
अजीत मिश्रा (खोजी)
।। भारत में आज से डिजिटल जनगणना का आगाज: इस बार मिलेगा स्वगणना का भी अधिकार।।
भारत में पहली बार डिजिटल जनगणना का आगाज़, स्वगणना की मिलेगी सुविधा — जातिगत आंकड़े भी होंगे शामिल।
देशवासियों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है — भारत सरकार ने जनगणना 2027 के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। गृह मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी की गई अधिसूचना के बाद अब देशभर में जनगणना और जातिगत जनगणना की तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया गया है। यह जनगणना भारत के इतिहास में कई मायनों में खास रहने वाली है, क्योंकि इस बार नागरिकों को स्वगणना (Self Enumeration) का भी विकल्प मिलेगा।
🔹 क्या है स्वगणना?
जनगणना अधिनियम में 2022 में किए गए संशोधनों के तहत इस बार लोगों को पहली बार यह अधिकार मिला है कि वे ऑनलाइन माध्यम से खुद ही अपने और अपने परिवार की जानकारी दर्ज कर सकेंगे। इसके लिए Registrar General of India (ORGI) ने एक Self Enumeration Portal तैयार किया है, जहां नागरिक जनगणना शुरू होने से पूर्व अपने घर के सभी सदस्यों की जानकारी दर्ज कर सकेंगे। यह सुविधा जनगणना की तय तिथि से कुछ दिन पहले तक ही खुली रहेगी, ताकि बाद में संकलन और सत्यापन का कार्य सुचारू रूप से किया जा सके।
🔹 कब होगी जनगणना?
सूत्रों के मुताबिक, जनगणना की प्रक्रिया 16 जून 2025 से शुरू हो गई है, और इसका दूसरा एवं अंतिम चरण फरवरी 2027 में शुरू होकर 1 मार्च 2027 को पूरा होगा।
इस बीच सरकार द्वारा पूरे देश में प्रशिक्षण, स्टाफ की तैनाती, डिजिटल फॉर्मेट तैयार करना, फील्ड सर्वे आदि का कार्य किया जाएगा।
🔹 पहली डिजिटल जनगणना, सख्त डेटा सुरक्षा
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को जनगणना की तैयारियों की समीक्षा की और निर्देश दिए कि यह प्रक्रिया पूर्णतः डिजिटल, पारदर्शी और सुरक्षित होनी चाहिए। मंत्रालय ने दावा किया है कि इस बार डेटा सुरक्षा के बेहद कड़े इंतजाम किए गए हैं ताकि नागरिकों की व्यक्तिगत जानकारी पूरी तरह सुरक्षित रहे।
🔹 क्या-क्या होगा शामिल?
इस जनगणना में न केवल देश की कुल जनसंख्या, बल्कि धार्मिक वितरण — हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन आदि — के आंकड़े भी सामने आएंगे।
इसके अलावा, जातिगत जनगणना के अंतर्गत यह भी पता चलेगा कि किस जाति की कितनी संख्या है, सामाजिक और आर्थिक स्थिति क्या है, जिससे नीति निर्माण में मदद मिलेगी।
🔹 क्यों है यह जनगणना ऐतिहासिक?
यह भारत की पहली पूर्णतः डिजिटल जनगणना होगी।
नागरिकों को पहली बार स्वगणना का अधिकार मिला है।
जातिगत जनगणना के आंकड़े सरकारी योजनाओं के लक्ष्य निर्धारण में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।
इस जनगणना के ज़रिए आधिकारिक तौर पर धर्म, जाति, लिंग, शिक्षा, रोजगार और आवास से जुड़ी सबसे बड़ी जानकारी सामने आएगी।
जनगणना के जरिए न सिर्फ भारत की जनसंख्या का सही अनुमान, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्थिति की वास्तविक तस्वीर सामने आएगी। यह आंकड़े सरकार की नीतियों, योजनाओं और संसाधनों के वितरण की दिशा तय करेंगे।