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भोरे रेफ़रल अस्पताल का ओपीडी संचालित होती है महिला गार्ड के हाथों

 

  1. भोरे रेफ़रल अस्पताल का ओपीडी संचालित होती है महिला गार्ड के हाथों

भोरे गोपालगंज

भोरे स्वास्थ्य रेफ़रल अस्पताल आनलाइन पर्चा से इलाज किया जा रहा है जिसके चलते आम लोगों को भटकना पड़ रहा है, और अस्पताल के विभिन्न विभागों में चक्कर काटना पर रहा है, और मौके पर तैनात कर्मी द्वारा अभद्र व्यवहार भी किया जा रहा है, आप को बताते चलें कि बाइक से गिर कर घायल अवस्था में एक पत्रकार बंधु अपने इलाज़ कराने भोरे रेफ़रल अस्पताल पहुंचे अपने इलाज़ के

लिए इमेरजैंसी रूम में वहां से बताया गया कि आप पर्चा कटवा कर ओपीडी में डाक्टर साहब से दिखाएं, घायल व्यवस्था में पत्रकार बंधु आनलाइन पर्चा लेकर कहारते हुआ ओपीडी कक्ष पहुंचे जहां डॉक्टर साहब नदारद मिले उनके बदले में आउट सोर्सिंग ऐजेंसी के महिला

गार्ड लेपटॉप लेकर बैठीं मिली और एडवाइज देने लगी कि बीपी एवं प्लस की जांच करवा कर आइए, पत्रकार बंधु द्वारा पुछा गया कि डॉक्टर साहब कहां है? महिला गार्ड का कहना था कि पहले जाएं आप अपना काम करें, बात यह है कि यह कौन सी तरीका है कि महिला सुरक्षा कर्मी ओपीडी कक्ष में?

और क्या कर रही थी लेपटॉप पर, और भटकते मरीज को उचित जानकारी देने के बदले अमर्यादित व्यवहार करना जैसे की खुद डाक्टर बनकर मरीजों पर धौंस जमाने की प्रयास कर रही है!भोरे रेफ़रल अस्पताल के चिकित्सा प्रभारी डा खाबर इमाम भी दिन भर नदारद रहे अस्पताल छोड़ कर, प्रश्न उठता है कि अस्पताल में जीएनएम , एएनएम के उपस्थित के बावजूद ओपीडी कक्ष में महिला सुरक्षा कर्मी,

इमरजेंसी में एम्बुलेंस डाइबर मेडिकल फैसलिटी दे रहा है वह कहां तक सही है? क्या मरीजों के जान से खिलवाड़ नहीं हो रहा है? सवाल यह है कि लगभग इस अस्पताल में 25से30 एएनएम एवं दो दर्जन जीएनएम,आदा दर्जन सीएच ओ, तैनात हैं क्या भोरे के चिकित्सा प्रभारी को इनपर से भरोसा उठ गया है कि सुरक्षा कर्मी एवं एम्बुलेंस डाइबर को लगाया गया है?जब इस मुद्दे पर अस्पताल

प्रबंधक से जानकारी लेने पहुंचे तो उनके कक्ष में ताला बंद मिला! अगल बगल पुछताछ करने पर पता चला कि यह अस्पताल बाहर से जितना सुसज्जित है उतना ही अंदर से भ्रष्ट हैं, अस्पताल प्रशासन द्वारा अपने मनपसंद कर्मियों को ले देकर मुख्यालय में तैनात किया जाता है और मालदार जगहों पर वसुली के लिए भरोसा मंद लोगों का होना जरूरी है, इमरजेंसी कक्ष के पास कुछ महिलाएं फुस फुस

कर रही थी पता चला कि प्रसव कक्ष में बच्चा पैदा हुआ है खर्चा बर्चा देना पड़ेगा? निःशुल्क जगहों पर इस तरह की वसुली काफी चिंताजनक है? इस मंदिर में अमीर से लेकर गरीब को मुफ्त में सेवा भाव से उपचार करने के लिए बिहार सरकार एवं केंद्र सरकार द्वारा

अस्पताल में निःशुल्क सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है फीर भी इस तरह की काली कमाई के लिए आतूर अस्पताल प्रशासन की संदिग्ध परिस्थिति की निष्पक्षता पुन्य जांच करने कि आवश्यकता है ! और एक ही जगह पर बर्षो से तैनात चिकित्सक प्रभारी सहित सभी कर्मचारियों की तबादला के पश्चात ही अस्पताल के व्यवस्था में सुधार संभव हो पाएगा!

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