
उदयपुर /राजस्थान परम्परानुसार सप्तमी का पूजन करने वाली महिलाओ ने रविवार को राधण सठ (डाडा बावजी ) का व्रत रख कर पूजा कि और पुरोषों का मुँह देखे बिना घरों मे छिप कर व्रत खोला, आज शीतला माता को ठंडे पकवान का भोग धराया गया, सप्तमी पूजन वाली महिलाओ ने रविवार रात्रि को ही खाना बना लिया जो सप्तमी को घरो ठंडा भोजन किया, और अष्टमी पूजने वाली महिलाए आज पकवान बनाएगी,
पकवान मे खट्टा-मीठा ओलिया, केरी और कर सांगरी कि सब्जी को विशेष तोर पर बनाई गई I आज सुबह 4 बजे से ही पूजा अर्चना कर कथाए सुनी,
. ॥ हिन्दू समाज में वासी भोजन की परम्परा ॥
हमारे यहॉ यह भी परम्परा है कि शीतला सप्तमी के दिन आज एक दिन पहले भोजन बनकर तैयार हो जायेगा जिसे (कल अष्टमी) के दिन शीतला माता को भोग बासी भोजन का लगेगा i उस दिन परिवार के लोग बासी भोजन करेगे ।
शीतला शब्द का अर्थ है ठंडक। सभी शीतल वस्तुओं पर माँ शीतला का आधिपत्य है।
शीतला अग्नि तत्व से विरोधाभास रखती हैं, अतः इस दिन भोजन बनाने के उपरांत घर में चूल्हा नहीं जलाते व घर में ताजा भोजन नहीं बनाते। एक दिन पूर्व भोजन बनाकर रख देते हैं, फिर दूसरे दिन अष्टमी पर माँ शीतला पूजन उपरांत सभी व्यक्ति बासी भोजन खाते हैं। मात्र यही एक ऐसा व्रत है जिसमें बासी भोजन चढ़ाया व खाया जाता है।
माँ शीतला संक्रामक रोगों से पीड़ित भक्तों को शीतलता प्रदान करती हैं। गर्मियों की शुरुआत में संक्रामक बीमारियों का खतरा सबसे ज्यादा होता है, इसलिए बच्चों को ऐसी बीमारियों से सुरक्षा देने के लिए शीतला माता की पूजा की जाती है।
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