
बस्ती (उत्तर प्रदेश) – कांवड़ियों का आक्रोश: धार्मिक टिप्पणी पर उग्र भीड़ ने पुलिस पर बोला हमला, नेशनल हाईवे जाम
श्रीराम मंदिर पर कथित टिप्पणी से भड़के श्रद्धालु, पुलिस पर किया पथराव, गाड़ियों में तोड़फोड़, आगजनी और प्रशासन पर उठा बड़ा सवाल
बस्ती (उत्तर प्रदेश) – श्रावण मास की कांवड़ यात्रा में आस्था की आड़ में आज जिला बस्ती में अराजकता की बड़ी घटना सामने आई। मामला एक मुस्लिम युवक द्वारा श्रीराम मंदिर पर की गई कथित आपत्तिजनक टिप्पणी से शुरू हुआ, लेकिन इसका अंजाम पुलिस प्रशासन को सीधी चुनौती देने वाले उग्र प्रदर्शन के रूप में सामने आया।
जैसे ही यह खबर फैली, कांवड़ियों की भीड़ बेकाबू हो गई। पहले प्रदर्शन हुआ, फिर देखते ही देखते पुलिस के लगाए गए बैरिकेड्स तोड़ दिए गए, हाईवे पर वाहनों को रोका गया और सरकारी गाड़ियों में तोड़फोड़ शुरू हो गई। एक पुलिस वाहन पर भीड़ चढ़ गई और लाठियों से हमला करते हुए उसे आग के हवाले कर दिया। नेशनल हाईवे घंटों तक जाम रहा, जिससे वाहनों की लंबी कतारें लग गईं और आमजन त्राहि-त्राहि कर उठे।
मौके पर पहुंचे थाना प्रभारी पर भी कांवड़ियों से अभद्रता करने का आरोप लगा, जिससे तनाव और भड़क गया। उपद्रव इस हद तक बढ़ गया कि पुलिस बल को पीछे हटना पड़ा।
❗ सवालों के घेरे में प्रशासन और कानून व्यवस्था
सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जब कोई आम नागरिक या किसी खास वर्ग का व्यक्ति पुलिस से अभद्रता करता है, तो न सिर्फ उसे गिरफ्तार किया जाता है बल्कि “पीला पंजा” चलाकर उसके घर तक ढहा दिए जाते हैं।
तो क्या इस भीड़ में शामिल अराजकतावादियों पर भी वैसी ही कार्रवाई होगी?
क्या कांवड़ यात्रा की पवित्रता को नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों पर UAPA, गुंडा एक्ट या राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत सख्त कार्रवाई होगी?
या धार्मिक आस्था की आड़ में उपद्रव को फिर एक बार “सामाजिक भावनाओं” का मामला मानकर टाल दिया जाएगा?
स्थानीय प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने का दावा किया है और जांच जारी है, लेकिन अब पूरा प्रदेश देख रहा है कि कानून का डंडा समान रूप से चलता है या नहीं।
✍️ रिपोर्ट: एलिक सिंह
संपादक – वंदे भारत लाइव टीवी न्यूज़
उत्तर प्रदेश महासचिव – भारतीय पत्रकार अधिकार परिषद
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