
वंदेभारतलाइवटीव न्युज-: महाराष्ट्र राज्य के स्कूलों में नये शिक्षा सत्र 2025-26 से चरणबद्ध तरीके से नई शिक्षा पद्धति लागू की जायेगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार नये शिक्षा सत्र से कक्ष् पहली की नई पाठ्यपुस्तकें भी उपलब्ध करवाई जायेंगी। शिक्षा सत्र 2026-27 के दौरान कक्षा दूसरी, तीसरी, और चौथी की नई पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराई जायेंगी। इसके बाद शिक्षा सत्र 2027-28 में कक्षा पांचवीं छठवीं सातवीं आठवीं की नई पाठ्यपुस्तकें आयेंगी। शिक्षा सत्र 2028-29 में कक्षा नौवीं दसवीं ग्यारहवीं बारहवीं कक्षा के लिए नई पाठ्यपुस्तकों के साथ नई शिक्षा पद्धति नई नीति के साथ नये पाठ्यक्रम का हिस्सा बनेंगी। जानकारी अनुसार महाराष्ट्र राज्य के स्कूली शिक्षा एवं क्रीड़ा विभाग ने बुधवार 16 अप्रैल को नई शिक्षा नीति को लागू करने बावत परिपत्र जारी कर दिया है। परिपत्र के अनुसार राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद की कीताबों में राज्य के अनुसार आवश्यक बदलाव कर पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जायेगा। महाराष्ट्र राज्य सरकार की ओर से जारी परिपत्र में कहा गया कि फिलहाल मराठी और अंग्रेजी माध्यम के सभी व्यवस्थापन के स्कूलों मे केवल दो भाषाएं ही पढ़ाई जाती हैं, नई नीति के अनुसार पहली से पांचवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में हिन्दी भाषा की भी पढ़ाई अनिवार्य रहेगी। जबकि दूसरे माध्यम के स्कूलों में माध्यम की भाषा के साथ मराठी और अंग्रेजी भी अनिवार्य रहेगी। नई शिक्षा पद्धति के अंतर्गत महाराष्ट्र में स्कूली शिक्षा को चार भागों में रखा गया है। बालवाटिका के तीन वर्ष केजी और पहली दूसरी कक्षा को बुनियादी स्तर माना गया है। तीन वर्ष आठ वर्ष तक के बच्चों को इन कक्षाओं में शिक्षा दी जायेगी। आठ वर्ष से ग्यारह वर्ष मतलब तीसरी से पांचवीं तक को पूर्व तैयारी स्तर, ग्यारह से चौदह साल तक के छठवीं सातवीं और आठवीं कक्षाओं को पूर्व माध्यमिक स्तर और चौदह से अठारह मतलब नौवीं से बारहवीं तक के चार साल को माध्यमिक स्तर पर रखा गया है। इसका मतलब शिक्षा को क्रमशः 5+3+3+4 के स्तर में बांटा गया है।