नौतपा क्या है। इस समय गर्मी चरम पर पहुँक जाती है। इस कालखण्ड को नौतपा कहा जाता है।
इसी की जानकारी मुझे मिली …लगा कि शेयर करना ठीक रहेगा।
समझे और बच्चों को भी समझाए।–
ज्योतिष कालगणना के अनुसार जब तप्तग्रह सूर्य, शीतग्रह चन्द्रमा के रोहिणी नक्षत्र में अर्थात् वृष राशि के १० से २० अंश तक रहता है तब नौतपा होता है।
इन नौ दिनों में सूर्य पृथ्वी के काफी करीब आ जाता है।
इस नक्षत्र में सूर्य १५ दिनों तक रहता है, किन्तु प्रारम्भ के नौ दिनों में गर्मी काफी बढ़ जाती है। सूर्य के कारण पृथ्वी का तापमान भी नौ दिनों तक सबसे अधिक रहता है, इसलिए नौ दिनों के समय को नौतपा कहा जाता है।
खगोल विज्ञान के अनुसार, नौतपा के दौरान सूर्य की किरणें धरती पर पर सीधी लम्बवत् पड़ती हैं। जिसके कारण तापमान में वृद्धि हो जाती है।
शकुन-ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि नौतपा के नौ दिनों में गर्मी अधिक रहे, गर्म हवा, लू आदि चले तो ये मानसून में श्रेष्ठ वर्षा का संकेत होता है। यदि इन दिनों में वर्षा, ओलावृष्टि या मामूली छींटे भी पड़ जाते हैं तो आगामी मानसून कमजोर हो सकता है।
ज्योतिष के ग्रन्थ सूर्यसिद्धान्त और पुराणों में नौतपा का वर्णन आता है।
मूल आलेख :पं_मणिमान्_शास्त्री
ज्येष्ठ मास में जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है तो नवतपा प्रारंभ होता है और लगभग नौ दिन गर्मी बढ़कर चरम पर रहती है.
इस वर्ष सूर्य 24 तारीख को रात्रि 3 बजकर 16 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश कर चुके हैं. नौतपा की अवधि आगामी 1 जून तक रहेगी.
नौतपा अगर ना तपे तो क्या होता है?
लू अगर ना चले तो क्या होता है?
इन प्रश्न के ‘क्यों’ के जवाब हैं-
‘दो मूसा, दो कातरा, दो तीड़ी, दो ताव।
दो की बादी जळ हरै, दो विश्वर दो वाव।
‘नौतपा के पहले दो दिन लू न चली तो चूहे बहुत हो जाएंगे।
अगले दो दिन न चली तो कातरा (फसल को नुकसान पहुँचाने वाला कीट)।
तीसरे दिन से दो दिन लू न चली तो टिड्डियों के अंडे नष्ट नहीं होंगे।
चौथे दिन से दो दिन नहीं तपा तो बुखार लाने वाले जीवाणु नहीं मरेंगे।
इसके बाद दो दिन लू न चली तो विश्वर यानी साँप-बिच्छू नियंत्रण से बाहर हो जाएंगे।
आखिरी दो दिन भी नहीं चली तो आंधियां अधिक चलेंगी, फसलें चौपट कर देंगी।
#नौतपा साल के वह 9 दिन होते है जब सूर्य पृथ्वी के सबसे नजदीक रहता है जिस कारण से इन 9 दिनों में भीषण गर्मी पड़ती है इसी कारण से इसे #नौतपा कहते हैं।
इस वर्ष 25 मई से 2 जून तक नौतपा है।
इन दिनों में शरीर तेज़ी से डिहाइड्रेट होता है जिसके कारण डायरिया, पेचिस, उल्टियां होने की संभावना बढ़ जाती है!
अतः नीम्बू पानी, लस्सी, मट्ठा (छांछ), खीरा, ककड़ी, तरबूज, खरबूजे का भरपूर प्रयोग करें, बाहर निकलते समय सिर को ढक कर रखें अन्यथा बाल बहुत तेज़ी से सफेद होंगे, झड़ेंगे।
इन दिनों में पानी खूब पिया और पिलाया जाना चाहिए ताकि पानी की कमी से लोग बीमार न हो। इस तेज गर्मी से बचने के लिए दही, मक्खन और दूध का उपयोग ज्यादा करें। इसके साथ ही नारियल पानी और ठंडक देने वाली दूसरी और भी चीजें खाऐ।
25 मई से *”नौतपा”* शुरू हो गया है।
*नौतपा भी बहुत जरूरी है क्योंकि*
1. पहले दो दिन यदि लू नहीं चली तो चूहे बहुत बढ़ सकते हैं।
2. अगले दो दिन लू नहीं चली तो कातरा (फसल को नुक़सान पहुॅंचाने वाला एक कीट) पैदा हो जायेगा।
3. तीसरे दिन से आगे के दो दिन यदि लू नहीं चली तो टिड्डियों के अंडे नष्ट नहीं हो सकेंगे।
4. चौथे दिन के बाद अगले दो दिन नहीं तपा तो बुखार फैलाने वाले कीटाणु नष्ट नहीं होंगे।
5. अगले दो दिन फिर नहीं तपा तो साॅंप-बिच्छू अनियंत्रित बढ़ जायेंगे।
6. आखिरी दो दिन नहीं तपा तो ऑंधियाॅं बहुत चल सकती है जिससे फसलों को काफी नुक़सान हो सकता है।
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