
मुस्लिम समाज एवं मोहर्रम कमिटी ने दी आंदोलन की चेतावनी
1937 से चल रही मुस्लिम परंपरा को मिटाने एवं किसी भी गलत हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं : पूर्व जिप सदस्य अब्दुल्ला अंसारी
संवाददाता/राशीद अंसारी खलारी
खलारी । खलारी बैंक चौक स्थित ऐतिहासिक मोहर्रम मेला टांड़ मैदान में प्रस्तावित सरकारी अस्पताल निर्माण को लेकर मुस्लिम समुदाय में गहरी नाराजगी है। बुधवार को जब ठेकेदार द्वारा अस्पताल निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया, तो मुस्लिम समाज एवं सेंट्रल मोहर्रम कमेटी के सदस्यों ने एकजुट होकर मौके पर पहुँच कर कार्य को तत्काल रुकवा दिया।अंजुमन की 39 इकाइयों ने विरोध जताते हुए स्पष्ट कहा कि यह मैदान 1937 से मोहर्रम मेला के आयोजन का ऐतिहासिक स्थल रहा है, जहां हर वर्ष धार्मिक, सांस्कृतिक और खेल गतिविधियाँ आयोजित होती रही हैं। ऐसे में इस पवित्र स्थल पर किसी भी प्रकार का सरकारी निर्माण कार्य किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं होगा। इस संबंध में पूर्व जिला परिषद सदस्य अब्दुल्ला अंसारी ने कहा कि मुस्लिम समुदाय को अस्पताल निर्माण से कोई विरोध नहीं है, लेकिन मोहर्रम मेला मैदान की पवित्रता को बरकरार रखना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने मांग की कि सरकार यदि अस्पताल बनाना चाहती है, तो इसके लिए अंचल क्षेत्र में मौजूद अन्य उपयुक्त भूमि का चयन करे। इस घटना से क्षुब्ध सेंट्रल मोहर्रम कमेटी ने मोहर्रम मेला मैदान की खाली बची भूमि को स्थायी रूप से मेला आयोजन के लिए सुरक्षित किए जाने, भविष्य में इस भूमि पर किसी भी सरकारी योजना का प्रस्ताव नही लाए जाने एवं उक्त भूमि पर किसी भी प्रकार के शिलान्यास या निर्माण कार्य से पूर्व मुस्लिम समाज के प्रतिनिधियों को विश्वास में लिए जाने की मांग की गई है । इधर इस निर्माण कार्य से आक्रोशित मुस्लिम समुदाय के लोगो ने आरोप लगाया कि कुछ आसामाजिक शक्तियां साजिश के तहत इस ऐतिहासिक स्थल के पौराणिक धरोहर को खत्म करने की कोशिश कर रही हैं, जिसे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने उनकी मांगों पर विचार नहीं किया और कार्य जारी रखा गया, तो उग्र आंदोलन एवं अंचल कार्यालय के समक्ष धरना-प्रदर्शन किया जाएगा । इस दौरान सलामत अंसारी, सुल्तान अंसारी, बसीर अंसारी, तौहीद अंसारी, असलम अंसारी, सलमान अंसारी, अख्तर अंसारी, जाहिद अंसारी, साहिल अंसारी, जुबेर अंसारी, साकिब अंसारी, गुलजार अंसारी, नसीम अंसारी, चांद अंसारी, असरफ अली सहित सैकड़ों मुस्लिम समुदाय के लोग मौजुद थे। यह मुद्दा अब सामाजिक समरसता और धार्मिक परंपरा से जुड़ गया है, मुस्लिम समाज को प्रशासन की अगली प्रतिक्रिया पर अब सभी की निगाहें टिकी हैं।