रतलाम ग्रामीण दो तिन सालों से घाटे का सौदा साबित हो रही है सोयाबीन की फसल 7 हजार रुपए कुंटल बिकने पर ही मिलेगा मुनाफा
किसी समय में सोयाबीन का गढ़ कहे जाने वाले मालवा क्षेत्र में अब इस फसल के प्रति किसानों का रुझान कम होता जा रहा है पिछले 3 साल से लगातार सोयाबीन के भाव कभी स्थिर हैं तो कभी भाव गिरते जा रहे है वही लगातार लागत बढ़ती जा रही हैं ऐसे में ये फसल घाटे का सौदा साबित होने लगी है
जब तक सोयाबीन की फसल 7000 रु कुंटल नहीं बिक जाती तब तक किसानों को अच्छी आय की उम्मीद नजर नहीं आ रही है ब्राजील अमेरिका और चीन में सोयाबीन का बंपर उत्पादन होने के कारण सोयाबीन की मांग में कमी आई है लेकिन मालवा किसान वर्तमान में इसी फसल पर आश्रित हैं इस समय किसान अब खुद को ठगा महसूस कर रहा है..
क्योंकि किसान के पास मैं किसी फसल का कोई स्रोत नहीं बचा है इसमें किसान की मंशा है की
सोयाबीन कम से कम 7000 कुंटल तक बिकना चाहिए तभी वह अपनी लागत निकाल पाएगा और किसानों की खेती को मुनाफे का धंधा साबित कर सकता है
क्या आप यह जानते हैं की सोयाबीन की फसल पैदावार करने में किस तरह से कितने की लागत लगती हैं अगर नहीं तो हम आपको बताते है
अगर एक बीघा का खर्च का अनुमान लगाया जाएं तो….
खर्च होगा 1000 रुपए एक बार रोटर वेटर
500 बुवाई के समय बीज का खर्च
2500 निंदाई खर्च ?
2000 चार बार दवाई का स्प्रे ?
2500 मजदूरों से कटाई का खर्च ओर 1500 थ्रेसर मशीन से निकलने का खर्च
500 खेत से घर लाने का खर्च ओर 500 मंडी तक पहुंचाने का खर्च आता है। टोटल खर्च होता है 11000 रुपए बीघा के हिसाब से खर्च हो जाता है। ऐसे में काफी मेहनत के बाद सोयाबीन तीन कुंटल बीघा के हिसाब से अगर पक जाती हैं तो मात्र 13000 रुपए की होती हैं शेष 2000 रुपए बीघा ही बचता ऐसे में किसान क्या घर चलाएगा और क्या खर्चा करेगा। ऐसी स्थिति में किसान अब अन्य फसल की तलाश में है जो कम लागत में अच्छी आमदनी दे सके।