सीधी। अब यह बताने की जरूरत नहीं है कि साॅइ एक्सपर्ट टेक्नोलॉजी एक फेक फॅर्म है जिसका संचालन ग्राम पंचायत भगवार के सचिव रामभद्र शुक्ला की सरपरस्ती में उनके मौसेरे भाई जीवेन्द्र मिश्रा द्वारा अपनी पत्नी नम्रता मिश्रा के नाम पर फर्जी ढंग से रजिस्ट्रेशन कराकर कागजों में किया जा रहा था, जो केवल विभिन्न सामग्रियों के चाहे वह कुछ भी हो, के बिल काटने का काम किया करती थी। बहरहाल कुछ विल इस तथा कथित फर्म ने ग्राम पंचायत राहुल को भी दिए थे जिसमें से तीन लाख 49600 का भुगतान किन्हीं कारणोंवश नहीं हो पाया लेकिन तीन बिलों के माध्यम से चार लाख 19660 रुपए का भुगतान किया गया और यह किसकी- किसकी जेब में गया इसका अंदाजा बखूबी लगाया जा सकता है। बहरहाल ग्राम पंचायत रौहाल में साॅइ एक्सपर्ट टेक्नोलॉजी के बिल क्रमांक 206 दिनांक 22 सितंबर 2019, 175760 रुपए, बिल्कुल मांग 221 दिनांक 24 सितंबर 2019, 122440 और बिल क्रमांक 223 दिनांक 24 सितंबर 2019, 121440 का भुगतान आईपीओ क्रमांक 2228039 दिनांक 6 अक्टूबर 2020 को किया गया है उक्त तीनों ही बिलों को तत्कालीन सरपंच श्रीमती लीलावती सिंह और रोजगार सहायक सह प्रभारी सचिव विवेक सिंह ने प्रमाणित किया है। रोजगार सहायक विवेक सिंह से उनके मोबाइल नंबर 9340**7800 पर संपर्क कर साॅइ एक्सपर्ट टेक्नोलॉजी नामक फॅर्म का पता जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि ” साॅइ एक्सपर्ट टेक्नोलॉजी नाम के फर्म का संचालन जिवेन्द्र मिश्रा नाम के व्यक्ति द्वारा किया जाता है जो कि कहीं किसी विभाग में कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में भी काम करता है ” इस नाम की दुकान को वे बाईपास में कहीं पर होना बताते हैं। सवाल यह उठता है कि इस फर्म के बिल में दुकान का पता हरिजन थाना के पास अर्जुन नगर सीधी लिखा हुआ है । तथाकथित फर्म साॅइ एक्सपर्ट टेक्नोलॉजी का वास्तविक पता ना चल पाने पर हमने तत्कालीन सरपंच श्रीमती लीलावती सिंह के पति इंद्रभान सिंह से उनके मोबाइल नंबर 8641**7390 पर संपर्क किया तो उन्होंने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया कि ” पंचायत में जो भी कार्य होते थे वह रामभद्र शुक्ला के भाई शिवपूजन शुक्ला जो कि ग्राम पंचायत कोडार में रोजगार सहायक के पद पर पदस्थ हैं उनके द्वारा कराए गए हैं इसलिए मुझे और मेरी पत्नी को इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। आंगनवाड़ी भवन केंद्र क्रमांक 1 के निर्माण के लिए वर्ष 2022 में भवन के निर्माण पर रोक लगाए जाने संबंधी सवाल पर इंद्रभान कहते हैं कि ” यह कार्य भी शिवपूजन शुक्ल द्वारा कराया जा रहा था और घटिया कार्य कराए जाने के कारण उनके बिल का भुगतान नहीं किया गया और भवन के निर्माण पर रोक लगा दी गई थी। बताते चलें की शिवपूजन शुक्ला ग्राम पंचायत भगवार के सचिव रामभद्र शुक्ला के छोटे भाई हैं तथा इसे झोलाछाप फर्जी फर्म के करताधर्ता जिवेन्द्र मिश्रा के मौसेरे भाई बताए जाते हैं । अब इसमें कितनी सच्चाई है यह तो वही जाने लेकिन एक कहावत याद आती है कि चोर – चोर मौसेरे भाई होते हैं । आदिवासी विकास के नाम पर लोकधन का दुरुपयोग और शोधन हो रहा है लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इसे केवल एक त्रुटि बताकर पल्ला झाड़ लेते हैं, कब तक ? साॅइ एक्सपर्ट टेक्नोलॉजी के तार भोपाल में सौरभ शर्मा केस की तरह उलझते जा रहे हैं और जब सुलझेंगे तो उसमें कौन-कौन उलझेगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
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