
गाजीपुर। जनपद में अत्यधिक ठंड और शीतलहर को देखते हुए इंटरमीडिएट तक के विद्यालयों को बंद कर दिया गया है। इस संबंध में डीएम आर्यका अखौरी ने सभी विद्यालयों को पत्र जारी किया है, जिसके मुताबिक 9 से लेकर 14 जनवरी तक कक्षा-9 से 12 तक के समस्त बोर्ड से संचालित विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थिया का अवकाश रहेगा। प्रबंधक और प्रधानाचार्य को यह भी निर्देशित किया जाता है कि पूर्ण में निर्धारित प्रायोगिक/अन्य परीक्षाएं यदि कोई निर्धारित हो तो वह पूर्ववत होंगी। विद्यालय के सभी शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारी विद्यालय में उपस्थित होकर अपने दायित्वों का निर्वहन करेंगे। बीते दो दिनों से जनपद का न्यूनतम तापमान 8 डिग्री सेल्सियस पर अटका है। न्यूनतम तापमान में बढ़ोतरी नहीं होने और शीतलहर चलने से लोगों को ठिठुरन और गलन से राहत नहीं मिल रही है। शाम होते ही सड़कों पर सियापा छा जा रहा है। कोहरे के कारण दृश्यता 10 मीटर रही। इसके कारण वाहन रेंगते हुए चल रहे थे। पांच दिनों से न्यूनतम तापमान लगातार 10 डिग्री सेल्सियस के नीचे बना है। इससे लोगों शीतलहर, गलन व ठिठुरन से निजात नहीं मिल पा रही है। वहीं सुबह – शाम कोहरे की मार से हाईवे व आबादी से बाहर वाले क्षेत्रों में दृश्यता 10 मीटर रही। हालांकि शहर के अंदर कोहरे का असर कम देखा गया। दोपहर एक बजे के करीब हल्की धूप हुई, लेकिन जल्द ही फिर से आसमान में बादल मंडराने लगे। कृषि विज्ञान केंद्र पीजी कॉलेज के मौसम वैज्ञानिक कपिलदेव शर्मा ने बताया कि आगामी दिनों में आसमान में हल्के बादल छाए रहेंगे। ठंड का स्तर इसी तरह से रहेगा।मौसमी बीमारियों की जकड़न में लोग, रोज आ रहे 50 मरीज सर्द मौसम में लोग मौसमी बीमारियों की जकड़न में आ रहे हैं। मेडिकल अस्पताल में प्रतिदिन 40 से 50 की संख्या में खांसी, जुकाम, बुखार आदि के मरीज पहुंच रहे हैं। मेडिकल अस्पताल के सीएमएस डॉ. राजेश सिंह ने बताया कि ठंड के मौसम में स्वास्थ्य को लेकर सतर्कता बरतने की जरूरत है। मौसमी बीमारियों का लक्षण दिखाई देने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।
रात में न करें सिंचाई पाला का खतरा : गाजीपुर। कृषि विज्ञान केंद्र, पीजी कॉलेज के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ. ओमकार सिंह ने उत्तर एवं पश्चिम से ठंडी हवाओं के चलते तापमान में गिरावट होने के कारण फसलों एवं उद्यानिकी फसलों पर पाला पडऩे की संभावना बढ़ गई है। यह आगे भी बने रहने की संभावना है। किसान फसलों की सिंचाई दिन में ही करें। दूसरे पहर के बाद सिंचाई न करें। उन्होंने बताया कि पाले की अवस्था में पौधों के अंदर का पानी जम जाने से तथा उसका आयतन बढ़ने से पौधों की कोशिकाएं फट जाती हैं। इससे पत्तियां झुलस जाती हैं और प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होने से फसल में फल और फूल नहीं लगते। इससे उपज प्रभावित होती है। किसान दिन में ही सिंचाई करें। फसलों और उद्यान की फसलों में घुलनशील गंधक 80 प्रतिशत डब्ल्यू पी का दो से ढाई ग्राम मात्रा को प्रति लीटर की दर से पानी में घोल बनाकर डेढ़ से दो सौ लीटर पानी में घोलकर फसलों के ऊपर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। इससे दो से ढाई डिग्री सेंटीग्रेड तक तापमान बढ़ने से काफी हद तक पाला से बचाया जा सकता है।