
सागर। वंदे भारत लाईव टीवी न्यूज रिपोर्टर सुशील द्विवेदी। डॉक्टर हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय,सागर का 33वां दीक्षांत समारोह गौर प्रांगण में अपरान्ह आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि नितिन गडकरी, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री, भारत सरकार, विशिष्ट अतिथि के रूप में मध्य प्रदेश के उपमुख्य मंत्री राजेन्द्र शुक्ल,गौर अतिथि के रूप में मध्य प्रदेश के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत एवं सागर लोक सभा क्षेत्र की सांसद डॉ. लता वानखेड़े समारोह में सम्मिलित हुए. समारोह की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलाधिपति कन्हैया लाल बेरवाल ने की, विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर प्रख्यात मनीषी, रचनाकार, साहित्य एवं संस्कृत मर्मज्ञ, समाजसेवी पद्म विभूषण जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य को विश्वविद्यालय द्वारा मानद डी.लिट्. उपाधि प्रदान की गई. कुलपति प्रो.नीलिमा गुप्ता ने यह उपाधि प्रदान की और उन्हें प्रशस्ति पत्र भेंट किया. प्रशस्ति-पत्र का वाचन डॉ. शालिनी ने किया। कार्यक्रम में लोकवाद्य एवं मंगलाचरण के साथ अकादमिक विद्वत शोभायात्रा समारोह स्थल तक पहुँची. प्रभारी कुलसचिव डॉ. सत्यप्रकाश उपाध्याय ने विश्वविद्यालय ध्वज के साथ शोभायात्रा की आगवानी की. इसमें विश्वविद्यालय कुलाधिपति, मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, गौर अतिथि, कुलपति, कार्यपरिषद एवं विद्यापरिषद के सदस्य सम्मिलित हुए। पद्म विभूषण जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी ने आशीर्वचन देते हुए उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि दीक्षांत का अर्थ दीक्षा का अंत नहीं है बल्कि यह एक सुनहरे भविष्य की शुरूआत है. उन्होंने भारतीय भाषा के महत्त्व को रेखांकित करते हुए कहा कि उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को राष्ट्र के लिए समर्पित होना चाहिए. प्रत्येक भारतीय के मन में मेलजोल, भाईचारा और समरसता की भावना होनी चाहिए. यही दीक्षा का अर्थ है। उन्होंने राष्ट्र के लिए कार्य करने पर बल देते हुए कहा कि भारत सोने की चिड़िया ही नहीं सोने का सिंह बनेगा. जिस क्षेत्र में भी कार्य करें अपना सर्वश्रेष्ठ दें. अपने कर्तव्य का निर्वहन करें. यही सबसे बड़ा धर्म है। उन्होंने श्री मद भागवत गीता का उदाहरण देते हुए कहा कि कर्म करिए. फल की चिंता मत करिये.प्रत्येक भारतीय को निष्ठा से कार्य करना चाहिए. इसी से व्यक्ति की प्रतिष्ठा होगी. उन्होंने युवाओं से अपील की कि हमें नया इतिहास रचना है. नवाचार करना है और अत्याचार, भ्रष्टाचार, कदाचार को जड़ से समाप्त करना है. ऑपरेशन सिन्दूर के माध्यम से भारत ने पूरे विश्व को एक सन्देश दिया है कि भारत अब महाशक्ति है. कोई इसकी तरफ बुरी नजर से आँख उठाकर नहीं देख सकता. इसीलिये मैं कहता हूँ कि बेटियां लक्ष्मीबाई बनें और बेटे शिवाजी और राणा प्रताप बनें।
