे एकेंद्रीय से लगाकर के पांच इंद्रियों जीवो की रक्षा करने वाले सभी जीवों की रक्षा करने वाले साधु होते हैं, साधु के दर्शन से इलायची कुमार को केवल ज्ञान के प्राप्ति हुई साधु के दर्शन से उदयन मंत्री को समाधि की प्राप्ति हुई, साधु के दर्शन साधु के वंदन से कृष्ण महाराज की नरक टल गई, ऐसा होता है साधु जीवन। मुनि श्रमणपद्मसागरजी ने भी कहा कि गुना की अनुमोदना करने से हमारा में रहे हुए दोष दूर होते हैं और गुणो की प्राप्ति होती है, और ऐसे मुनि श्री राजपद्मसागर जी महाराज का दीक्षा दिवस है....और गुरुदेव को का व्होराने ( ओढ़ाने )के लाभार्थी हीराचंद पद्माबेन पूनमभाई बुरड़ एवं गुरु पूजन के लाभार्थी कानमल विजयराज मींडियासोनी परिवार ने लाभ लिया। बाल्यवय में साधु जीवन स्वीकार करते हुए श्री संघ एवम गुरू के चरणों में जीवन समर्पित किया। पूज्य गुरूदेव मुनि राजपद्मसागरजी महाराज के 25 वें दीक्षा दिन के भव्य उत्सव में गुणों की अनुमोदना करने में सभी श्री संघ एवं श्रावक श्राविकाओं सहभागी बनें।

चामराजपेट शीतल नाथ श्वेतांबर जैन संघ में मुनि राजपद्मसागरजी का संयम रजत उत्सव मनाया
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बेंगलूरू: श्री शीतल नाथ श्वेतांबर जैन संघ ट्रस्ट चामराजपेट बेंगलुरु में मुनि राजपद्मसागरजी महाराज का संयम जीवन के 25 वर्ष की उजवनी की महाराज साहब दीक्षा दिवस की शुभकामना देने के लिए बहुत सारे संघ एवं श्रावक श्राविकाओं की उमटी भीड़ श्रावक श्राविकाओं ने अपने भावों को गुरुदेव के संयम जीवन की गुणो की अनुमोदना की, अनेक संघ से सभी ने अपने वक्तव्य को गुरु के चरणों में समर्पित किया, और मुनि राजपद्मसागरजी ने कहा की साधु के दर्शन से पुण्य का उपार्जन होता है, साधु को देखना मंगल, साधु को सुनना मंगल, साधु के पास में बैठने में आनंद, क्योंकि साधु का जीवन है निष्पाप जीवन होता है, हमेशा सभी जीवो को कष्ट नहीं पहुंचाते, वैसे एकेंद्रीय से लगाकर के पांच इंद्रियों जीवो की रक्षा करने वाले सभी जीवों की रक्षा करने वाले साधु होते हैं, साधु के दर्शन से इलायची कुमार को केवल ज्ञान के प्राप्ति हुई साधु के दर्शन से उदयन मंत्री को समाधि की प्राप्ति हुई, साधु के दर्शन साधु के वंदन से कृष्ण महाराज की नरक टल गई, ऐसा होता है साधु जीवन। मुनि श्रमणपद्मसागरजी ने भी कहा कि गुना की अनुमोदना करने से हमारा में रहे हुए दोष दूर होते हैं और गुणो की प्राप्ति होती है, और ऐसे मुनि श्री राजपद्मसागर जी महाराज का दीक्षा दिवस है….और गुरुदेव को का व्होराने ( ओढ़ाने )के लाभार्थी हीराचंद पद्माबेन पूनमभाई बुरड़ एवं गुरु पूजन के लाभार्थी कानमल विजयराज मींडियासोनी परिवार ने लाभ लिया। बाल्यवय में साधु जीवन स्वीकार करते हुए श्री संघ एवम गुरू के चरणों में जीवन समर्पित किया। पूज्य गुरूदेव मुनि राजपद्मसागरजी महाराज के 25 वें दीक्षा दिन के भव्य उत्सव में गुणों की अनुमोदना करने में सभी श्री संघ एवं श्रावक श्राविकाओं सहभागी बनें।

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