नावा उपखण्ड मुख्यालय के निकट पांचोता गांव के निवासी मजदूर गोपाल लाल की मौत के बाद तीन मासूमों के सिर से पिता का साया उठ गया। मौत के बाद भी घर के मुयद्वार पर खड़े मासूम पिता के आने की राह ताक रहे हैं। छोटा बेटा पिता को पुकारकर रोता है तो बहन भाई को दिलासा देती है कि पापा आएंगे। वहीं तीनों इस बात से अनजान है और घर के माहौल से भी उदासी रहने लगी है।
इस परिवार की खुशियां तो पिता के साथ ही छिन गई साथ में माता की दिव्यांग अवस्था अब भविष्य को संकट में डालती हुई नजर आ रही है। पांचोता निवासी गोपाल लाल खटीक की मौत सोमवार को हो गई। जिसके एक मासूम हिमांशी 8 वर्ष, सिमरन 6 वर्ष तथा दीक्षित 5 वर्ष की परवरिश अब मां संतोष देवी के भरोसे है। लेकिन इससे मजदूरी करने वाले परिवार पर संकट के बाद बादल छा गए है। इन्हें कोई सहायता मिले तो कुछ कर पाएं।
परिवार की खुशियों पर लगा ग्रहण: बिलखती हुई पत्नी संतोष देवी ने बताया कि यहीं आसपास में मजदूरी कर हमारे परिवार का भरण पोषण करते थे। लेकिन भगवान को मंजूर नहीं था और अचानक मौत हो गई। परिवार से मदनलाल ने बताया कि आर्थिक युग में मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। मृतक भाई गोपाल लाल की पत्नी स्वयं भी दिव्यांग है, जो मजदूरी भी नहीं कर सकती है। वहीं परिवार की स्थित भी ऐसी नहीं की कुछ कर सकें। ऐसे में गोपाल लाल की मौत के बाद में खुशियों पर ग्रहण लग गया है।गोपाल लाल की मौत को तीन दिवस हो चुके हैं।