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प्रधानमंत्री मुद्रा योजना: उद्यमिता को नया आधार

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना: उद्यमिता को नया आधार

नई दिल्ली

 

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प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) ने भारत में आर्थिक समावेशन और उद्यमिता को सशक्त बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी बदलाव प्रस्तुत किया है। अप्रैल 2015 में शुरू हुई इस योजना के अंतर्गत अब तक 33 लाख करोड़ रुपये से अधिक के 52 करोड़ से अधिक ऋण स्वीकृत किए जा चुके हैं। यह छोटे उद्यमियों, महिलाओं और हाशिए पर रहे समुदायों के लिए आत्मनिर्भरता का मजबूत माध्यम बनकर उभरी है।

पूर्ववर्ती सरकारों में बैंक ऋण प्रणाली में पारदर्शिता की कमी और राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण आम नागरिकों को ऋण प्राप्त करना कठिन था। मुद्रा योजना ने इस व्यवस्था को पारदर्शी और समान अवसर वाला बनाया है।

योजना के अंतर्गत तीन श्रेणियों—शिशु (50,000 रुपये तक), किशोर (50,000 से 5 लाख रुपये तक) और तरुण (5 से 10 लाख रुपये तक) में ऋण प्रदान किए जाते हैं। अब तरुण प्लस (10 से 20 लाख रुपये तक) श्रेणी भी जोड़ी गई है। यह योजना खासतौर पर ग्रामीण व अर्ध-शहरी क्षेत्रों में छोटे व्यवसायों के लिए वरदान साबित हुई है।

एसकेओसीएच की रिपोर्ट “मोदीनॉमिक्स 2014-24 के परिणाम” के अनुसार, मुद्रा योजना ने प्रतिवर्ष औसतन 2.52 करोड़ स्थायी रोजगार सृजित किए हैं। जम्मू-कश्मीर में 21.41 लाख से अधिक ऋण स्वीकृत होने से यह स्पष्ट है कि योजना ने सीमांत क्षेत्रों तक भी अपनी पहुंच बनाई है।

मुद्रा योजना के प्रमुख लाभों में शामिल हैं:

वित्तीय समावेशन: पहली बार उधार लेने वालों को औपचारिक बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ा गया।

महिला सशक्तिकरण: अब तक वितरित ऋणों में 68% से अधिक महिला लाभार्थी हैं।

व्यवसाय विस्तार और कौशल विकास: कई लाभार्थियों ने इससे तकनीकी उन्नयन और उत्पादन क्षमता में सुधार किया है।

सामाजिक सशक्तिकरण: अनुसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी उद्यमियों को कुल ऋणों का 50% से अधिक हिस्सा मिला है।

आर्थिक आदतों में सुधार: सुलभ ऋण ने मादक पदार्थों के दुरुपयोग जैसी आदतों से दूर रखकर सकारात्मक सोच को बढ़ावा दिया है।

इस योजना की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना हुई है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने विशेष रूप से महिला नेतृत्व वाले व्यवसायों को समर्थन देने के लिए मुद्रा योजना की प्रशंसा की है।

भारतीय स्टेट बैंक की रिपोर्ट ‘साहसिक सपनों का दशक’ में यह दर्शाया गया है कि कैसे शिशु से तरुण तक ऋण के माध्यम से लाखों लोगों ने अपने छोटे व्यवसायों को सशक्त बनाया है और एमएसएमई सेक्टर में नया विश्वास पैदा हुआ है।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ने भारत की आर्थिक प्रगति में आम नागरिक को भागीदार बनाया है। यह केवल एक वित्तीय योजना नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की नींव है।

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