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कलेक्टर सुश्री भव्या मित्तल ने 21 फरवरी को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की बैठक लेकर स्वास्थ्य कार्यक्रमों एवं योजनाओं की विस्तार से समीक्षा की। बैठक में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एमएस सिसोदिया, जिला टीकाकरण अधिकारी, सहायक संचालक महिला एवं बाल विकास सुश्री मोनिका बघेल, सभी खण्ड चिकित्सा अधिकारी, डब्ल्यूएचओ के अधिकारी, जपाईगो और अंतरा फाउंडेशन के पदाधिकारी मौजूद थे।
बैठक में सर्वप्रथम क्षय नियंत्रण कार्यक्रम की समीक्षा की गई। इस दौरान बताया गया कि जिले में 3860 क्षय रोगियों का पता लगाकर उनके उपचार करने का लक्ष्य है। भगवानपुरा विकासखण्ड में 220 के विरूद्ध 130 एवं झिरन्या विकासखण्ड में 160 के विरूद्ध 100 क्षय रोगियों का ही पता लगाया गया है। कलेक्टर सुश्री मित्तल ने लक्ष्य से बहुत कम संख्या में क्षय रोगियों का पता करने वाले इन दोनों विकासखण्ड में खखार जांच की सुविधा बढ़ाने के निर्देश दिए। इसके लिए सिरवेल स्वास्थ्य केन्द्र में एक टेक्नीशियन की सेवाएं सप्ताह में कम से कम 02 दिन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। संभावित क्षय रोगियों का पता लगाने के लिए खण्ड चिकित्सा अधिकारियों को आशा कार्यकर्ताओं की बैठक लेकर खखार जांच की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए।
बैठक में (मिजल्स) खसरा, रूबेला टीकाकरण की समीक्षा के दौरान पाया गया जिले में वर्ष 2023-24 में मिजल्स के 05 मरीज पाये गये थे। जिले में मिजल्स का औसत टीकाकरण 84 प्रतिशत है। लेकिन बड़वाह, गोगावां, कसरावद एवं खरगोन विकासखण्ड में यह प्रतिशत कम है। कलेक्टर सुश्री मित्तल ने जिले में शत प्रतिशत मिजल्स रूबेला टीकाकरण के लिए विशेष प्रयास करने के निर्देश दिए और कहा कि जिन क्षेत्रों में टीकाकरण कम है, वहां पर जागरूकता अभियान चलाएं। खण्ड चिकित्सा अधिकारी और बीपीएम अपने क्षेत्र में व्हाट्सअप ग्रुप बनाकर टीकाकरण कार्य पर कड़ी निगरानी रखें। व्हाट्सअप ग्रुप पर ही टीकाकरण से छूट गए बच्चों की ड्यू लिस्ट डाली जाए और अगले सप्ताह उस लिस्ट के बच्चों का अनिवार्य रूप से टीकाकरण किया जाए।
जिन स्थानों पर एएनएम नहीं है, वहां पर सीएचओ से टीकाकरण का कार्य कराया जाए।
दस्तक अभियान की समीक्षा के दौरान बताया गया कि 18 फरवरी से जिले में यह अभियान प्रारंभ किया गया है। इसके अंतर्गत बच्चों को विटामिन ए की खुराक पिलाई जा रही है। कलेक्टर सुश्री मित्तल ने इस अभियान पर कड़ी निगरानी रखने के लिए जिला स्तर पर कंट्रोल रूम बनाने और सभी खण्ड चिकित्सा अधिकारियों को इसकी सघन मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए। उन्होंने खण्ड चिकित्सा अधिकारियों को निर्देशित किया कि दस्तक अभियान की शत प्रतिशत उपलब्धि के लिए बाल विकास परियोजना अधिकारियों से समन्वय बनाकर कार्य करें और सीएचओ की बैठक में आंगनवाड़ी पर्यवेक्षकों को भी शामिल करें।
कलेक्टर सुश्री मित्तल ने जिले में मातृ मृत्यु दर को कम करने और संस्थागत प्रसव को बढ़ाने के लिए कारगर प्रयास करने के निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि जिले के आदिवासी बाहुल्य भगवानपुरा और झिरन्या विकासखण्ड में गर्भवती माताओं को प्रसव के लिए अस्पताल पहुंचाने 03-03 वाहन की व्यवस्था की जा रही है। इसमें परिवार संस्था द्वारा 02-02 वाहन दिये जाएंगे। 10 मार्च तक इन दोनों विकासखण्ड में इन वाहनों की सुविधा प्रारंभ कर दी जाएगी। यह वाहन 108 एम्बुलेंस के अतिरिक्त होंगे। इन वाहनों को पिपलझोपा, सिरवेल एवं हेलापड़ावा के स्वास्थ्य केन्द्रों में रखा जाएगा। कलेक्टर सुश्री मित्तल ने सख्त निर्देश दिए कि प्रसव के लिए गर्भवती माता को अस्पताल पहुंचाने के लिए सभी चिकित्सक एवं स्वास्थ्य विभााग का अमला संवेदनशील होकर कार्य करें। गर्भवती महिला को प्रसव के लिए जिला अस्पताल या अन्य स्थान पर रैफर करने में कागजी कार्यवाही में समय न गंवाएं, बल्कि उसे जल्दी से जल्दी अस्पताल पहुंचाने का प्रयास करें। इसमें किसी भी तरह की लापरवाही पाये जाने पर जिम्मेदार व्यक्ति के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
कलेक्टर सुश्री मित्तल ने संकल्प अभियान के अंतर्गत मातृ-शिशु मृत्यु दर को सिंगल डिजिट में लाने के लिए होम डिलेवरी को कम करने और संस्थागत प्रसव शत प्रतिशत कराने के निर्देश दिए। उन्होंने सिकलसेल वाली गर्भवती माताओं के प्रसव के लिए जिला चिकित्सालय एवं सिविल अस्पतालों में विशेष सुविधा रखने के निर्देश दिए। इसके साथ ही कम वजन के पैदा होने वाले बच्चों के उपचार पर विशेष निगरानी रखने के निर्देश दिए। एसएनसीयू से डिस्चार्ज होने वाले बच्चों एवं कम वजन के पैदा हुए बच्चों के फालोअप के लिए एएनएम को होम विजिट अनिवार्य रूप से करने के निर्देश दिए गए। बैठक में मोतियाबिंद के मरीजों के चिन्हांकन एवं ऑपरेशन के लिए लगाए जा रहे शिविरों पर विशेष ध्यान देने और इनमें अधिक से अधिक नेत्र रोगियों की जांच करने के निर्देश दिए गए।