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अरविंद केजरीवाल ने की दिल्ली चुनाव की महाभारत के ‘धर्म-युद्ध’ से तुलना

**नई दिल्ली:** दिल्ली विधानसभा चुनाव में **आम आदमी पार्टी (AAP)** के प्रमुख **अरविंद केजरीवाल** ने एक बयान में चुनावी मुकाबले को महाभारत के **'धर्म-युद्ध'** से तुलना की है। इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है और चुनावी मैदान में एक नया मोड़ ला दिया है। केजरीवाल ने इस तुलना के माध्यम से अपने और अपनी पार्टी के चुनावी संघर्ष को **धार्मिक और नैतिक लड़ाई** के रूप में प्रस्तुत किया है।

 

महाभारत की तुलना क्यों?

 

 

 

 

 

अरविंद केजरीवाल ने चुनावी अभियान में इस युद्ध को धर्म और अधर्म के बीच की लड़ाई के रूप में पेश किया। उन्होंने कहा कि **दिल्ली चुनाव** के दौरान उनके द्वारा किए जा रहे कार्य और **नैतिक संघर्ष** को महाभारत के धर्म युद्ध से जोड़ते हुए उन्होंने यह कहा कि यह चुनाव केवल सत्ता हासिल करने के लिए नहीं, बल्कि **दिल्ली के लोगों के लिए बेहतर भविष्य की लड़ाई** है।

 

 

 

 

 

केजरीवाल ने यह भी कहा कि **भ्रष्टाचार, झूठ और अन्याय** के खिलाफ उनकी पार्टी **धर्म की ओर** लड़ाई लड़ रही है, जबकि उनके विरोधी दल, विशेष रूप से भाजपा, इन मुद्दों को नज़रअंदाज़ कर सत्ता में आने के प्रयास कर रहे हैं। उनका यह बयान इस रूप में आया कि उन्होंने भाजपा और अन्य विपक्षी दलों के खिलाफ **नैतिकता और ईमानदारी** की लड़ाई की आवश्यकता जताई है, जैसे महाभारत में धर्मराज युधिष्ठिर ने धर्म की रक्षा के लिए संघर्ष किया था।

 

 

 

 

 

केजरीवाल का बयान: ‘धर्म-युद्ध’ क्यों?

 

 

 

 

केजरीवाल का यह बयान दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी की **नैतिक लड़ाई** को अधिक प्रकट करता है, जहां वे यह दावा कर रहे हैं कि उनके खिलाफ खड़ा हर राजनीतिक दल **भ्रष्टाचार और झूठ** का प्रतिनिधित्व करता है। केजरीवाल ने चुनाव को न केवल एक राजनीतिक लड़ाई के रूप में बल्कि एक **संविधानिक और नैतिक लड़ाई** के रूप में पेश किया है, जिसमें दिल्ली की जनता को तय करना है कि वह **सत्य और धर्म** के पक्ष में खड़ा होगा या **धर्म से परे**।

 

 

 

 

केजरीवाल के इस बयान का मकसद अपने समर्थकों को एकजुट करना और यह साबित करना था कि उनकी पार्टी एक ईमानदार और जनहित में काम करने वाली पार्टी है, जो **धार्मिक और नैतिक रूप से मजबूत** है। वहीं, उन्होंने भाजपा और अन्य दलों पर आरोप लगाया कि वे केवल अपनी **स्वार्थी राजनीति** के लिए जनता से झूठ बोल रहे हैं और **धर्म और नैतिकता** के नाम पर राजनीति कर रहे हैं।

 

 

 

 

 

भाजपा और विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया

 

 

 

 

 

अरविंद केजरीवाल के इस बयान पर विपक्षी दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा ने इसे **राजनीतिक बचाव** का एक तरीका बताया, जबकि कुछ अन्य दलों ने इसे **संविधानिक और धार्मिक भावनाओं का दुरुपयोग** करार दिया। भाजपा नेताओं का कहना है कि **कांग्रेस और आम आदमी पार्टी** केवल अपनी **राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं** के लिए धर्म का नाम ले रहे हैं। वहीं, कांग्रेस और भाजपा ने यह भी आरोप लगाया कि केजरीवाल अपनी पार्टी को **’सत्य’ और ‘धर्म’ का सबसे बड़ा पैरोकार** बता रहे हैं, जबकि उनकी सरकार में भ्रष्टाचार और अव्यवस्थाओं का बोलबाला है।

 

 

 

 

 

केजरीवाल का राजनीतिक दृष्टिकोण

 

 

 

 

 

अरविंद केजरीवाल का यह बयान उनकी **राजनीतिक दृष्टिकोण** को दर्शाता है, जहां वे अपने चुनावी अभियान में खुद को और अपनी पार्टी को **सत्य, नैतिकता, और ईमानदारी** का प्रतीक मानते हैं। उनका कहना है कि उन्होंने दिल्ली में जो काम किया है, वह पूरी तरह से जनता के **हित में** और **धार्मिक दृष्टि से सही** है। यही कारण है कि वे इसे महाभारत के धर्म युद्ध से जोड़कर प्रस्तुत कर रहे हैं, ताकि अपने समर्थकों को यह दिखा सकें कि वे एक **सही और धर्मिक लड़ाई** लड़ रहे हैं, जबकि उनके विपक्षी केवल सत्ता के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

 

 

 

 

 

निष्कर्ष

 

 

 

 

 

अरविंद केजरीवाल का दिल्ली चुनाव के **धर्म-युद्ध** से तुलना करना इस बात को दर्शाता है कि वह इस चुनावी लड़ाई को एक **धार्मिक और नैतिक संघर्ष** के रूप में देख रहे हैं। उनके इस बयान के बाद दिल्ली चुनाव में एक **नई रणनीति** और **राजनीतिक बहस** का जन्म हो सकता है, जहां मतदाता यह तय करेंगे कि वे धर्म, सत्य, और नैतिकता के पक्ष में खड़े होंगे या **राजनीतिक दलों की स्वार्थी राजनीति** में शामिल होंगे।

 

 

 

 

 

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