समारोह के मुख्य अतिथि नितिन गडकरी, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री, भारत सरकार ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से दीक्षांत भाषण देते हुए कहा कि दीक्षांत विद्यार्थियों के जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण अवसर होता है।इस विवि के विद्यार्थी भाग्यशाली हैं जिन्हें डॉ. गौर द्वारा दान की गई संपत्ति से बने विश्वविद्यालय में अध्ययन करने का मौका मिला। उन्होंने पदक एवं उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को जीवन में सदैव बेहतर कार्य करने की प्रेरणा देते हुए कहा कि शिक्षा से व्यक्ति ज्ञानवान बनता है. हमारे देश की विशेषता रही है कि भारतीय ज्ञान परंपरा ने पूरे विश्व को हमेशा आलोकित किया है। हमारी संस्कृति,हमारी विरासत, ज्ञान एवं विज्ञान हमारी विशेषता है. हमें आज विज्ञान और नवाचार के जरिये समाज को बदलना है। उन्होंने कहा कि भगवान् बुद्ध ने अहिंसा का मार्ग दिखलाया था. भारतीय ऋषियों मुनियों ने धर्म के मार्ग पर चलना सिखाया है. मानवीय मूल्यों, धार्मिक आदर्शों, सामाजिक आदर्शों, त्याग, तपस्या, संस्कार, समन्वय, सौहार्द इन सभी मूल्यों को आत्मसात करना शिक्षा का उद्देश्य है. हम इसी रास्ते आदर्श समाज का निर्माण कर सकते हैं. भारत का मन्त्र सदैव विश्व का कल्याण रहा है. यही हमारी संस्कृति है. स्वामी विवेकानंद, आंबेडकर, गांधी, फुले जैसे विचारकों के विचारों के साथ हमें 21वीं सदी के भारत का निर्माण करना है।
उन्होंने कहा कि चरित्र ही व्यक्ति की पहचान है. शिक्षा के माध्यम से ही चरित्र का निर्माण किया जा सकता है. हमें फ्यूचरिस्टिक विजन के साथ प्रत्येक क्षेत्र में कार्य करना है. ऐसा प्रधानमंत्री श्री मोदी का भी सपना है. बेस्ट टेक्नोलॉजी हमारे देश में विकसित हो, दुनिया में जो कुछ अच्छा है वो भारत में भी हो, यही हमारा प्रयास है. उन्होंने सीएनजी, बायोफ्यूल, इथेनोल, ग्रीन टेक्नोलॉजी जैसे नवाचारी प्रयोगों के माध्यम से विकसित भारत के निर्माण के लिए विद्यार्थियों को प्रेरित किया। उन्होंने कहा की हमें स्मार्ट शहर के साथ स्मार्ट विलेज भी बनाना है. गाँवों का विकास करना है, स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर करनी हैं, किसानों को फसल का सही भाव मिले, यह सब करने की इच्छाशक्ति होनी चाहिए. और यह सब करने के लिए शिक्षा, अनुभव और संशोधन के साथ करना है. आप युवा हैं, देश का भविष्य हैं. आप जीवन में समाज के गरीब तबके, मजदूर, किसानों के लिए काम करें. उन्होंने कहा कि जो मनुष्य के लिए काम करे वही मनुष्य है. उन्होंने भारत को शक्तिशाली बनाने के लिए कार्य करने पर जोर देते हुए कहा कि शक्ति संपन्न व्यक्ति ही सौहार्द ला सकता है. शक्ति इसलिए नहीं कि अपने साम्राज्य का विस्तार करने के लिए बल्कि इसलिए जिससे न्याय की रक्षा हो सके, धर्म की रक्षा हो सके, शक्ति का उपयोग लोक कल्याण में हो सके, विश्व कल्याण में हो सके।विश्वविद्यालय के कुलाधिपति कन्हैयालाल बेरवाल ने कहा कि उपाधि मिलना किसी भी विद्यार्थी के जीवन का सबसे सुखद क्षण होता है. विद्या से ही व्यक्ति योग्य बनता है. उन्होंने कहा कि हम कोई भी कार्य करें अपने धर्म का ध्यान रखें. धर्म का मतलब मानवीय मूल्यों के साथ समाज के कल्याण में स्वयं को लगाना. आप अपने भावी जीवन में अपनी भारतीय विचार संस्कृति के साथ जीवन चलायें. आपके योगदान से देश आगे बढ़ेगा. देश के लिए कार्य करें. यही आपकी शिक्षा की सबसे बड़ी उपलब्धि है. शिक्षा के साथ संस्कार एवं पात्रता अति आवश्यक है तभी व्यक्ति को सफलता मिलती है. पाश्चात्य संस्कृति से दूर रहकर भारतीय संस्कृति के आदर्शों एवं विचारकों के पथ के अनुगामी बनें।
