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जेइपीसी ने संघ को दिए थे 20 अगस्त तक मांगो को पूर्ण करने का लिखित आश्वासन

20 अगस्त तक पक्ष मे फैसले ना होने पर किया जायेगा अनिश्चितकालीन हड़ताल:आईसीटी संघ

दुमका:झारखंड आईसीटी स्कूल कॉर्डिनेटर वेलफेयर एसोशिएशन द्वारा अपनी मांगों को लेकर 5 अगस्त से 8 अगस्त तक धरना प्रदर्शन कर चुके हैं।जेइपीसी का घेराव कर बाहर धरना पर थे।आईसीटी शिक्षक ने सम्मान जनक वेतन,आईसीटी का समायोजन और महिलाओं के विशेष अवकाश सहित अन्य मांगों पर डटे रहे।जेइपीसी ने मांगो को लेकर लिखित आश्वाशन दिया कि 20 अगस्त तक सभी मांगों पर कार्यवाही सुनिश्चित किया जाएगा।तत्काल रूप से सभी आउटसोर्सिंग कंपनियों को छुट्टी के दिन किसी भी प्रकार का आईसीटी शिक्षकों को कार्य न करवाने और किसी भी प्रकार का प्रशिक्षण न कराने का आदेश जेइपीसी ने दिया था।संघ ने यह ऐलान किया है कि यदि जेइपीसी द्वारा लिखित आश्वासन के बावजूद 20 अगस्त तक हमारे पक्ष मे फैसले नहीं करते हैं तो ऐसी स्थिति मे राज्य के सभी आईसीटी इंस्ट्रक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को विवश होंगे।

आईसीटी संघ की क्या है मांग

आईसीटी संघ के अनुसार इंस्ट्रक्टर्स को प्रतिदिन मजदूरी से भी कम मानदेय मिलता है और समय पर वेतन न मिलने की स्थिति में उन्हें नौकरी से भी निकाल दिया जाता है। इसके अलावा वह कंपनियों की अनुबंध प्रणाली के तहत काम करने के बजाय स्थाई सरकारी पदों पर समायोजन की मांग कर रहे हैं।सभी इंस्ट्रक्टर का एक सम्मानजनक वेतन लगभग 24 हजार करना है। कंप्यूटर विषय को अनिवार्य विषय के तौर पर प्रतिपादित करना है। 60 वर्ष तक शिक्षकों को नौकरी पर रखना है। महिलाओं को विशेष अवकाश एवं मातृत्व अवकाश प्रदान करना है।संघ ने बताया कि धरना प्रदर्शन करना हमारा संवैधानिक अधिकार है जिसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(बी) के तहत शांतिपूर्ण तरीके से किया जाएगा।इन आईसीटी इंस्ट्रक्टर का वेतन मात्र 8057 रुपए है। संघ ने बताया कि मात्र 8057 रूपये के मासिक वेतन में पिछले कई वर्षों से कार्यरत हैं और इस मासिक वेतन मे अपने परिवार की जिम्मेदारियों का वहन कर पाना असंभव है।संघ ने यहां तक कहा कि जिन पदाधिकारी को लगता है कि 8057 रुपए हमारे लिए पर्याप्त है,कृपया वे एक माह के लिए हमारे पद पर आसीन होकर देखें।स्कुलनेट के एक आईसीटी इंस्ट्रक्टर ने बताया कि सरकारी विद्यालय में नियमित सरकारी शिक्षकों का एक माह के वेतन जितने भी हैं उतना हमारा एक साल का वेतन होता है और कार्य के मामले में नियमित सरकारी शिक्षकों से कहीं अधिक है। इसलिए हमारी मांगे जायज है।

 

 

 

 

 

 

 

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