
बिजलीकर्मियों का विरोध जारी, कहा-सरकार को गुमराह कर रहा शीर्ष ऊर्जा प्रबन्धन
चन्दौली /वाराणसी विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले बनारस के बिजलिकर्मियों ने गुरूवार को भिखारीपुर स्थित हनुमानजी मंदिर पर सुबह-11बजे से देश के 27 लाख बिजलिकर्मियों की तरह विरोध प्रदर्शन किया।संघर्ष समिति के वक्ताओ ने कहा कि आज देश के समस्त 27लाख बिजलिकर्मियों ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में अलग-अलग जगहों पर विरोध प्रदर्शन किया। इसी क्रम में बनारस के बिजलिकर्मियों ने विरोध सभा भिखारीपुर स्थित प्रबन्ध निदेशक कार्यालय पर की। वक्ताओं ने कहा कि प्रदेश के सभी बिजलिकर्मियों की भांति बनारस के बिजलिकर्मियों ने मुख्यमंत्री से आग्रह कियाबिजलिकर्मियों ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वह विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा बनाये गये प्रजेंटेशन को देखें और विचार करें। क्या बिजली के निजीकरण की आवश्यकता है ? यदि निजीकरण की आवश्यकता समझ में नही आती तो शीर्ष ऊर्जा प्रबन्धन से पूछें कि वह 24 वर्षों से सरकार को क्यों गुमराह कर रहे थे। यदि उनसे यह विभाग नही संभल रहा है तो छोड़ क्यों नही देते। निजीकरण के लिए तीसरी बार निधि नारंग को दिया गया सेवा विस्तार
यह विरोध प्रदर्शन नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स के आह्वान पर किया गया। इसमें बिजलीकर्मियों के अलावा जूनियर इंजीनियर और अभियंता भी शामिल हुए। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि यह चर्चा है कि निजीकरण के लिए नियुक्त ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट ग्रांट थॉर्टन को झूठा शपथ पत्र देने के बावजूद निदशक वित्त निधि नारंग ने क्लीन चिट दे दी है। उल्लेखनीय है कि इंजीनियर ऑफ कांट्रैक्ट ने झूठा शपथपत्र देने के मामले में ग्रांट थॉर्टन की नियुक्ति आदेश रद्द करने की सिफारिश की थी। इसे न मान कर अब ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट ग्रांट थॉर्टन को क्लीन चिट देकर निजीकरण की प्रक्रिया तेज की जा रही है। इस घटना से ऐसा प्रतीत होता है कि प्रबंधन की निजी घरानों से मिलीभगत है। इसीलिए तीसरी बार निधि नारंग को सेवा विस्तार दिया गया है। बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने विद्युत वितरण निगमों में घाटे के भ्रामक आंकड़े देकर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय लिया है। इसमें उत्तर प्रदेश के बिजलीकर्मियों में भारी गुस्सा है। बिजलीकर्मी 6 माह से लगातार आंदोलन कर रहे हैं। अत्यंत खेद का विषय है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने आज तक एक बार भी उनसे वार्ता नहीं की। बकाया और सब्सिडी को घाटा बता रही सरकार
उत्तर प्रदेश में गलत पावर परचेज एग्रीमेंट के चलते विद्युत वितरण निगमों को निजी बिजली उत्पादन कंपनियों को बिना एक भी यूनिट बिजली खरीदे 6761 करोड रुपए का सालाना भुगतान करना पड़ रहा है । इसके अतिरिक्त निजी घरानों से बहुत महंगी दरों पर बिजली खरीदने के कारण लगभग 10000 करोड रुपए प्रतिवर्ष का अतिरिक्त भार आ रहा है। उत्तर प्रदेश में सरकारी विभागों पर 14400 करोड रुपए का बिजली राजस्व का बकाया है। उत्तर प्रदेश सरकार की नीति के अनुसार किसानों को मुफ्त बिजली दी जाती है, गरीबी रेखा से नीचे के बिजलीबुनकरों आदि को भी सब्सिडी दी जाती है। सब्सिडी की धनराशि ही लगभग 22000 करोड रुपए है। उत्तर प्रदेश सरकार इन सबको घाटा बताती है और इसी आधार पर निजीकरण का निर्णय लिया गया है। बिजली कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि उत्तर प्रदेश के बिजलीकर्मियों का किसी भी तरह से उत्पीड़न करने की कोशिश की गई तो देश के तमाम 27 लाख बिजलीकर्मी आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। इसकी सारी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार की होगी। सभा को ई. मायाशंकर तिवारी, ई. अनिल शुक्ला, ई.विजय सिंह, ई. अमित श्रीवास्तव, ई. गौतम शर्मा, ई. सतीश चंद बिंद, विजय नारायण हिटलर, चंदन रविन्द्र यादव, उदयभान दुबे, आलोक रंजन, अरुण कुमार आदि नेआलोक रंजन, अरुण कुमार आदि ने संबोधित किया। सभा की अध्यक्षता ई. नीरज बिंद ने और संचालन अंकुर पाण्डेय ने किया।