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पत्रकारों से सूत्र पूछने का अधिकार नहीं है – सीजेआई (सुप्रीम कोर्ट)

चीफ जस्टिस ने कहा कि, ‘आजकल ये देखने को मिल रहा है कि बिना किसी ठोस सबूत और बिना जांच के पत्रकारों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कर लिए जाते हैं। श्रेष्ठ बनने के चक्कर में पुलिस पत्रकारों की स्वतंत्रता का हनन कर रही है।’

 

आपको बता दें कि सूत्रों के हवाले से चलने वाली खबरों के कई मामले कोर्ट में जा चुके हैं। कोर्ट ने पत्रकारों से खबरों के सूत्र बताने का आदेश भी दे चुके हैं लेकिन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के इस फैसले के बाद मीडिया जगत में उत्साह है।

 

जानकारी के लिए बता दें कि हमारे देश में किसी विशेष कानून के जरिए पत्रकारों को अधिकार हासिल नहीं हैं। पत्रकारों के लिए अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार बाकी नागरिकों की तरह संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (a) के अंतर्गत ही मिले हुए हैं।

पत्रकारों को अपने सूत्र को गोपनीय रखने का अधिकार प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया एक्ट 1978 के तहत मिला हुआ है। इसमें 15 (2) सेक्शन में साफ तौर पर लिखा हुआ है कि किसी भी पत्रकार को खबरों के सूत्र की जानकारी के लिए कोई बाध्य नहीं कर सकता लेकिन प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के नियम कानून कोर्ट में लागू नहीं होते हैं। इसके आधार पर कोर्ट में किसी तरह की छूट की मांग नहीं की जा सकती है।

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