विशिष्ट अतिथि के रूप में मध्य प्रदेश के उपमुख्य मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह इक्कीसवीं सदी का भारत है. हम विश्व की तीसरी सबसे बड़ी इकॉनोमी बनने जा रहे हैं. भारत 2047 तक सबसे बड़ी शक्ति के रूप में उभरेगा. यही नया भारत है. भारत विश्व बंधुत्व और वसुधैव कुटुम्बकम की संकल्पना पर कार्य करने वाला राष्ट्र है. आप सभी इस देश के लिए कार्य करें. आप सबके सामने सुनहरा भविष्य है. शिक्षा का समाज के उत्थान के लिए सदुपयोग करें। गौर अतिथि गोविन्द सिंह राजपूत ने कहा कि आज का दिन बहुत ही भावुकता का का दिन है जिनको डिग्री मिल रही है बह बहुत ही भाग्यशाली है. एक ज़माने में लोग कहते थे कि यहाँ स्याही नहीं मिलती थी. डॉ. गौर ने इस विश्वविद्यालय की स्थापना की. मेरे छात्र जीवन में यहाँ कभी दीक्षांत समारोह नहीं हुआ करता था. आप भाग्यशाली हैं कि आप एक इतने बड़े और भव्य आयोजन का हिस्सा बन रहे हैं। उन्होंने डॉ. गौर के बारे में लिखी गई कवी मैथिली शरण गुप्त की पंक्तियों का भी उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय का नाम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर था, है और रहेगा. उन्होंने कहा कि आप सभी ज्ञान प्राप्त करने के साथ ही साथ देश एवं समाज की सेवा करने का संकल्प लें और देश का नाम रोशन करें। गौर अतिथि सागर लोकसभा क्षेत्र की सांसद डॉ. लता वानखेड़े ने सभी विद्यार्थियों को उपाधि एवं पदक प्राप्त करने की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि विद्यार्थी जहाँ भी रहें अपने विश्वविद्यालय और शिक्षकों का मान बढ़ाएं. जहाँ भी रहें अपने मूल्यों को न खोएं. समाज व राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों का पालन करें. जिज्ञासु बनें. तकनीक का सदुपयोग करें. सफलता केवल पद से नहीं, योगदान से मापी जाती है. अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान राष्ट्र को समर्पित करें। विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए शिक्षकों, विद्यार्थियों की उपलब्धियों को रेखांकित किया. उन्होंने विश्वविद्यालय के नवीन छात्रावासों, अकादमिक भवनों, प्रयोगशालाओं,होटल मैनेजमेंट, इंजीनियरिंग, शारीरिक-शिक्षा जैसे नवीन पाठ्यक्रमों और शैक्षणिक समझौतों का उल्लेख करते हुए विश्वविद्यालय की अकादमिक एवं अधोसंरचनात्मक प्रगति को साझा करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय राष्ट्रीय एवं वैश्विक स्तर के शैक्षिणक मानकों पर अपनी प्राचीन भारतीय विरासत को संजो का आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय भारत केंद्रित ज्ञान संस्थान के रूप में लगातार आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि हम अपनी गौरवपूर्ण यात्रा को समय एवं समाज के तारतम्य के साथ-साथ आगे