रांची – झारखंड में डीजीपी के नियमित पदस्थापन को लेकर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) में भेजे गए आइपीएस अधिकारियों के पैनल पर फिर सवाल उठा है।
इस बार यूपीएससी ने राज्य सरकार से पूछा है कि जब नियमित डीजीपी के पद से अजय कुमार सिंह को हटा ही दिया था तब पैनल में उनका नाम फिर से क्यों भेजा गया। उन्हें किस परिस्थिति में पद से हटाया गया था।
राज्य सरकार ने मांगा दस्तावेज
आयोग ने राज्य सरकार से कुछ अन्य बिंदुओं पर भी सवाल पूछा है और दस्तावेज की मांग की है। राज्य सरकार ने 26 जुलाई को अजय कुमार सिंह को डीजीपी के पद से हटाकर अनुराग गुप्ता को प्रभारी डीजीपी बनाया था। उसके बाद डीजीपी के पद पर नियमित पदस्थापन को लेकर यूपीएससी को चार आईपीएस अधिकारियों के नामों का पैनल भेजा गया था।
इनमें 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी अजय कुमार सिंह, 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी अनिल* *पाल्टा व अनुराग गुप्ता तथा 1992 बैच के प्रशांत सिंह का नाम शामिल था ।
*यूपीएससी ने इस मामले का दिया हवाला*
इस पैनल को वापस करते हुए यूपीएससी ने प्रकाश सिंह बनाम भारत संघ मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देकर पूछा था कि किस परिस्थिति में नियमित डीजीपी अजय कुमार सिंह को हटाकर अनुराग गुप्ता को प्रभारी डीजीपी बनाया गया।
सरकार इससे पहले जवाब भेजती, तब तक राज्य में चुनाव आचार संहिता लागू हो गया और चुनाव आयोग के आदेश पर प्रभारी डीजीपी अनुराग गुप्ता को हटाकर अजय कुमार सिंह को फिर से डीजीपी बनाया गया। सरकार गठित होने के बाद अनुराग गुप्ता को फिर से प्रभारी डीजीपी बना दिया गया और पूर्व के पैनल पर ही यूपीएससी को जवाब भेजा कि डीजीपी के पद पर की गई कार्रवाई नियम व न्याय सम्मत है।
*संवाददाता – राजीव कुमार तिवारी, वंदे भारत न्युज लाईव टीवी रांची , झारखंड कि रिपोर्ट*