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फर्जी दस्तावेजों के आधार पर किया गया तकनीकी मूल्यांकन , बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा

जांच हुई तो नपेंगे कई बड़े अधिकारी

नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग (सूडा) द्वारा भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना अमृत मिशन में जल प्रदाय योजना का कार्य जगदलपुर को छोड़कर पूरे राज्य में कार्य पूर्ण किये जा चुके है, तथा सभी शहरो में जल आपूर्ति भी किया जा रहा है तथा केंद्र सरकार द्वारा अमृत मिशन के तहत दूसरा फेज भी लागू कर दिया गया है, जबकि जगदलपुर में अभी तक प्रथम चरण की योजना पूर्ण नही हो सकी है।

 

नगर पालिक निगम जगदलपुर के अधिकारियों की उदासीनता के चलते करोडो खर्च करने के बाद भी योजना पूर्ण नही हो सकी है। कार्य बंद होने के सबंध में ठेकेदार द्वारा भुगतान लंबित होने की बात कही जा रही है, ठेकेदार द्वारा 90 प्रतिशत कार्य पूर्ण बताया जा रहा है। वहीं विगत दिनाें मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के जगदलपुर प्रवास के दाैरान प्रदेश अध्यक्ष भाजपा एवं विधायक किरण देव, महापौर सफीरा साहू के साथ एमआईसी सदस्यों ने अमृत मिशन को जल्द पूरा कराने के लिए अपेक्षित राशि की मांग की है।

 

राज्य द्वारा अमृत मिशन 1.0 के शेष बचे हुए एवं अमृत 2.0 के समस्त कार्यों के लिए चयनित पी.डी.एम.सी. (मेसर्स शाह टेक्निकल) होने के बाद भी जगदलपुर नगर पालिक निगम द्वारा बिना किसी अनुमति के अलग पी.डी.एम.सी. एजेंसी के रूप में मेसर्स पुराणिक ब्रदर्स का चयन किया गया, जिससे एक ही कार्य हेतु दो अलग फार्म को भुगतान किया जा रहा है, इससे शासन को करोड़ों का चूना लगाया जा रहा है।

 

जबकि केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार अलग पी.डी.एम.सी. रखने के लिए अमृत मिशन डायरेक्टर की अनुमति आवश्यक होती है, लेकिन जगदलपुर निगम द्वारा बिना किसी अनुमति के अधिकारियों द्वारा स्वयं का स्वार्थ पूरा करने के लिए अलग से पी.डी.एम.सी. का चयन किया गया ।

 

बिना तकनीकी अनुमति के जारी कर दिया कार्यादेश

यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी भी कार्य के लिए तकनीकी अनुमति होना आवश्यक होता है, तथा 1.50 करोड़ से अधिक के कार्य हेतु अधीक्षण अभियंता द्वारा तकनीकी स्वीकृती प्रदान की जाती है किन्तु अमृत मिशन हेतु निकाय स्तर में पी.डी.एम.सी. चयन के टेंडर हेतु किसी भी प्रकार से तकनीकी स्वीकृती नही लिया गया तथा बिना स्वीकृती के ही टेंडर जारी कर कार्यादेश प्रदान कर दिया गया, जो कि गंभीर भ्रष्टाचार का विषय है।

फर्जी दस्तावेजों के आधार पर किया गया तकनीकी मूल्यांकन

पी.डी.एम.सी. कार्य हेतु पुराणिक ब्रदर्स द्वारा जमा किये गए अधिकारियों के बायोडाटा में फर्जी अनुभव दिखाया गया है,

 

25 साल के व्यति को 22 वर्ष का अनुभव बताया गया तथा अधिकारियों द्वारा फर्जी बायोडाटा के आधार पर तकनीकी मूल्यांकन कर दिया गया, इसमें महत्वपूर्ण बात यह है कि तकनीकी मूल्यांकन को कार्यपालन अभियंता/नोडल अधिकारी स्तर के अधिकारी का अनुमोदन आवश्यक होता है किन्तु तकनीकी मूल्यांकन को सब इंजिनियर द्वारा अनुमोदन किया गया है जो कि शासन के नियमो के विरुद्ध है।

 

पुराणिक ब्रदर्स द्वारा टेंडर प्रक्रिया हेतु प्रदान किये गए बायोडाटा उच्च अनुभव वाले अधिकारियों का दिया गया था, किन्तु साईट पर उन अधिकारियों को नियुक्त नही किया गया। टेंडर के दिशा-निर्देशानुसार टेंडर में दिए गए बायोडाटा वाले ही अधिकारियों को नियुक्त किये जाने थे।

 

3 अधिकारियों की नियुक्ति कर लिया जा रहा 6-7 अधिकारियों के नाम पर भुगतानटेंडर के दिशा-निर्देशानुसार अमृत मिशन के कार्य हेतु पुराणिक ब्रदर्स को 7 अधिकारियों की नियुक्ति किया जाना था, तथा निगम द्वारा पी.डी.एम.सी. के कार्य हेतु भुगतान नियुक्त किये गए अधिकारियों के अनुसार किया जाना था, किन्तु पुराणिक ब्रदर्स द्वारा 3 अधिकारियों की नियुक्ति करके 7 अधिकारियों की नियुक्ति का बिल प्रस्तुत किया जा रहा है, तथा इस मामले में निगम के अधिकारियों की चुप्पी भ्रष्टाचार की तरफ साफ़ इशारा कर रही है।

 

अधिक लागत वाले एजेंसी को दिया गया पी.डी.एम.सी. का कार्य

पी.डी.एम.सी. हेतु जारी किये गए टेंडर में 3 ठेकेदारों ने क्वालीफाई किया था, जिसमे सबसे कम लागत मेसर्स मार्श इंजीनियरिंग (1.33 करोड़) की थी, किन्तु भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारिओं द्वारा अधिक लागत (1.71 करोड़) में कार्य पुराणिक ब्रदर्स को दिया गया।

राहुल सेन – संवादाता रायपुर

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