कोरियाछत्तीसगढ़

*रक्षक ही लूट रहे जंगल राष्ट्रीय उद्यान के संरक्षित क्षेत्र में निर्माण कार्यों के लिए खनिज संपदा का बेतरतीब दोहन*

 

*आला जिम्मेदार जानकर भी बने हैं मौन क्या इस कीमत पर होगा विकास*

*ऐसानुल हक अंसारी*

*सोनहत/कोरिया-* गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के पार्क परिक्षेत्र रामगढ़ में विभाग द्वारा एक स्टाप डैम का निर्माण किया जा रहा है। आरोप है कि विभागीय कर्मचारियों द्वारा संरक्षित क्षेत्र के अंदर से ही पत्थर, मिट्टी, मुरूम आदि का अवैध रूप से खनन करके निर्माण कार्य किया जा रहा है। इस मामले पर उच्च अधिकारियों की ओर से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी जा रही है।

पूरा मामला पार्क पंचायत रामगढ़ के ग्राम पंचायत सिंघौर के आश्रित ग्राम पंडोपारा के निकट पार्क परिक्षेत्र का है जहां विभाग द्वारा भारी भरकम स्टाफ डैम का निर्माण कराया जा रहा है जिसमें कार्यस्थल पर मौजूद विभाग के कर्मचारी यादव जी के द्वारा धड़ल्ले से जंगल के अमानक पत्थरों एवं मिट्टीनुमा रेत तथा अमानक स्तर के सीमेंट तथा काफ़ी कम मात्रा में सरिया का प्रयोग करते हुए दो-दो मिक्सर मशीन लगाकर निर्माण कार्य कराया जा रहा था हमारे द्वारा एक मजदूर से पूछने पर उसने बताया कि डैम के पिलर के नीचे पूरा जंगल का पत्थर तीन लेयर में भरा हुआ है जिस पर विभाग के कर्मचारी यादव जी मजदूर पर भड़क गए और कहा कि तुम झूठ बोल रहे हो,हमने कहा सर आप ही सही बोल दो तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। इसके बाद हमने इस मामले के सारी फुटेज गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के संचालक श्री सौरभ सिंह एवं वन संरक्षक एलिफेंट रिजर्व श्री बढ़ई सर को भेज कर मामले के संबंध में उनकी प्रतिक्रिया जानने का प्रयास किया लेकिन उन्होंने किसी भी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया नहीं दी इससे एक बात तो स्पष्ट हो जाती है कि नीचे से लेकर ऊपर तक का पूरा सिस्टम सेट है हमारा स्टार के कराए जा रहे कार्य नीचे से लेकर बड़े आला अधिकारियों के नजर में भी हैं लेकिन कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं इसे समझा जा सकता है कि भ्रष्टाचार की जड़े कितनी गहरी हैं।

*राष्ट्रीय उद्यान केंद्र निवासरत ग्रामीणों के लिए हैं सख्त नियम-*

1440.705 वर्ग किलोमीटर में फैले
गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के कोर क्षेत्र में लगभग 43 गांव स्थित हैं.
टाइगर रिजर्व बनाने के लिए इन गांवों में से लगभग 20 गांवों को विस्थापित करने की योजना है. लेकिन यहां निवासरत लोगों को वन क्षेत्र से किसी भी प्रकार का लाभ लेने की मनाही है यहां निवासरत ग्रामीण जंगल से लकड़ी नहीं ला सकते,जंगल में महुआ नहीं बीन सकते और तेंदूपत्ता भी नहीं तोड़ सकते जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि मानव के दखल से राष्ट्रीय उद्यान के प्राकृतिक माहौल पर असर पड़ेगा लेकिन उनकी जिम्मेदारी उसे वक्त कहां चली जाती है जब स्वयं उन्ही के द्वारा बड़ी-बड़ी मशीनों से अंधा धुंध निर्माण कार्य कराया जा रहा है और बहुमूल्य खनिज संपदा का भरपूर दोहन करते हुए नीचे से लेकर ऊपर तक के सभी जिम्मेदार सिर्फ सिर्फ अपनी जेब गर्म करने में लगे हुए हैं।

यह एक गंभीर चिंता का विषय है कि राष्ट्रीय उद्यान जैसे संरक्षित क्षेत्र में अवैध उत्खनन और निर्माण कार्य हो रहा है। रक्षकों का भक्षक बनना प्रकृति और वन्यजीवों के लिए बहुत हानिकारक है।
इस मुद्दे पर ध्यान देना और यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि संरक्षित क्षेत्रों में अवैध गतिविधियाँ बंद हों और दोषियों को जवाबदेह ठहराया जाए।

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