बढ़ा रहें है. विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुपालन में अपना श्रेष्ठ योगदान दे रहा है. राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा एवं अनुसन्धान हेतु प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में चलाये जा रहे विभिन्न नवोन्मेषी एवं गुणवत्तापूर्ण योजनाओं को विश्वविद्यालय में क्रियान्वित कर रहा है जिसके तहत एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट की स्थापना, डिग्रियों का डिजीलाकर में अपलोड, भारतीय ज्ञान परम्परा एवं भारतीय संस्कृति एवं मूल्यों से सम्बंधित पाठ्यक्रमों का सञ्चालन, राष्रीकाय स्तर पर उल्लेखनीय प्रदर्शन, स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत विभिन्न जनजागरूकता कार्यक्रम, कौशल विकास और रोजगारपरक पाठ्यक्रमों के संचालन जैसे महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहा है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. शालनी चौइथरानी ने किया. दीक्षांत की औपचारिक कार्यवाही प्रभारी कुलसचिव डॉ. सत्यप्रकाश उपाध्याय ने संचालित की और आभार व्यक्त किया। राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। इस अवसर पर बंडा विधायक वीरेंद्र सिंह लोधी,बीना विधायक श्रीमती निर्मला स्प्रे, श श्याम तिवारी, श्रीमती रानी कुशवाहा, गौरव सिरोठिया, पूर्व विधायक श्रीमती सुधा जैन, भानु राणा, नारायण प्रसाद कबीरपंथी, कलेक्टर संदीप जी आर, पुलिस अधीक्षक विकास शाहवाल, अपर कलेक्टर श्री रुपेश उपाध्यक्ष, संयुक्त कलेक्टर श्रीमती आरती यादव, संयुक्त कलेक्टर श्रीमती अदिति यादव, सिटी मजिस्ट्रेट जूही गर्ग सहित विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी, उपाधि पाने वाले विद्यार्थी, पत्रकारगण, जनप्रतिनिधि अधिकारी एवं बड़ी संख्या में छात्र छात्राएं शिक्षक एवं शहर के सम्माननीय नागरिक गण उपस्थित रहे।
विश्वविद्यालय के विभिन्न अध्ययनशालाओं के मेधावी विद्यार्थियों को अतिथियों ने स्वर्ण पदक और प्रमाण-पत्र प्रदान किया. इस दीक्षांत समारोह के लिए 1225 विद्यार्थियों ने पंजीकरण कराया था जिसमें स्नातक के 482 , पीजी 426 एवं पीएच.डी. के 49 छात्रों सहित कुल 957 छात्रों ने उपस्थित होकर उपाधि प्राप्त की. इसके अतिरिक्त शेष विद्यार्थियों को ‘इन अब्सेंशिया’ उपाधि प्रदान की गई ।दीक्षांत समारोह के अवसर पर अतिथियों द्वारा मंच से विश्वविद्यालय के तीन नवीन भवनों आचार्य सुश्रुत भवन, आचार्य पी. सी. रे भवन एवं स्वदेशी भवन का लोकार्पण किया गया। डिजीलाकर पर भी रिलीज हुई उपाधि, स्मारिका का किया, विमोचन समारोह का हुआ लाइव प्रसारण
सभी विद्यार्थियों की डिग्री डिजीलाकर पर भी रिलीज हुई. अतिथियों ने दीक्षांत स्मारिका का भी विमोचन किया। दीक्षांत समारोह के सम्पूर्ण कार्यक्रम का लाइव प्रसारण विश्वविद्यालय के ईएमआरसी सागर के यूट्यूब चौनल से किया गया. देश के कई हिस्सों से जो विद्यार्थी सहभागिता नहीं कर सके साथ ही उनके अभिभावकों ने लाइव प्रसारण देखा। अतिथियों ने गौर समाधि पर पहुँच कर दी पुष्पांजलि
दीक्षांत समारोह के आरम्भ होने से पूर्व अतिथियों ने गौर समाधि पहुंचकर पर डॉ. गौर को पुष्पांजलि अर्पित की।