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कमिश्नर ने रीवा संभाग के जिलों में बाढ़ तैयारी की ली समीक्षा, 129 गांव चिह्नित, 25 जून तक राहत इंतजाम पूरे करने के निर्देश

सीधी, 10 जून 2025।
रीवा संभाग में संभावित बाढ़ संकट को देखते हुए कमिश्नर बीएस जामोद ने मंगलवार को आपदा प्रबंधन की व्यापक समीक्षा की। कमिश्नर कार्यालय में आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बाणसागर परियोजना से जुड़े जिलों की बाढ़ तैयारियों पर विस्तृत चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि 25 जून तक सभी ज़िलों में राहत एवं बचाव कार्यों से जुड़ी सभी तैयारियाँ पूर्ण कर ली जाएं।

कमिश्नर ने निर्देश दिए कि राहत शिविरों के लिए स्थान चयन, बचाव दलों की तैनाती, दवाओं और खाद्यान्न की उपलब्धता, बिजली-पानी की व्यवस्था तथा समन्वय तंत्र की पूरी रूपरेखा जिला व तहसील स्तर पर तय कर ली जाए। बाढ़ नियंत्रण केंद्रों में प्रशिक्षित कर्मचारियों की तैनाती अनिवार्य होगी। “आपदा की घड़ी में सूचनाओं का त्वरित आदान-प्रदान जीवन रक्षक साबित होता है,” उन्होंने कहा।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बाणसागर बांध की डाउन स्ट्रीम में सीधी और सिंगरौली जिलों के 129 गांव बाढ़ संभावित हैं, जिनके लिए विशेष सतर्कता बरती जाए। संबंधित अधिकारियों और मैदानी कर्मचारियों (पटवारी, पंचायत सचिव, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आदि) को जोड़ते हुए व्हाट्सएप ग्रुप बनाए जाएं, जिससे समय पर सूचनाएं साझा हो सकें।

आईजी गौरव राजपूत ने कहा कि अगर तय समय में तैयारियां हो गईं तो किसी भी आपदा से कुशलता से निपटा जा सकेगा। उन्होंने एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, होमगार्ड और राहत-बचाव दलों के संपर्क नंबर भी ग्रुप में अपडेट करने के निर्देश दिए। साथ ही, नावों और लाइफ जैकेट की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा।

मुख्य अभियंता अशोक डेहरिया ने जानकारी दी कि बाणसागर बांध के जलभराव क्षेत्र में 79 गांव आंशिक रूप से डूब में आते हैं, जिन्हें 6 जोनों में विभाजित कर जोनल अधिकारियों की नियुक्ति कर दी गई है। कटनी के 27 और उमरिया के 18 गांव बैक वॉटर से प्रभावित होते हैं।

लोक निर्माण विभाग को अति वर्षा की स्थिति में जलमग्न होने वाले पुलों-पुलियों पर संकेतक व बैरियर लगाने के निर्देश दिए गए।

बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कलेक्टर स्वरोचिष सोमवंशी, अपर कलेक्टर अंशुमन राज, संयुक्त कलेक्टर एसपी मिश्रा तथा विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

संदेश स्पष्ट है – मानसून पूर्व तैयारियों से ही आपदा को अवसर में बदला जा सकता है।

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