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कठिन मेहनत के दम पर भारतीय नौसेना में सब लेफ्टिनेंट के पद पर काबिज हुई

सागर। वंदे भारत लाईव टीवी न्यूज रिपोर्टर सुशील द्विवेदी। बेटियों का मान देश का सम्मान होती है बेटियां अभिशाप नहीं वरदान होती हैं और बेटियां दो कुलों को आगे बढ़ने का काम भी करती हैं। हम बात कर रहे हैं सागर की बहादुर बेटी इशिता शर्मा की जिन्होंने अपना संकल्प पूरा करते हुए न केवल अपना मान बढ़ाया बल्कि सागर के साथ-साथ पूरे देश में सम्मान के साथ अपने कर्म पथ पर आगे बढ़ रही है।
देशभक्ति का जज्बा ही ऐसा होता है कि युवा बड़े से बड़े ऑफर को ठुकार कर सेना में जाना पसंद करते हैं. सागर की इशिता शर्मा ने भी मजबूत इरादे और कठिन मेहनत के दम पर भारतीय नौ सेना में सब लेफ्टिनेंट पद पर कमीशन हासिल किया है. खास बात ये है कि इशिता ने इलेक्ट्रानिक्स और टैलीकम्युनिकेशन में बीटेक किया. मल्टीनेशनल आईटी कंपनी टीसीएस में मुंबई में जॉब भी कर रही थी, लेकिन हमेशा सेना के माहौल में पली बढ़ी इशिता के मन में सेना में सेवाएं देने का सपना था और ये उन्होंने साकार कर दिखाया। भले ही इशिता के पिता दीपक शर्मा मिलेट्री इंजीनियरिंग सर्विस में अधिकारी हैं. लेकिन उनके लिए बेटी को नौ सेना में भेजना कठिन फैसला था. एक तरफ बेटी से अपार स्नेह और दूसरी तरफ बेटी के सपनों को साकार करने की जद्दोजहद में उन्होंने भारी मन से इशिता को इंडियन नेवल अकादमी में भेजने का फैसला लिया. इशिता की मां गरिमा शर्मा बेटी के बुलंद इरादों के साथ खड़ी नजर आईं। इशिता के पिता दीपक शर्मा का मिलेट्री इंजीनियरिंग सर्विस की नौकरी के कारण ट्रांसफर होता रहता था. ऐसे में इशिता ने हायर सेकेंडरी तक पढ़ाई दादा आरएस शर्मा और दादी सुशीला शर्मा के साथ रहकर सागर में पूरी की. दादा-दादी के लिए इस दिन का बेसब्री से इंतजार था, जब वे अपनी प्यारी पोती को इंडियन नेवी की यूनिफार्म में देखें और आखिरकार 31 मई को पासिंग आउट परेड के बाद उनका सीना गर्व से चौड़ा हो गया, जब अपनी पोती को उन्होंने इंडियन नेवी के सब लेफ्टिनेंट की यूनिफार्म में देखा।
नेवी में लेफ्टिनेंट का पद बहुत अहम होता है. लेफ्टिनेंट के अंडर में 50 से 60 सैनिक होते हैं. वह इसके इकाई का इंचार्ज होता है. भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट का वेतन काफी आकर्षक होती है. साथ ही ढेर सारी सुविधाएं भी मिलती हैं. इनका कुल भत्ता मिलाकर सैलरी 60 हजार से लेकर डेढ़ लाख रुपये से ऊपर होती है. अनुभव और प्रमोशन के आधार पर सैलरी बढ़ती जाती है. शर्मा ने भी मजबूत इरादे और कठिन मेहनत के दम पर भारतीय नौ सेना में सब लेफ्टिनेंट पद पर कमीशन हासिल किया है. खास बात ये है कि इशिता ने इलेक्ट्रानिक्स और टैलीकम्युनिकेशन में बीटेक किया. मल्टीनेशनल आईटी कंपनी टीसीएस में मुंबई में जॉब भी कर रही थी, लेकिन हमेशा सेना के माहौल में पली बढ़ी इशिता के मन में सेना में सेवाएं देने का सपना था और ये उन्होंने साकार कर दिखाया। इशिता शर्मा ने जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रानिक्स और टेलीकम्युनिकेश में बीटेक करने के बाद मल्टीनेशनल आईटी कंपनी में मुंबई जैसे शहर में नौकरी हासिल कर ली. लेकिन इशिता का मन आईटी कंपनी की नौकरी में नहीं लगा और उन्होंने सेना में कमीशन पाने के लिए एसएसबी (ैमतअपबमे ैमसमबजपवद ठवंतक) की तैयारी जारी रखी. साल 2024 में इशिता का सपना साकार हुआ और एसएसबी में सिलेक्शन के बाद केरल के कुन्नुर जिले एझीमाला में स्थित इंडियन नेवल अकादमी में सब लेफ्टिनेंट पद पर चयनित हुईं. 31 मई 2025 को इशिता के लिए यादगार दिन बन गया,जब पासिंग आउट परेड के बाद भारतीय नौ सेना में सब लेफ्टिनेंट बन गईं। भले ही इशिता के पिता दीपक शर्मा मिलेट्री इंजीनियरिंग सर्विस में अधिकारी हैं. लेकिन उनके लिए बेटी को नौ सेना में भेजना कठिन फैसला था. एक तरफ बेटी से अपार स्नेह और दूसरी तरफ बेटी के सपनों को साकार करने की जद्दोजहद में उन्होंने भारी मन से इशिता को इंडियन नेवल अकादमी में भेजने का फैसला लिया. इशिता की मां गरिमा शर्मा बेटी के बुलंद इरादों के साथ खड़ी नजर आईं। इंडियन नेवी में सब लेफ्टिनेंट इशिता कहती हैं ता-पिता और परिवार का साथ हो तो बेटियां भी बहुत कुछ कर सकती हैं. मेरे दादा-दादी और माता-पिता ने कभी मुझे ये नहीं कहा कि लड़की हो, सेना जैसा मुश्किल जॉब कैसे कर पाओगी. सभी ने मेरे फैसले का सम्मान किया और अपना सपना साकार करने के लिए लगातार मेरा हौसला बढ़ाया कठिन ट्रेनिंग के दौरान परिवार के सभी लोग मेरे साथ खड़े रहे और एहसास नहीं होने दिया कि ये कितना मुश्किल दौर है। इशिता शर्मा की इस बड़ी उपलब्धि पर कलेक्टर ने बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित की हैं और कहा कि बेटियां किसी से कम नहीं है आवश्यकता है उनको सही दिशा प्रदान करने की।

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