शोहरतगढ़। हर्षोल्लास व श्रद्धा के साथ उगते सूर्य की पहली किरण को अर्घ्य देकर छठ व्रत का समापन शुक्रवार को हुआ। उगा उगा हे सूर्यदेव उगा आदि छठ गीत गाते हुए व्रती महिलाएं घाटों पर पहुंच गईं। सूप में पूजा सामग्री नारियल, मूंगफली, सिंघाड़ा, केला सेब, ठेकुआ आदि रखकर सरोवर में खड़ी होकर सूर्यदेव के उगने की प्रतिक्षा करने लगीं। सुबह जैसे ही सूर्य की लालिमा दिखी, जयकारा लगने लगा और महिलाओं ने सूर्य को अर्घ्य देकर अपना व्रत तोड़ा। चेयरमैन उमा अग्रवाल अपने पति रवि अग्रवाल के संग उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर परिवार के साथ क्षेत्र के खुशहाली के लिए कामना की। श्रद्धालुओं से शिव बाबा छठ घाट खचाखच भरा हुआ था और सुरक्षा की दृष्टि से सरोवर में गोताखोर नाव पर सवार होकर भ्रमण करते रहे। शोहरतगढ़ के शिव बाबा घाट समेत बानगंगा, चिल्हिया, पल्टादेवी, करौती, बेलवा महदेवा, बानगंगा, बड़गो, कपिया, टेकनार, गायघाट, धुसरी बुजुर्ग, धुसरी खुर्द, गौरा बाजार, खुरहुरिया, बूढ़ापारा पकड़ी आदि घाटों पर भारी संख्या में व्रती महिलाओं समेत परिजन व श्रद्धालु पहुंचे। सुरक्षा के लिए सीओ सुजीत राय, शोहरतगढ़ एसओ बिंदेश्वरी मणि त्रिपाठी, चिल्हिया एसओ दुर्गा प्रसाद भारी संख्या में पुलिस के जवानों के साथ मुस्तैद दिखे।
- शोहरतगढ़ तहसील क्षेत्र के बानगंगा, घोरही, बूढ़ी राप्ती नदी व विभिन्न पोखरों पर भोर होते ही पुरूबे से उगेले नारायन, पछिमे होला उजियार और उग हो सूरुज देव भइल अरघ के बेर जैसे छठ माई के गीत गूंज उठे। कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू हुआ छठ महापर्व सप्तमी तिथि में उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही शुक्रवार को संपन्न हो गया। छठ महापर्व के चौथे दिन शुक्रवार को विभिन्न नदी, घाटों और तालाबों पर बनाई गई वेदियों के पास पहुंचे। पानी में खड़े होकर उगते सूर्य को व्रत का दूसरा अर्घ्य दिया और पूजा-अर्चना की। क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में बानगंगा, घोरही व बूढ़ी राप्ती नदी के घाटों छठ पूजा के लिए आस्था सैलाब देखने को मिला।