कारवा चौथ स्त्री-शक्ति, पतिव्रता और पारिवारिक रिश्तों के मजबूती का प्रतीक है – अमरेन्द्र
कारवां चौथ पर महिलाओं ने व्रत रख पति की दीर्घायु की, की कामना
गडहनी। भोजपुर जिले के गडहनी प्रखण्ड अन्तर्गत विभिन्न गांवो मे शादी शुदा महिलाओं के द्वारा पति की लम्बी आयु की कामना को लेकर कारवां चौथ का व्रत किया गया।इस अवसर पर व्रती महिलाओ के द्वारा चन्द्रमा को अर्घ्य प्रदान कर कथा श्रवण किया गया।पण्डित अमरेन्द्र कुमार मिश्र ने बताया कि सनातन धर्म में करवा चौथ सुहागिन महिलाओं का सबसे चर्चित और बड़ा त्योहार है। विवाहित स्त्रियां इस दिन अपने सुहाग की सलामती के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।
मान्यता है कि इस व्रत को रखने से करवा माता (देवी पार्वती का एक रूप) की कृपा से पति की आयु लंबी होती है और घर-परिवार में सब निरोग और सुखी रहते हैं। बदलते जमाने के चलन के साथ अब केवल महिलाएं ही नही अनेक पुरुष भी अपनी लाइफ पार्टनर से प्रेम जताने के लिए इस व्रत का उपवास रखने लगे हैं।करवा पूजन के साथ एक लोटे में जल रखा जाता है और उसी जल से चन्द्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। चांद निकलने के बाद छलनी की ओट से पति को देखकर चांद का दर्शन किया जाता है। फिर चन्द्रमा को जल से अर्घ्य देकर पति की लंबी उम्र की प्रार्थना की जाती है। बता दें, हिन्दू धर्म में चतुर्थी तिथि चंद्रमा को समर्पित है। इसलिए चांद की पूजा के बिना ये करवा चौथ का व्रत अधूरा माना जाता है।
स्त्री-शक्ति के गौरव का पर्व
हालांकि करवा चौथ का का मुख्य उद्देश्य अपने पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना करना होता है, लेकिन यह व्रत स्त्री-शक्ति, पतिव्रता और पारिवारिक रिश्तों के मजबूती का बेजोड़ प्रतीक है। यह व्रत महिलाओं की अटूट आस्था, धैर्य और बलिदान की भावना को दर्शाता है और इस रूप में यह स्त्री-शक्ति के गौरव का पर्व है।अर्घ्य प्रदान करने वाली व्रती महिलाओ मे माया देवी, ममता देवी, अराधना देवी सहित सैंकडो महिलाएं शामिल रहे।