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मृत्यु भोज बहिष्कार को लेकर जमकर गरजे जातीय प्रवक्ता आचार्य राकेश पासवान शास्त्री

नालंदा की धरती पर मृत्यु भोज बहिष्कार को लेकर जमकर गरजे यदि प्रवक्ता आचार्य राकेश पासवान शास्त्री

*नालंदा की धरती पर मृत्यु भोज बहिष्कार को लेकर जमकर गरजे जदयू प्रवक्ता
जदयू के जिला प्रवक्ता व जन कल्याण संघ एक आवाज के राष्ट्रीय प्रवक्ता आचार्य राकेश पासवान शास्त्री का नालंदा जिला के सरमेरा गढ़िया में गत सोमवार को देर संध्या तक चले एक कार्यक्रम में जो संबोधन हुआ उसका सोशल मीडिया पर जोरों की चर्चा है।बताया जा रहा है कि प्रखंड मुख्यालय सरमेरा स्थित बढ़िया गांव में मृत्यु भोज बहिष्कार सभा सह समाजसेविका स्मृति शेष शकुन्तला देवी की आत्मा की शांति के लिए श्रद्धांजलि सभा जन कल्याण संघ एक आवाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्येन्द्र पासवान की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। जबकि मंच का संचालन लोक दलित शक्ति संस्थान के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रमोद पासवान ने किया।आयोजक मंडल के सदस्यों के द्वारा मुख्य अतिथि जदयू प्रवक्ता व जन कल्याण संघ एक आवाज के राष्ट्रीय प्रवक्ता आचार्य राकेश पासवान शास्त्री का भव्य स्वागत किया गया।कार्यक्रम का आगाज राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्येन्द्र पासवान की दिवंगत माता शकुन्तला देवी के तैलचित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित कर नमन व भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ किया गया।
मुख्य अतिथि जदयू प्रवक्ता व जन कल्याण संघ एक आवाज के राष्ट्रीय प्रवक्ता आचार्य राकेश पासवान शास्त्री ने स्वर्गीय शकुन्तला देवी की कृति को नमन कर भावपूर्ण श्रद्धांजलि दिया और मृत्यु भोज से होंने वाले लाभ-हानी को लेकर जमकर चर्चा करते हुए कहा कि मृत्यु भोज गलत परंपरा का द्योतक है।ऐसे भोज का वहिष्कार सराहनीय निर्णय है इसके लिए हम सत्येन्द्र पासवान को सैल्यूट करते हैं। मृत्यु भोज बहिष्कार पाखंड व आर्थिक दोहन का पटाक्षेप है।इस भोज के बंद होने से गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को ऋण अथवा कर्ज का बोझ नहीं उठाना पड़ेगा।सत्येन्द्र पासवान मृत्यु भोज बहिष्कार कर सामाजिक चेतना को जगाने का काम किये हैं; जो सामाजिक बदलाव का एक बड़ा हिस्सा है। इसके लिए उनके प्रति उन्होंने कोटिशः आभार व्यक्त किया ।
श्री शास्त्री ने कहा कि भोज का संबंध खुशी और प्रसन्नता से है ना कि गम और शोक से।चुकि भागवद पुराण के अनुसार दुर्योधन के आग्रह पर श्री कृष्ण ने कहा था कि सम्प्रीति भोज्यानि आपदा भोज्यानि वा पुनै: अर्थात् खिलाने वाले और खाने वाले का मन प्रसन्न हो तभी भोजन करना चाहिए।महाभारत के अनुशासन पर्व में भी लिखा है कि मृत्यु भोज खाने वालों की ऊर्जा नष्ट हो जाती है।इसलिए मृत्यु भोज सामाजिक कलंक है,जिसे समाप्त कर ही बेहतर समाज की कल्पना संभव हो सकता है।
उन्होंने मृत्यु भोज जैसे कुरीति को त्याग कर उस पैसे से बेटा-बेटी को उच्च शिक्षा व हुनरमंद शिक्षा दिलाने पर खर्च करने का अनुरोध किया।उन्होंने कहा कि शिक्षा सुख- समृद्धि का द्वार खोलता है।स्वभिमानी लोगों के लिए शिक्षा ही सच्चा गहना है।शिक्षा के माध्यम से ही हम पारिवारिक,सामाजिक,राजनीतक, आर्थिक और भौतिक विकास कर सकते हैं।
सभा को विशाल सिन्हा,बौधिष्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष उज्जवलकांत हुंकार ,जन कल्याण संघ एक आवाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कमिन्दर पासवान, प्रदेश अध्यक्ष रजनीश पासवान नागवंशी,जिला अध्यक्ष राकेश पासवान ,श्रीलंका के बौद्धिष्ट महेन्द्र भंते,पटना के दिनेश भंते,प्रशांत बौद्ध,संजय पासवान,शिक्षक अनिल पासवान,महिला जिला अध्यक्ष सीता देवी, मधु कुमारी,सुभाष पासवान,औरंगाबाद के सूर्यकांत सूर्या,विजय आजाद एवं संतोष भंते आदि विद्वान वक्ताओं ने मृत्यु भोज को सामाजिक कोढ़ बताते हुए इसे सदा सदा के लिए बहिष्कार करने और अंधविश्वास व पाखण्डवाद से बचकर शिक्षा अपनाने पर बल दिया।इन वक्ताओं ने मृत्यु भोज बहिष्कार करने के लिए सत्येंद्र पासवान का जमकर प्रशंसा किया।

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